'अरुण जेटली को बताया था कि मैं लंदन जा रहा हूं', पॉडकास्ट में विजय माल्या का दावा; लुकआउट बदलने का भी किया खुलासा
राज समानी के पॉडकास्ट में विजय माल्या ने खुलासा किया कि भारत छोड़ने से पहले उन्होंने वित्त मंत्री अरुण जेटली को इसकी जानकारी दी थी. उन्होंने LOC में बदलाव और सुप्रीम कोर्ट सुनवाई से जुड़े आरोपों को खारिज किया. माल्या ने खुद को भगोड़ा कहे जाने को गलत बताया और कहा कि उनकी मंशा हमेशा बैंकों से समझौता करने की थी, भागने की नहीं.

राज समानी के पॉडकास्ट में विजय माल्या ने पहली बार विस्तार से यह बताया कि 2016 में भारत छोड़ने से पहले उन्होंने तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली से संसद में मुलाकात की थी और उन्हें बताया था कि कि वे लंदन जा रहे हैं. माल्या का दावा है कि उन्होंने जेटली से गुजारिश की थी कि वे बैंकों से कहें कि वे उनके साथ बैठकर मामला सुलझाएं. उन्होंने यह भी कहा कि वे जिनेवा में पहले से तय FIA की बैठक में भाग लेने जा रहे थे और फिर भारत लौटने का इरादा था.
माल्या ने LOC (लुकआउट सर्कुलर) को लेकर बड़ा खुलासा किया. उन्होंने बताया कि पहले CBI ने उनके खिलाफ LOC जारी की थी जिसमें साफ निर्देश था कि उन्हें देश छोड़ने से रोका जाए. लेकिन नवंबर 2015 में इस सर्कुलर में बदलाव कर दिया गया और उसमें सिर्फ इतना जोड़ा गया कि यदि माल्या देश से बाहर जाना चाहें तो उनकी जानकारी CBI को दी जाए, लेकिन उन्हें रोका न जाए. माल्या ने कहा कि उन्हें LOC के बदले जाने की जानकारी अब तक नहीं थी और वे इस दौरान कई बार विदेश गए थे.
देश छोड़कर भागने की बात किया ख़ारिज
पॉडकास्ट में माल्या ने इस दावे को सिरे से खारिज किया कि सुप्रीम कोर्ट में उनकी पेशी से ठीक एक दिन पहले वे जानबूझकर देश छोड़कर भागे. उन्होंने कहा कि उन्हें किसी कोर्ट से समन नहीं मिला था और न ही 2 मार्च 2016 को देश छोड़ने से पहले कोई सुनवाई तय थी. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मीडिया ने उनके मामले को सनसनीखेज बनाकर पेश किया और उन्हें “भगोड़ा” साबित करने की कोशिश की.
अरुण जेटली से कैसे हुई थी मुलाकात?
अरुण जेटली से हुई मुलाकात पर उन्होंने साफ किया कि यह कोई औपचारिक बैठक नहीं थी बल्कि संसद भवन में एक 'फ्लीटिंग' या तात्कालिक टकराव था, जिसमें उन्होंने बस इतना कहा कि वे जा रहे हैं और चाहेंगे कि बैंक उनके साथ समझौता करें. उन्होंने यह भी कहा कि जेटली ने पहले इस मुलाकात से इनकार किया था लेकिन बाद में कांग्रेस सांसद के दावे के बाद स्वीकार किया कि यह मुलाकात हुई थी.
भारत लौटने के लिए ED से मांगा था समय
माल्या ने यह भी स्पष्ट किया कि वे 1988 से यूके में रह रहे हैं और 1992 में उन्हें 'इंडेफिनिट लीव टू रिमेन' का दर्जा मिल चुका था. भारत में वे सिर्फ 180 दिन ही रहते थे और वे भारतीय नागरिकता इसलिए बनाए रखे हुए थे क्योंकि वे संसद सदस्य थे. उन्होंने कहा कि वे देश छोड़ने के बाद भी भारत लौटना चाहते थे और प्रवर्तन निदेशालय (ED) से समय मांगा था ताकि वे विदेशी कंपनियों से अपने शेयर बेचकर बैंकों का बकाया चुका सकें.
सरकार चाहती तो लौट जाता भारत
पॉडकास्ट में विजय माल्या ने दावा किया कि उनका पासपोर्ट रद्द कर दिया गया, जिससे वे वापस भारत नहीं लौट सके. उन्होंने कहा कि यदि सरकार की मंशा साफ होती तो उन्हें वापस बुलाया जा सकता था, लेकिन सरकार ने केवल दिखावे के लिए उनके प्रत्यर्पण पर करोड़ों रुपये खर्च किए. माल्या ने दो टूक कहा कि उन पर कोई 'प्राइमे फेशी' (प्रारंभिक स्तर का) अपराध साबित नहीं हुआ है, न उन्होंने बैंक से चोरी की, न मनी लॉन्ड्रिंग की और न ही किसी हिंसक अपराध में शामिल रहे हैं.