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शिवसेना वाले शिंदे अब क्या करेंगे? दिल्ली जाएंगे या डिमोशन कर लेंगे एक्‍सेप्ट-पढ़िए अभी कितने हैं Options

Eknath Shinde: एकनाथ शिंदे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऐलान किया कि सीएम पद को लेकर मोदी और शाह जो भी फैसला लेंगे वह शिवसेना को मंजूर होगा. इस बीच पिछले तीन दिनों से चुप्पी साधे हुए एकनाथ शिंदे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कई सवालों पर विराम लगा दिया है. लेकिन इससे एक सवाल सामने आया कि शिंदे साहब का आगे क्या होगा?

शिवसेना वाले शिंदे अब क्या करेंगे? दिल्ली जाएंगे या डिमोशन कर लेंगे एक्‍सेप्ट-पढ़िए अभी कितने हैं Options
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Eknath Shinde
सचिन सिंह
Edited By: सचिन सिंह

Updated on: 28 Nov 2024 12:23 PM IST

Eknath Shinde: एकनाथ संभाजी शिंदे, आज से ढाई साल पहले महाराष्ट्र की राजनीति का केंद्र और देश भर में चर्चा का विषय बन गए. वो वक्त था जब बीजेपी के लिए वो भगवान थे, लेकिन इस बार चुनाव में उनकी हालत 'चूसे हुए आम' की तरह हो गई है. महाराष्ट्र की राजनीति में BJP की 'उपयोग करो और साइड करो' नीति शिंदे पर बिल्कुल फिट बैठती दिख रही है.

एकनाथ शिंदे के प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन पर बन रहे दबाव और उनकी मजबूरी साफ दिख रही थी. शिंदे ने कहा कि उन्होंने पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से बात की है और वो पार्टी वे महायुति के सीनियर लीडर हैं. ऐसे में वो जो फैसला करेंगे वही उन्हें और गठबंधन के अन्य सहयोगियों को मंजूर होगा. बीजेपी इन सब के बीच मामले के शांत होने का इंतजार कर रही है. एकनाथ शिंदे से डील फाइनल करने में लगी है.

क्या हो सकता है एकनाथ शिंदे की फ्यूचर प्लानिंग?

  1. गृह मंत्रालय का प्रस्ताव ठुकरा चुके शिंदे की नजर केंद्र पर हो सकती है और कैबिनेट मंत्रालय के जरिए केंद्र में अपनी स्थिति मजबूत कर सकते हैं.
  2. इसके अलावा एकनाथ शिंदे फिलहाल महाराष्ट्र की राजनीति पर फोकस कर सकते हैं, ताकि अपनी पार्टी शिवसेना को और मजबूत कर सकें.
  3. महाराष्ट्र में कुछ ही महीनों में नगर निकाय के चुनाव भी होने हैं. ऐसे में पार्टी को प्रदर्शन को लेकर शिंदे रणनीति बनाने और बेहतर प्रदर्शन के लिए आगे बढ़ सकते हैं.
  4. शिंदे सीएम पद के लिए 50-50 का गेम खेल सकते हैं, यानी कि ढाई साल शिवसेना का सीएम और ढाई साल बीजेपी का सीएम वाला फॉर्मुला अपना सकते हैं. इसके लिए बीजेपी के सामने 5 साल तक शिंदे सेना को एकजुट रखने का वादा कर सकते हैं.
  5. एकनाथ शिंदे सीएम पद या डिप्टी सीएम नहीं लेकिन पावर की मांग कर सकते हैं. ऐसे में वो गठबंधन के चीफ कॉर्डिनेटर का पद या केंद्र में भूमिका की मांग कर सकते हैं.
  6. शिंदे पार्टी कुछ बड़े विभागों की मांग कर सकती है. इनमें राजस्व, वित्त और जल संसाधन जैसे विभाग शामिल हैं.
  7. खुद को साइड करके बेटे को फ्रंट पर लाने की रणनीति भी शिंदे की हो सकती है. ऐसे में शिंदे अपने सांसद बेटे श्रीकांत को नई सरकार में डिप्टी सीएम बनवाने का दबाव बना सकते हैं. वो फिलहाल लोकसभा के सांसद हैं.

शिंदे की शिवसेना को महाराष्ट्र चुनाव में 57 सीटें मिली हैं. वहीं भारतीय जनता पार्टी (BJP) को 132 और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) (अजीत पवार) 41 सीटों पर चुनाव जीती है. ऐसे में 288 सीटों में सरकार बनाने के लिए 145 सीटें चाहिए. जहां बीजेपी को अकेले सरकार बनाने के लिए 13 सीटें कम है. यहां अजीत पवार का सीधा समर्थन बीजेपी को मिल रहा है.

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