मुस्लिम कोटा को लेकर क्या है विवाद, जिसे लेकर बीजेपी लगातार कांग्रेस को बना रही है निशाना?
BJP vs Congress: SC/ST के कोटे में कटौती करने की कोशिश का आरोप लगाते हुए बीजेपी लगातार कांग्रेस को निशाना बना रही है. साथ ही आरोप है कि कांग्रेस मुस्लिम कोटा को बढ़ाकर इनके कोटे के कटौती करने की कोशिश की है.

BJP vs Congress: कांग्रेस साल 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी पर संविधान खत्म करने जैसे आरोप लगाती रही, इस बीच बीजेपी को भी 'मुस्लिम कोटा विवाद' एक ऐसा मुद्दा है, जिसे लेकर कांग्रेस भी सत्ता पक्ष के निशाने पर रही है. इस बीच लोकसभा के शीतकालीन सत्र में भी ये मुद्दा जोरों शोरों से चला.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कांग्रेस पर आरक्षण विरोधी होने का आरोप लगाया और दावा किया कि वह ओबीसी का कल्याण नहीं चाहती और मुसलमानों को आरक्षण देने के लिए 50% कोटा सीमा बढ़ाने की बात भी कर रही है.
क्या है मुस्लिम कोटा विवाद?
बीजेपी ने पिछले कुछ समय से कांग्रेस के खिलाफ हमले की यह नीति अपनाई है. आंध्र प्रदेश (तेलंगाना सहित) में मुसलमानों के लिए आरक्षण का प्रस्ताव पहली बार 1993-1994 में आया था, जब कोटला विजय भास्कर रेड्डी-कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय की स्थापना की थी.
अगस्त 1994 में मुसलमानों और 14 अन्य जातियों को शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 5% कोटा प्रदान करने वाला एक सरकारी आदेश जारी किया गया था. इसे लागू नहीं किया जा सका क्योंकि कांग्रेस 1994 और 1999 में हार गई थी.
मुस्लिम कोटा को लेकर कांग्रेस
कांग्रेस ने 2004 में मुसलमानों के लिए 5% कोटा को चुनावी वादा बनाया था. आंध्र प्रदेश में जब वाई एस राजशेखर रेड्डी ने पार्टी को सत्ता में लाया तो उन्होंने घोषणा की कि इसे दो महीने के भीतर लागू किया जाएगा. वाईएसआर सरकार में मंत्री रहे और अल्पसंख्यक मामलों पर मौजूदा तेलंगाना कांग्रेस सरकार के सलाहकार मोहम्मद अली शब्बीर के अनुसार, केंद्र में सत्ता में आई यूपीए सरकार ने आरक्षण को पूरा समर्थन दिया.
हालांकि, इसे लेकर कई व्यक्तियों ने हाई कोर्ट का रुख किया और कोर्ट ने सरकार से कोटा घटाकर 4% करने को कहा क्योंकि यह 50% की सीमा का उल्लंघन था. सरकार का कहना था कि आरक्षण के पीछे का विचार मुसलमानों में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े लोगों को सशक्त बनाना था. तेलुगु देशम पार्टी और अन्य ने धर्म के आधार पर कोटा को अवैध बताते हुए इसका विरोध करना जारी रखा और कहा कि इससे राज्य में sc/ST और पिछड़े वर्गों की हिस्सेदारी प्रभावित होगी.
कांग्रेस ने की थी केंद्र में OBC कोटे में मुस्लिमों के आरक्षण की बात
2009 के लोकसभा चुनावों के लिए अपने घोषणापत्र में कांग्रेस ने नौकरियों और शिक्षा में मुसलमानों के लिए राष्ट्रव्यापी आरक्षण का वादा किया था. इसके लिए 27% ओबीसी कोटे के भीतर एक मुस्लिम उप-कोटा बनाने का था. UPA सरकार ने अक्टूबर 2004 में धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए राष्ट्रीय आयोग की स्थापना की, जिसे रंगनाथ मिश्रा पैनल के नाम से जाना जाता है.
मिश्रा पैनल ने सरकारी नौकरियों और गैर-अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों में मुसलमानों के लिए 10% और अन्य अल्पसंख्यकों के लिए 5% कोटा की सिफारिश की. इसके लिए ओबीसी कोटे के भीतर एक उप-कोटा बनाने का सलाह दिया गया.
बीजेपी का आरोप
बीजेपी का आरोप है कि कांग्रेस शुरू से ही सरकार SC/ST/OBC के कोटे में से आरक्षण का हिस्सा मुस्लिमों को देना चाहती है और ये मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति का हिस्सा है. इसे लेकर लोकसभा चुनाव से ही बीजेपी कांग्रेस को घेरने का काम कर रही है.
कर्नाटक में क्या हुआ?
कर्नाटक में मार्च 2023 में विधानसभा चुनावों से पहले राज्य की तत्कालीन भाजपा सरकार ने '2बी' पिछड़ा क्लास कैटेगरी के तहत मुसलमानों को दिए गए 4% आरक्षण को खत्म कर दिया और समुदाय को सामान्य कैटेगरी के ईडब्ल्यूएस के लिए 10% कोटा पूल में ट्रांसफर कर दिया. इसके बाद सरकार बदली और फिर सिद्धारमैया सरकार ने कोटा बहाल करने का प्रस्ताव पेश किया, जिससे सियासी घमासान शुरू हो गया.