कौन हैं किरन शॉ, जिन्होंने कभी दान किए थे 66 करोड़; फिर भी आज अरबों में है नेटवर्थ
71 साल की बिजनेसवुमेन किरन शो बायोटेक कंपनी बायोकॉन कंपनी की संस्थापक और चेयरपर्सन हैं. दुनिया की सबसे शक्तिशाली महिलाओं में से एक हैं. वहीं हाल ही में किरन का नाम फोर्ब्स की सबसे ताकतवर महिलाओं की सूची में 82वां स्थान दिया गया है.

हाल ही में फोर्ब्स वर्ल्ड की सबसे शक्तिशाली 100 महिलाओं की लिस्ट में किरण मजूमदार-शॉ का नाम भी शामिल हुआ है. आपको बता दें कि किरण मजूमदार-शॉ एक फेमस बिजनेसवुमेन हैं. फॉर्ब्स की लिस्ट में उन्होंने 82 वे नंबर पर जगह बनाई है. वहीं इस लिस्ट में सिर्फ बिजनेसवुमन ही नहीं बल्कि एंटरटेनमेंट, राजनीतिक, समाज सेवा से भी महिलाओं के नाम शामिल हैं. फोर्ब्स के अनुसार, वह 3.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर यानी 28835 करोड़ रुपये की कुल संपत्ति के साथ भारत की सबसे अमीर स्व-निर्मित महिलाओं में से एक हैं.
बात करें किरन मजूमदार शॉ की तो वह एक बायोटेक कंपनी बायोकॉन की संस्थापक और चेयरपर्सन हैं. इस कंपनी की पहुंच देश विदेश में है. इनमें अमेरिका, एशिया के कई बाजार शामिल हैं. किरन भारत की सबसे सफल बिजनेसवुमेन में से एक हैं. वहीं इस लिस्ट में नाम दर्ज होने के बाद से ही उनका नाम एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है.
कैंसर के लिए किया था दान
आपको बता दें कि साल 2019 में किरन मजूमदार और उनके पति जॉन शो ने यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लोसगो में कैंसर की रिसर्च करने के लिए 75 लाख डॉलर यानी 66 करोड़ रुपये दान में दिए थे. वहीं उनके पति शॉ की कंपनी कोरोना वायरस की एंटीबॉडी थेरेपी पर काम कर रही है. किरन को भी बायोटेक्नोलॉजी में 40 से भी अधिक सालों का एस्कीपिएंस हैं. हालांकि उनका सपना था कि वह एक डॉक्टर बने. लेकिन मेडिकल कॉलेज में एडमिशन नहीं मिल पाया. इसके बाद उन्होंने बैंग्लोर यूनिवर्सिटी से बैचलर्स ऑफ साइंस में डिग्री हासिल की. इसके बाद मेलबर्न यूनविर्सिटी से उन्होंने मास्टर्स की डिग्री ली.
1978 में की करियर की शुरुआत
बायोटेक की इस यात्रा को किरण ने भारत में साल 1978 में एक गैरेज से शुरू किया. मलेशिया के जोहोर क्षेत्र में एशिया की सबसे बड़ी इंसुलिन कंपनी में से उनकी कंपनी है. कंपनी ने आकर्षक अमेरिकी बाज़ार में सफलतापूर्वक प्रवेश कर लिया है. वहीं साल 2022 में .3 बिलियन अमेरिकी डॉलर में अमेरिकी दवा निर्माता वियाट्रिस के बायोसिमिलर व्यवसाय का एक्वायर किया. इतना ही नहीं उन्हें पद्म श्री (1989) और पद्म भूषण (2005) से भी सम्मानित किया जा चुका है.