टाइप-2 डायबिटीज़ की दवा Ozempic को भारत में मंजूरी, फायदे तो हैं पर साइड इफेक्ट भी कम नहीं
भारत की दवा नियामक संस्था CDSCO ने आखिरकार बहुप्रतीक्षित दवा Ozempic (Semaglutide) को भारतीय बाज़ार में उपयोग के लिए मंजूरी दे दी है. डेनमार्क की फार्मा कंपनी Novo Nordisk की यह दवा अब भारत में टाइप-2 डायबिटीज़ से जूझ रहे लाखों मरीजों तक पहुंच सकेगी. यह फैसला केवल डायबिटीज़ मैनेजमेंट तक सीमित नहीं है, बल्कि वज़न घटाने और कार्डियोवैस्कुलर रिस्क कम करने की दिशा में भी एक बड़ी उम्मीद जगाता है. हालांकि, इसकी कीमत, उपलब्धता और संभावित साइड इफेक्ट्स को लेकर कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं.

भारत में डायबिटीज़ और मोटापे से जूझ रहे मरीजों के लिए एक बड़ी राहत भरी खबर आई है. केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने डेनमार्क की फार्मा कंपनी Novo Nordisk की लोकप्रिय दवा Ozempic (Semaglutide) को भारतीय बाज़ार में उपयोग की मंजूरी दे दी है. यह हफ़्ते में एक बार लिया जाने वाला इंजेक्शन है, जो टाइप-2 डायबिटीज़ को कंट्रोल करने के साथ-साथ वज़न घटाने में भी मददगार साबित होता है.
दुनिया भर में इसे ‘गेम-चेंजर’ कहा जा रहा है, क्योंकि यह न सिर्फ़ ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है, बल्कि हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसे कार्डियोवैस्कुलर रिस्क को भी कम करने में मदद करता है. अमेरिका में इसे 2017 में पहली बार FDA की मंजूरी मिली थी और उसके बाद से कई हॉलीवुड सेलिब्रिटीज़ ने खुले तौर पर इसका इस्तेमाल करने की बात स्वीकार की.
भारत में इसकी कीमत अभी तय नहीं हुई है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि शुरुआती दौर में यह ₹15,000 से ₹20,000 प्रति माह तक रहेगी. कंपनी का पेटेंट मार्च 2026 में खत्म होने के बाद भारतीय जेनेरिक कंपनियों के आने से कीमत काफी घट सकती है. ऐसे में भारत के करोड़ों डायबिटीज़ मरीजों के लिए यह दवा नई उम्मीद लेकर आई है.
ओजेम्पिक क्या है?
- ओजेम्पिक, Semaglutide नामक मॉलिक्यूल का ब्रांड नेम है.
- यह GLP-1 Receptor Agonist नामक दवाओं की कैटेगरी में आता है.
- हफ़्ते में एक बार इंजेक्शन के रूप में दिया जाता है.
- यह शरीर में प्राकृतिक हार्मोन GLP-1 की तरह काम करता है.
इसका असर
- ब्लड शुगर को नियंत्रित करना
- गलत समय पर ग्लूकागॉन रिलीज़ को रोकना
- पेट खाली होने की प्रक्रिया को धीमा करना
- भूख और खाने की मात्रा को कम करना
इसी कारण यह डायबिटीज़ मरीजों के साथ-साथ वज़न कम करने में भी लोकप्रिय हो गया.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मंजूरी और लोकप्रियता
ओजेम्पिक को अमेरिका की FDA ने 2017 में डायबिटीज़ कंट्रोल के लिए मंजूरी दी थी. कुछ ही समय बाद इसके वज़न घटाने वाले असर को लेकर चर्चा तेज़ हुई. कंपनी ने इसका हाई-डोज़ वर्ज़न Wegovy लॉन्च किया, जिसे मोटापे के इलाज के लिए अप्रूवल मिला. एलन मस्क, एमी शूमर, रेबेल विल्सन और शेरॉन ऑस्बॉर्न जैसे कई हॉलीवुड सेलिब्रिटीज़ ने खुलेआम ओजेम्पिक या वेगोवी लेने की बात कबूली. इसने इसे एक तरह से “सेलिब्रिटी वेट लॉस ड्रग” बना दिया. लेकिन, ग्लोबल चर्चा के बीच गंभीर सवाल भी उठे कि क्या इसके साइड इफेक्ट इतने खतरनाक हैं कि आम लोगों के लिए यह रिस्की साबित हो सकता है?
भारत में कीमत कितनी होगी?
भारत में अभी कंपनी ने ओजेम्पिक की सही कीमत का ऐलान नहीं किया है. लेकिन Wegovy और अन्य GLP-1 दवाओं की मौजूदा कीमतों से अंदाज़ा लगाया जा सकता है.
- Wegovy (भारत में): ₹17,345 से लेकर ₹26,015 प्रति माह (डोज़ और पैक पर निर्भर).
- Mounjaro (Tirzepatide): ₹14,000–₹17,500 प्रति माह.
