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अचानक धमाके जैसी आवाज आई, 4 फीट तक मलबा... किश्तवाड़ में बादल फटने के बाद दहशत में लोग, पीड़ितों ने बताया तबाही का खौफनाक मंजर

उत्तरकाशी जहां बदल फटने से तबाही का मंजर देखने को मिला ठीक ही चंद दिनों बाद जम्मू जम्मू संभाग का किश्तवाड़ जिला, पड्डर घाटी का चशोटी इलाका में बादल फटने से बड़ी त्राशदी सामने आई है, जिसमें दो जवान समेत 56 लोगों की मौत हो गई है और कई लोग मलबे में दबे हुए हैं.

अचानक धमाके जैसी आवाज आई, 4 फीट तक मलबा... किश्तवाड़ में बादल फटने के बाद दहशत में लोग, पीड़ितों ने बताया तबाही का खौफनाक मंजर
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रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Updated on: 15 Aug 2025 9:26 AM IST

14 अगस्त की दोपहर लोग अपने-अपने काम में लगे हुए थे तब किसी को अंदाजा नहीं था कि जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिला, पड्डर घाटी का चशोटी इलाका एक बड़ी तबाही का शिकार होगा. चशोटी गांव में माहौल बिल्कुल सामान्य था क्योंकि पास ही मचैल माता यात्रा चल रही थी और हर साल की तरह इस बार भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आए हुए थे. इसी दौरान अचानक आसमान में काले बादल जमा होने लगे। किसी को अंदाजा भी नहीं था कि कुछ ही मिनटों में यहां तबाही आ जाएगी.

करीब 12:30 बजे एक तेज धमाके जैसी आवाज सुनाई दी. यह आवाज इतनी जोरदार थी कि दूर-दूर तक गूंज उठी. लोग समझ ही नहीं पाए कि क्या हुआ. जैसे ही लोग चौककर देखने लगे, पहाड़ के ऊपरी हिस्से से जबरदस्त पानी का बहाव नीचे आने लगा. इस पानी के साथ मिट्टी, पत्थर, रेत, और पेड़ भी भरभराकर गिरने लगे. यह असल में बादल फटने की घटना थी, जिसमें बहुत कम समय में बेहद भारी मात्रा में पानी गिरता है और पहाड़ी ढलानों से मलबा तेज रफ्तार से नीचे आ जाता है.

मलबे के नीचे दबी कई जिंदगियां

कुछ ही मिनटों में पानी और मलबा इतना फैल गया कि इलाके में 4 फीट तक कीचड़ और पत्थरों की परत जम गई. लोगों के घर, दुकानें, तंबू, लंगर स्थल, और रास्ते सब कुछ इस मलबे के नीचे दब गए. हर तरफ अफरा-तफरी मच गई महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग सभी जान बचाने के लिए भागने की कोशिश करने लगे. लेकिन इस सैलाब जैसी स्थिति में हर कोई सुरक्षित बाहर नहीं निकल पाया. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस आपदा में 56 लोगों की मौत हुई. मारे गए लोगों में CISF के दो जवान भी शामिल हैं. अभी भी 200 से ज्यादा लोग लापता हैं, जिनकी तलाश रेस्क्यू टीमें कर रही हैं. इसके अलावा 100 लोग घायल हैं, जिनमें कई की हालत गंभीर है. घायलों का इलाज पड्डर के उप-जिला अस्पताल और किश्तवाड़ जिला अस्पताल में किया जा रहा है.

छलका पीड़ितों का दर्द

एक पीड़ित ने अपनी आपबीती सुनते हुए कहा, 'हम वहीं थे… अचानक जोर से धमाका हुआ और कुछ ही मिनटों में 4 फीट तक मलबा भर गया. हम 11 लोग थे और सुरक्षित निकल आए, लेकिन मेरी पत्नी और बेटी मलबे में दब गई थी. अब दोनों की हालत स्थिर है.' भारत भूषण नाम का व्यक्ति अपनी 23 साल बेटी गहना रैना को ढूंढ रहा है, जो घटना के बाद से गायब है. हादसे से पहले वह अपनी बेटी के साथ मचैल माता मंदिर दर्शन करने गया था. रोते हुए उसने कहा, 'मैं सिर्फ इतना जानना चाहता हूं कि मेरी बेटी कहां है.' श्रद्धालु गणेश ने कहा, 'हम नाले के किनारे लंगर पर बैठे नाश्ते का इंतजार कर रहे थे. तभी लोग भागने लगे और चिल्लाने लगे कि सब ऊपर की ओर भागो. देखते ही देखते पानी, पत्थर और पेड़ का सैलाब आ गया और लंगर स्थल दब गया. मैं किस्मत से बच गया क्योंकि दो बड़े पत्थरों के बीच फंस गया. लंगर स्थल पर सैकड़ों लोग थे कुछ मंदिर जा रहे थे और कुछ लौट रहे थे. मुझे नहीं पता कितने लोग मलबे में फंस गए होंगे.'

हर साल दर्शन करने आते हैं श्रद्धालु

चशोटी, किश्तवाड़ शहर से करीब 90 किलोमीटर दूर है और पड्डर घाटी में स्थित है. पहाड़ों की ऊंचाई यहां 1,818 मीटर से लेकर 3,888 मीटर तक है. इतने ऊंचे इलाके में ग्लेशियर और ढलानें होने की वजह से पानी बेहद तेजी से नीचे आता है. मचैल माता मंदिर की यात्रा हर साल 25 जुलाई से 5 सितंबर तक चलती है और इसमें हजारों श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं. इस बार हादसे के बाद यात्रा को तुरंत रोक दिया गया है.

रेस्क्यू और राहत कार्य

जैसे ही बादल फटने की खबर आई, सेना, NDRF, SDRF और पुलिस की टीमें तुरंत वहां पहुंची. मलवा हटाने के लिए जेसीबी और अन्य मशीनें लगाई गईं। घायलों को स्ट्रेचर और अस्थायी पालकियों के जरिए अस्पताल पहुंचाया गया. स्थानीय लोग भी बिना डरे राहत और बचाव कार्य में जुट गए. कई गांवों के लोग अपने-अपने संसाधन लेकर मदद के लिए पहुंचे.

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