Begin typing your search...

छावा का ट्रेलर लॉन्च, कौन थे संभाजी महाराज और किसलिए हुआ औरंगजेब से युद्ध? पढ़िए कहानी सदियों पुरानी

शिवाजी की मृत्यु के बाद, संभाजी महाराज ने मराठा साम्राज्य की बागडोर संभाली. इस इतिहास को लेकर विक्की कौशल की फिल्म छावा का ट्रेलर लॉन्च हुआ है. इसमें वो संभाजी महाराज के रोल में नजर आएंगे और अक्षय खन्ना औरंगजेब के रोल में नजर आने वाले हैं. आइये आपको इतिहास से रूबरू करवाते हैं.

छावा का ट्रेलर लॉन्च, कौन थे संभाजी महाराज और किसलिए हुआ औरंगजेब से युद्ध? पढ़िए कहानी सदियों पुरानी
X
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Updated on: 23 Jan 2025 7:53 AM IST

17वीं शताब्दी में भारत में मुग़ल साम्राज्य अपनी चरम पर था. इसी समय, मराठा साम्राज्य ने एक स्वतंत्र पहचान और शक्ति के रूप में उभरना शुरू किया. इस संघर्ष में औरंगजेब और शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी महाराज के बीच टकराव इतिहास का महत्वपूर्ण अध्याय है.

इस इतिहास को लेकर विक्की कौशल की फिल्म छावा का ट्रेलर लॉन्च हुआ है. इसमें वो संभाजी महाराज के रोल में नजर आएंगे और अक्षय खन्ना औरंगजेब के रोल में नजर आने वाले हैं. आइये आपको इतिहास से रूबरू करवाते हैं.

मराठा साम्राज्य की बागडोर

औरंगजेब ने भारत में अपने साम्राज्य का विस्तार करने और पूरे उपमहाद्वीप पर इस्लामिक शासन स्थापित करने का प्रयास किया. दक्षिण भारत में मराठा साम्राज्य उसके लिए सबसे बड़ा चुनौती बन गया. शिवाजी महाराज के नेतृत्व में मराठों ने पहले ही मुग़लों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंक दिया था. शिवाजी की मृत्यु के बाद, संभाजी महाराज ने मराठा साम्राज्य की बागडोर संभाली.

मुगलों से डटकर लड़े

संभाजी महाराज को उनके पिता शिवाजी महाराज से एक संगठित और ताकतवर साम्राज्य विरासत में मिला. वे एक वीर योद्धा और कुशल रणनीतिकार थे. उनकी शासन शैली में स्पष्टता और मराठा संस्कृति के प्रति गहरी निष्ठा थी. संभाजी ने मुग़लों के आक्रमण का डटकर सामना किया और मराठा साम्राज्य की रक्षा की.

गुरिल्ला युद्ध ने कई बार दी मात

संभाजी महाराज के शासनकाल में औरंगजेब ने मराठा साम्राज्य को समाप्त करने के लिए दक्षिण भारत पर अपनी पूरी ताकत झोंक दी. 1681 में औरंगजेब ने खुद दक्षिण भारत में डेरा डाल दिया. उसने मराठा किलों पर हमला किया, लेकिन संभाजी महाराज ने गुरिल्ला युद्ध की रणनीति अपनाकर औरंगजेब की सेनाओं को बार-बार मात दी. यह रणनीति औरंगजेब के लिए भारी चुनौती साबित हुई. मराठों की छोटी लेकिन कुशल सेना ने मुग़ल सैनिकों को कई बार पराजित किया.

संभाजी महाराज की हत्या

1689 में संभाजी महाराज को संगमेश्वर में मुग़ल सेनाओं ने पकड़ लिया. उनकी गिरफ्तारी मराठा साम्राज्य के लिए एक बड़ा झटका था. औरंगजेब ने उन्हें इस्लाम अपनाने का प्रस्ताव दिया, जिसे संभाजी महाराज ने दृढ़ता से ठुकरा दिया. संभाजी महाराज ने अपनी अंतिम सांस तक अपने धर्म और मराठा स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया. औरंगजेब ने उन्हें क्रूर यातनाएं दीं, लेकिन वे अपने आदर्शों से नहीं डिगे. 11 मार्च 1689 को उन्हें मृत्युदंड दिया गया. उनका बलिदान मराठा साम्राज्य के लिए प्रेरणा बना और इसके बाद मराठा आंदोलन और अधिक तेज़ हुआ.

मुगलों की पराजय

संभाजी महाराज की मृत्यु के बाद मराठा साम्राज्य ने कमजोर पड़ने के बजाय अपनी शक्ति को पुनर्गठित किया. राजाराम महाराज और अन्य मराठा नेताओं ने इस संघर्ष को आगे बढ़ाया. अंततः मुग़ल साम्राज्य कमजोर पड़ने लगा और मराठों ने एक प्रमुख शक्ति के रूप में खुद को स्थापित किया. औरंगजेब और संभाजी महाराज के बीच संघर्ष भारतीय इतिहास का एक ऐसा अध्याय है, जिसने यह दिखाया कि किसी भी साम्राज्य को केवल ताकत के दम पर नहीं झुकाया जा सकता. अब छावा फिल्म में इस इतिहास को फिर से ताजा करने का प्रयास किया गया है.

India News
अगला लेख