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Vice President election: CP राधाकृष्णन Vs सुदर्शन रेड्डी, कौन मारेगा बाजी, कैसे होता है उपराष्‍ट्रति का चुनाव? समझिए पूरी प्रक्रिया

भारत में उपराष्ट्रपति चुनाव आज यानी 9 सितंबर को हो रहा है. NDA ने CP राधाकृष्णन और इंडिया ब्लॉक ने सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाया है. चुनाव संसद के दोनों सदनों के सांसदों द्वारा अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली और सिंगल ट्रांसफरेबल वोट से होता है. मतदान गुप्त होता है. उम्मीदवार बनने के लिए भारत का नागरिक होना, 35 वर्ष से अधिक उम्र होना और राज्यसभा सदस्य की योग्यता आवश्यक है. चुनाव आयोग पूरी प्रक्रिया की निगरानी करता है.

Vice President election: CP राधाकृष्णन Vs सुदर्शन रेड्डी, कौन मारेगा बाजी, कैसे होता है उपराष्‍ट्रति का चुनाव? समझिए पूरी प्रक्रिया
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( Image Source:  Social Media )
सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Updated on: 9 Sept 2025 7:30 AM IST

भारत के अगले उपराष्ट्रपति के चुनाव की सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. आज यानी 9 सितंबर 2025 को संसद के दोनों सदनों के सदस्य मतदान कर नए उपराष्ट्रपति का चुनाव करेंगे. यह चुनाव इसलिए कराना पड़ रहा है क्योंकि पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपना कार्यकाल बीच में छोड़ दिया था. उनका कार्यकाल 2027 तक चलना था, लेकिन अस्वस्थता के चलते उन्‍होंने समय से पहले ही इस्‍तीफा दे दिया.

इस बार दो प्रमुख उम्मीदवार मैदान में हैं. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन ने CP राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया है. राधाकृष्णन कई राज्यों के राज्यपाल रह चुके हैं और राजनीतिक व प्रशासनिक अनुभव रखते हैं. वहीं, कांग्रेस के नेतृत्व वाले INDIA गठबंधन ने सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार घोषित किया है. रेड्डी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश रह चुके हैं और न्यायिक अनुभव का लाभ लेकर चुनाव में उतर रहे हैं.

उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है?

भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव एक विशेष प्रक्रिया के तहत होता है. इसमें संसद के दोनों सदनों - लोकसभा और राज्यसभा - के सभी सदस्य मिलकर एक इलेक्‍टोरल कॉलेज (Electoral College) बनाते हैं. इस चुनाव में राज्यों की विधानसभाओं के सदस्य मतदान नहीं करते. चुनाव का तरीका “अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली” (Proportional Representation System) पर आधारित होता है और मतदान “सिंगल ट्रांसफरेबल वोट” (Single Transferable Vote) से किया जाता है. मतदान गुप्त रूप से होता है ताकि सांसद स्वतंत्र होकर मतदान कर सकें. चुनाव आयोग पूरी प्रक्रिया का संचालन करता है और यह सुनिश्चित करता है कि हर चरण पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से हो.

मतदान में कौन भाग लेता है?

उपराष्ट्रपति चुनाव में भाग लेने का अधिकार सिर्फ संसद के दोनों सदनों के सदस्यों को होता है. यानी लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसद मतदान कर सकते हैं. इसके अतिरिक्त, कोई भी राज्य का विधायक या अन्य संस्थाओं का सदस्य इसमें शामिल नहीं होता. दिलचस्प बात यह है कि उपराष्ट्रपति संसद के किसी भी सदन का सदस्य नहीं होता. यदि कोई सांसद या विधायक उपराष्ट्रपति के लिए चुना जाता है, तो उसे उस पद पर शपथ लेने की तिथि से अपने पुराने पद को खाली करना पड़ता है.

वोटों की गिनती कैसे होती है?

मतों की गिनती भी विशेष प्रक्रिया से की जाती है. पहले चरण में प्रत्येक उम्मीदवार को प्राप्त पहले पसंद के मतों की गिनती की जाती है. उसके बाद सभी मतों का जोड़ कर उसे दो से विभाजित किया जाता है और उसमें एक जोड़ा जाता है. शेष अंश को नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है. जो संख्या प्राप्त होती है, वह चुनाव जीतने के लिए आवश्यक ‘कोटा’ होती है.

यदि किसी उम्मीदवार को पहले चरण में ही यह कोटा प्राप्त हो जाता है तो वह निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है. अन्यथा, दूसरे या तीसरे चरण में कम मत पाने वाले उम्मीदवार को बाहर कर उसके मतों को दूसरी पसंद के आधार पर अन्य उम्मीदवारों में स्थानांतरित किया जाता है.

उम्मीदवार बनने के लिए कौन-कौन शर्तें आवश्यक हैं?

उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनने के लिए कुछ स्पष्ट शर्तें हैं, जिन्हें पूरा करना जरूरी होता है. उम्मीदवार भारत का नागरिक होना चाहिए. उसकी आयु कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए. इसके अलावा वह राज्यसभा के सदस्य के लिए योग्य होना चाहिए. साथ ही, यदि कोई व्यक्ति भारत सरकार, किसी राज्य सरकार या किसी स्थानीय निकाय में लाभ का पद धारण कर रहा है तो वह उपराष्ट्रपति पद के लिए योग्य नहीं माना जाएगा. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि चुनाव में निष्पक्षता बनी रहे और उम्मीदवार किसी सरकारी प्रभाव में न हो.

इस बार की राजनीतिक पृष्ठभूमि

चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही राजनीति गरमा गई है. एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच यह चुनाव एक प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है. भाजपा ने राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है जबकि विपक्ष ने सुदर्शन रेड्डी के नाम पर सहमति बनाई है. चुनाव परिणाम भले ही संख्या के आधार पर तय हों, लेकिन इस बार विचारधारा और नेतृत्व की लड़ाई भी प्रमुख है.

संसदीय हलकों में चर्चा है कि एनडीए का बहुमत राधाकृष्णन की जीत सुनिश्चित करेगा. वहीं विपक्ष इस चुनाव को लोकतांत्रिक संस्थाओं की रक्षा और संविधान के मूल्यों को सामने लाने का अवसर मान रहा है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उपराष्ट्रपति चुनाव सिर्फ एक संवैधानिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि भारत की लोकतांत्रिक परंपरा को मजबूत करने का एक बड़ा अवसर है.

चुनाव आयोग की भूमिका

भारत का चुनाव आयोग पूरी प्रक्रिया की निगरानी करता है. मतदान स्थल से लेकर मतों की गिनती तक आयोग के निर्देशों का पालन किया जाता है. सांसदों की पहचान, मतदान पत्र की सुरक्षा, मतदान प्रक्रिया की गोपनीयता और मतों की गणना में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाती है. चुनाव आयोग की भूमिका चुनाव की विश्वसनीयता बनाए रखने में महत्वपूर्ण है. यह पूरी प्रक्रिया न केवल संवैधानिक नियमों के तहत चलती है बल्कि यह लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने वाला कदम भी है.

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