Begin typing your search...

अब संसद में बदलेगी बहस की भाषा! कौन हैं वो चारों शख्स जिसे राज्यसभा के लिए राष्ट्रपति ने किया मनोनीत?

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राज्यसभा के लिए चार प्रतिष्ठित हस्तियों को नामित किया है. वरिष्ठ अधिवक्ता उज्ज्वल निकम, पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला, इतिहासकार डॉ. मीनाक्षी जैन और केरल के समाजसेवी शिक्षक सी. सदानंदन मास्टर. ये नामांकन भारतीय संसद में विविध क्षेत्रों के ज्ञान, अनुभव और राष्ट्रनिर्माण की प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व करते हैं.

अब संसद में बदलेगी बहस की भाषा! कौन हैं वो चारों शख्स जिसे राज्यसभा के लिए राष्ट्रपति ने किया मनोनीत?
X
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Published on: 13 July 2025 11:26 AM

राज्यसभा, जिसे संसद का उच्च सदन कहा जाता है, उसमें नए विचार, अनुभव और विविध क्षेत्रों की विशिष्टता को जोड़ते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने चार नए सदस्यों को नामित किया है. इन नामांकनों से स्पष्ट संकेत मिलता है कि सरकार समाज के उन विचारशील व्यक्तियों को मान्यता देने की दिशा में गंभीर है जिन्होंने कानून, इतिहास, विदेश नीति और सामाजिक सेवा में विशेष योगदान दिया है. ये चार नाम हैं- वरिष्ठ अधिवक्ता उज्ज्वल निकम, पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला, इतिहासकार डॉ. मीनाक्षी जैन और केरल के समाजसेवी-शिक्षक सी. सदानंदन मास्टर.

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 80(1)(ए) के तहत राष्ट्रपति को यह विशेषाधिकार प्राप्त है कि वे ऐसे 12 व्यक्तियों को राज्यसभा के लिए नामित करें, जिन्होंने कला, साहित्य, विज्ञान और सामाजिक सेवा जैसे क्षेत्रों में असाधारण उपलब्धियां हासिल की हों. इन नामांकनों से न सिर्फ संसद को विविध विशेषज्ञताओं का लाभ मिलेगा, बल्कि यह कदम देश के नीतिगत विमर्श को और अधिक समृद्ध करेगा.

उज्ज्वल निकम: कानून की दुनिया के जुझारू योद्धा

उज्ज्वल निकम का नाम सुनते ही भारत के सबसे चर्चित आपराधिक मामलों की याद ताज़ा हो जाती है. उन्होंने विशेष सरकारी वकील के रूप में 600 से अधिक मामलों में महाराष्ट्र सरकार का प्रतिनिधित्व किया है. उन्हें सबसे ज़्यादा प्रसिद्धि 26/11 मुंबई आतंकी हमले के मामले में मिली, जहां उन्होंने अजमल कसाब को दोषी ठहराने में अहम भूमिका निभाई.

इसके अलावा 1993 मुंबई बम धमाकों, प्रेरणा मर्डर केस और जलगांव सेक्स स्कैंडल जैसे संवेदनशील मामलों में भी उन्होंने अपने मजबूत तर्क और कानूनी रणनीति से न्याय सुनिश्चित किया. कानून में उनके दशकों के अनुभव और अपराध से लड़ने की उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें देश का एक भरोसेमंद अभियोजक बना दिया है.

हर्षवर्धन श्रृंगला: भारत की विदेश नीति के मूक शिल्पकार

1984 बैच के IFS अधिकारी हर्षवर्धन श्रृंगला ने भारत की विदेश सेवा में चार दशक बिताए हैं. वे अमेरिका और बांग्लादेश जैसे रणनीतिक रूप से अहम देशों में भारत के राजदूत रह चुके हैं. जनवरी 2020 से अप्रैल 2022 तक भारत के विदेश सचिव रहते हुए उन्होंने कोविड-19 जैसे वैश्विक संकट के दौर में भारत की विदेश नीति को दिशा दी.

उनका अनुभव बहुपक्षीय मंचों और संकट प्रबंधन दोनों में रहा है. उन्होंने "वैक्सीन मैत्री" और पड़ोसी देशों के साथ संतुलन साधने जैसे कार्यक्रमों में कुशल नेतृत्व दिखाया. राज्यसभा में उनका प्रवेश भारत की विदेश नीति संबंधी चर्चाओं को नई दिशा दे सकता है.

डॉ. मीनाक्षी जैन: इतिहास के वैकल्पिक विमर्श की आवाज़

डॉ. मीनाक्षी जैन भारतीय इतिहास लेखन के एक वैचारिक आंदोलन की अग्रणी चेहरा हैं. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के गार्गी कॉलेज में अध्यापन किया है और ICHR व ICSSR जैसी संस्थाओं से भी जुड़ी रही हैं. उनके शोध कार्य मुख्यतः भारत की सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक विरासत पर केंद्रित रहे हैं.

वे परंपरागत वामपंथी इतिहास दृष्टिकोण की आलोचना करते हुए नई ऐतिहासिक व्याख्याएं प्रस्तुत करती हैं. उनकी किताबें अयोध्या विवाद, सती प्रथा और इस्लामी आक्रमणों की ऐतिहासिक समीक्षा पर केंद्रित रही हैं. 2020 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया, जो उनके वैकल्पिक इतिहास विमर्श की मान्यता थी.

सी. सदानंदन मास्टर: शिक्षा और सामाजिक चेतना के पथ प्रदर्शक

केरल के त्रिशूर जिले के निवासी सी. सदानंदन मास्टर सिर्फ एक शिक्षक नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना के प्रतिनिधि हैं. राजनीतिक हिंसा में घायल होने के बावजूद उन्होंने शिक्षा और समाज सेवा का रास्ता नहीं छोड़ा. वे 1999 से दुर्गा विलासम हायर सेकेंडरी स्कूल में सामाजिक विज्ञान पढ़ा रहे हैं और नेशनल टीचर्स यूनियन के उपाध्यक्ष भी हैं.

उन्होंने अध्यापक संघ की मासिक पत्रिका ‘देशीय अध्यापक वर्था’ के संपादक के रूप में भी शिक्षा के मुद्दों पर लगातार कलम चलाई है. उनके विचार और कार्य शिक्षा की शक्ति के माध्यम से सामाजिक बदलाव का प्रेरणादायक उदाहरण हैं. उनका नामांकन शिक्षा और जमीनी बदलाव की आवाज़ को संसद में पहुंचाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है.

India News
अगला लेख