यानी उम्मीद है कि Ozempic भी शुरुआती दौर में ₹15,000–₹20,000 प्रति माह तक रह सकता है. हालांकि, बड़ी बात यह है कि Novo Nordisk का पेटेंट मार्च 2026 में खत्म हो जाएगा. इसके बाद इंडियन जेनेरिक कंपनियां मार्केट में एंट्री करेंगी और दाम काफी नीचे आ सकते हैं.
फायदे (Pros)
- ब्लड शुगर कंट्रोल: टाइप-2 डायबिटीज़ मरीजों के लिए लंबे समय तक असरदार.
- वज़न घटाना: हाई डोज़ (2.4mg) पर 10–15% तक बॉडी वेट कम होने के नतीजे.
- हार्ट हेल्थ: रिसर्च ट्रायल्स में कार्डियोवैस्कुलर रिस्क (हार्ट अटैक और स्ट्रोक) कम करने का दावा.
- कम इंजेक्शन: हफ़्ते में सिर्फ़ एक बार लेना होता है, रोज़-रोज़ की परेशानी नहीं.
नुकसान और जोखिम (Cons)
- गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इश्यूज: शुरुआत में ज़्यादातर लोगों को मिचली, उल्टी, कब्ज़ या डायरिया.
- Pancreatitis (अग्नाशय में सूजन)
- गॉलब्लाडर से जुड़ी परेशानियां (Gallbladder Complications)
- किडनी डैमेज
- Thyroid C-cell Tumor का रिस्क (पशुओं पर स्टडी में देखा गया)
- आंखों की रोशनी में बदलाव
- मूड स्विंग्स और एंग्ज़ायटी
- मांसपेशियों की कमी (Muscle Loss)
- कीमत की चुनौती: आम भारतीय मरीजों के लिए अभी बहुत महंगी.
भारतीय मरीजों के लिए मायने
भारत डायबिटीज़ का ग्लोबल हब माना जाता है - करीब 11 करोड़ वयस्क डायबिटीज़ से पीड़ित हैं. ऐसे में ओजेम्पिक जैसे मॉडर्न ट्रीटमेंट्स उम्मीद जगाते हैं. अगर कीमत कम हुई तो यह मिडिल क्लास और लोअर-मिडिल क्लास तक पहुंच सकता है. हेल्थ इंश्योरेंस और सरकारी हेल्थ स्कीम्स इसे कवर करें तो पब्लिक लेवल पर बड़ा असर होगा. कार्डियोवैस्कुलर रिस्क कम करने के फायदे भारतीय संदर्भ में और भी अहम हैं, क्योंकि देश में हार्ट डिजीज़ तेजी से बढ़ रहा है.
विवाद और आलोचना
- “स्लिमिंग इंजेक्शन” टैग: हॉलीवुड और सोशल मीडिया पर इसे वज़न घटाने की “शॉर्टकट” दवा कहकर आलोचना हुई.
- हेल्थ इक्विटी का सवाल: अमीर लोग वज़न घटाने के लिए खरीदेंगे, जबकि असली ज़रूरतमंद डायबिटीज़ पेशेंट्स कीमत और कमी के चलते पीछे रह सकते हैं.
- लॉन्ग-टर्म डेटा: अभी तक 10–15 साल का सुरक्षा डेटा मौजूद नहीं है.
भारत को डायबिटीज़ का ग्लोबल हब कहा जाता है, जहां करीब 11 करोड़ वयस्क इस बीमारी से जूझ रहे हैं. ऐसे में ओजेम्पिक की एंट्री को महज़ एक नई दवा का लॉन्च नहीं, बल्कि लाइफस्टाइल डिज़ीज़ मैनेजमेंट में क्रांति माना जा रहा है. डॉक्टरों का कहना है कि यह दवा ब्लड शुगर के साथ-साथ कार्डियोवैस्कुलर रिस्क को भी कम करने में मददगार साबित हो सकती है. भारतीय संदर्भ में यह पहलू और भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि देश में दिल से जुड़ी बीमारियां लगातार बढ़ रही हैं.
फिर भी, मेडिकल एक्सपर्ट्स आगाह करते हैं कि इस दवा को चमत्कारी इलाज मानना गलत होगा. इसके लंबे समय तक इस्तेमाल और सुरक्षा डेटा पर अभी और शोध ज़रूरी है. साथ ही, इसकी सफलता इस बात पर भी निर्भर करेगी कि सरकार और इंश्योरेंस कंपनियां इसे हेल्थ कवरेज में शामिल करती हैं या नहीं. यदि कीमतें कम हुईं और पहुंच बढ़ी, तो इसका लाभ बड़े स्तर पर जनता तक पहुंच सकता है. लेकिन अगर यह सिर्फ़ अमीर तबके की “वज़न घटाने वाली दवा” बनकर रह गई, तो इसका प्रभाव सीमित होगा.
डॉक्टरों की राय है कि मरीजों को बिना प्रिस्क्रिप्शन और मेडिकल सुपरविज़न के इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. शुरुआती डोज़ के दौरान नियमित चेकअप बेहद ज़रूरी है, ताकि किसी भी तरह के साइड इफेक्ट पर तुरंत नज़र रखी जा सके. विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि ओजेम्पिक तभी कारगर है जब इसे सही डाइट, व्यायाम और मेडिकल फॉलो-अप के साथ जोड़ा जाए.