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'सेक्स के लिए पति-पत्नी दोनों की ही सहमति जरूरी', मैरिटल रेप पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मैरिटल रेप को अपराध मामने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट मैरिटल रेप को लेकर कहा कि पतियों को पत्नी के साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाने की छूट देने वाले प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को लेकर विचार किया जाएगा. कोर्ट ने कहा कि शादी के बाद पति को खुद ही शारीरिक संबंध मनाने की छूट मिल जाती है लेकिन पत्नी की सहमति भी जरूरी है.

सेक्स के लिए पति-पत्नी दोनों की ही सहमति जरूरी, मैरिटल रेप पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई
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निशा श्रीवास्तव
Edited By: निशा श्रीवास्तव

Updated on: 18 Oct 2024 11:57 AM IST

Supreme Court On Marital Rape: देश में इन दिनों मैरिटल रेप पर काफी चर्चाएं हो रही हैं. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (17 अक्टूबर) को मैरिटल रेप को अपराध मामने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की. जिसमें कई अहम टिप्पणी की गई.

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि मुख्य मुद्दा इस कानूनी प्रावधान के संवैधानिक वैधता को लेकर है. कोर्ट ने मैरिटल रेप को लेकर कहा कि पतियों को पत्नी के साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाने की छूट देने वाले प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को लेकर विचार किया जाएगा.

क्या नए अपराध का जन्म होगा-SC

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सवाल किया कि अगर पति को मिलने वाली सेक्स की छूट को छीन ली जाए तो क्या इससे नए अपराध का जन्म होगा? इस मामले पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिशअरा की बेंच ने IPC की धारा 375 के अपवाद वाले क्लॉज पर सुनवाई की. धारा 375 के मुताबिक, पत्नी नाबालिग नहीं है और उसका पति उसके साथ शारीरिक संबंध बनाता है तो वह मैरिटल रेप नहीं माना जाएगा.

कोर्ट ने पूछे सवाल

चीफ जस्टिस ने पूछा कि आपका कहना है कि अगर पति से अपनी पत्नी के साथ मिले संबंध बनाने का हक छीन लिया जाए तो क्या कोई नयाअपराध जन्म लेगा? क्या कोर्ट को स्वतंत्र रूप से इस अपवाद की संवैधानिक वैधता जांचने का अधिकार है? इस पर याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि इस तरह के सवाल निजी विचार बनाम भारत सरकार के हो सकते हैं. फिर कोर्ट ने कहा कि याद रखें यहां पर संवैधानिक आदेशों में महिलाविरोधी और पुरुषविरोधी का कोई स्थान नहीं है.

पत्नी की सहमति जरूरी-SC

कोर्ट ने कहा कि शादी के बाद पति को खुद ही शारीरिक संबंध मनाने की छूट मिल जाती है लेकिन पत्नी की सहमति भी जरूरी है. बेंच ने कहा कि अगर अपवाद को समाप्त कर देंगे तो विवाह की संस्था पर प्रभाव पड़ेगा. वकील नंदी ने कहा, "विवाह संस्थागत नहीं बल्कि व्यक्तिगत है - विवाह की संस्था को कोई भी नष्ट नहीं कर सकता सिवाय उस कानून के जो विवाह को अवैध और दंडनीय बनाता है." इस मामले की अगली सुनवाई 21 अक्टूबर 2024 को होगी.

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