वाह भाई वाह, जोगीरा सा रा रा रा रा..., भोजपुरी संगीत और संस्कृति का होली से क्या है नाता?
भोजपुरी संस्कृति में होली सिर्फ रंगों का नहीं, बल्कि गीतों का भी त्योहार है. पारंपरिक फगुआ, धमार और चौताल से लेकर आधुनिक फिल्मी गानों तक, हर धुन होली की मस्ती बढ़ाती है. ढोलक-मंजीरा संग देवर-भाभी की ठिठोली और कृष्ण-राधा की लीलाएं इन गीतों की खासियत हैं. ये न केवल मनोरंजन बल्कि सांस्कृतिक धरोहर भी हैं.

होली का त्यौहार हो और भोजपुरी गीतों की बात नहीं निकले ये कहना बेमानी होगी. रंगों से सराबोर होकर होरी और फगुआ के गीत गाते हुए लोग इस पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. वैसे तो होली राजस्थान, यूपी, बिहार, झारखंड समते पूरे देशभर में धूमधाम से मनाई जाती है लेकिन बिहार में ये पर्व बहुत खास हो जाता है. यहां लोकगीतों और संगीत का अनमोल खजाना है. पारंपरिक होली गीतों के बिना इस त्योहार की कल्पना अधूरी मानी जाती है. फगुआ, चौताल, धमार और होरी जैसे लोकगीत सदियों से इस क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान बने हुए हैं. जब गांव के बुजुर्ग ढोल लेकर हई रे हई रे हे...सा रा रा रा रा, सदा आनंद रहे येही द्वारे मोहन खेले होली हो... जैसे गीत गाते हैं तो पूरा माहौल बदल जाता है.
होली के दौरान भोजपुरी गीतों की गूंज गांव-गांव में सुनाई देती है. पारंपरिक फगुआ गीतों से लेकर आधुनिक होली स्पेशल गानों तक, हर धुन में उमंग और मस्ती झलकती है. कहा जाता है कि भोजपुरी समाज में होली का असली रंग तब चढ़ता है जब ढोलक, मंजीरा और हारमोनियम के साथ फगुआ की महफिल सजती है. भोजपुरी फिल्मों और एलबमों ने भी होली गीतों को नई ऊंचाइयां दी हैं, जिससे यह परंपरा और भी लोकप्रिय होती जा रही है.
भोजपुरी होली गीतों की खासियत
भोजपुरी होली गीत सिर्फ संगीत नहीं, बल्कि इस त्योहार की आत्मा हैं. ये गीत ना सिर्फ मस्ती और उल्लास से भरपूर होते हैं, बल्कि समाज, संस्कृति और परंपराओं को भी जीवंत बनाए रखते हैं. भोजपुरी संस्कृति में होली गीत सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि समाज और परंपरा का आईना भी होते हैं. इन गीतों की कुछ खास बातें इस प्रकार हैं.
मौज-मस्ती और हंसी-ठिठोली: भोजपुरी होली गीतों में हंसी-ठिठोली, छेड़छाड़ और हास्य रस भरपूर होता है. देवर-भाभी की नोकझोंक, दोस्ताना मजाक और रिश्तों की गर्माहट इनमें साफ झलकती है.
पारंपरिक धुन और लोकवाद्य: इन गीतों की धुनें पूरी तरह से पारंपरिक होती हैं. ढोलक, मंजीरा, झाल और हारमोनियम जैसे लोक वाद्य यंत्रों का प्रमुखता से इस्तेमाल किया जाता है, जो इन्हें और भी आकर्षक बनाते हैं.
फगुआ, धमार और चौताल की विरासत: होली के दौरान गाए जाने वाले प्रमुख गीतों में फगुआ, धमार और चौताल शामिल हैं. ये शास्त्रीय और लोक संगीत का अद्भुत संगम हैं, जो होली के उत्साह को और भी बढ़ाते हैं.
भक्ति और श्रृंगार का मेल: जहां एक ओर होली के भक्ति गीतों में भगवान कृष्ण और राधा की लीलाओं का वर्णन होता है, वहीं दूसरी ओर श्रृंगार रस से भरपूर गीतों में प्रेम, आकर्षण और रिश्तों की मिठास झलकती है.
फिल्मी और मॉडर्न ट्विस्ट: भोजपुरी फिल्मों और एलबमों ने पारंपरिक होली गीतों को नए रंग में ढाला है. आजकल पारंपरिक गीतों के साथ-साथ डांस बीट्स पर आधारित नए भोजपुरी होली सॉन्ग्स भी बेहद लोकप्रिय हो रहे हैं, जो युवाओं को खूब आकर्षित करते हैं.
कौन कौन हैं फेमस गीत?
होली पर अमूमन इन गीतों को गाया जाता है. फागुन में रस बरसे, होरी खेले रघुवीरा अवध में, अरे रसिया रंग डारि ना, चलू होरी खेली आईल बंसती बयार, फागुन में रंग बरसे, होली में उड़े रे गुलाल, देवरवा रंग डालेल और भर भर के भांग पिसाए से लेकर कई ऐसे गीत हैं जो रंग के उत्साह को और दोगुना कर देता है.