महिला को 'रखैल' कहना दुर्भाग्यपूर्ण... बॉम्बे हाईकोर्ट पर भड़का सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के द्वारा एक फैसले में एक महिला के लिए रखैल शब्द का इस्तेमाल करने पर कड़ी आपत्ति जताई है. शीर्ष अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट ने अमान्य विवाह के पतियों के मामले में ऐसे किसी शब्द का इस्तेमाल नहीं किया. एक महिला के खिलाफ ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करना संविधान के आदर्शों और भावना के खिलाफ है.

Supreme Court Bombay High Court: बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में महिला को वफादार रखैल और अवैध पत्नी कहा. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताई है. शीर्ष अदालत ने कहा कि किसी भी महिला के लिए इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल करना उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. यह महिला विरोधी टिप्पणी है.
दरअसल, जस्टिस एएस ओक, जस्टिस एहासनुद्दीन अमानु्ल्लाह और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ साल 2023 में बॉम्बे हाईकोर्ट का दिया गया फैसला पढ़ रहे थे. इसी दौरान उन्हें 'रखैल' जैसे शब्द मिले, जिस पर वे बुरी तरह भड़क गए. पीठ ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हाईकोर्ट ने अवैध पत्नी जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने की कोशिश कही. हैरानी तो इस बात पर है कि हाईकोर्ट ने ऐसी पत्नी को 'वफादार रखैल' बताया.
'महिला के खिलाफ ऐसे शब्दों का इस्तेमाल संविधान के आदर्शों के खिलाफ'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने अमान्य विवाह के पतियों के मामले में ऐसे किसी शब्द का इस्तेमाल नहीं किया. एक महिला के खिलाफ ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करना संविधान के आदर्शों और भावना के खिलाफ है. शीर्ष अदालत ने कहा कि अमान्य शादी में पार्टी एक महिला के बारे में ऐसे शब्दों का इस्तेमाल कोई नहीं करेगा. लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि ऐसी आपत्तिजनक भाषा हाईकोर्ट के फुल बेंच के डिसीजन में मिली है.
महिला की गरिमा को पहुंची ठेस
पीठ ने कहा कि जिस महिला की शादी अमान्य घोषित कर दी गई हो, उसे 'अवैध पत्नी' कहना बहुत अनुचित है. इससे उसकी गरिमा को ठेस पहुंची. पीठ ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 24 और 25 के इस्तेमाल पर परस्पर विरोधी विचारों से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ये बात कही.