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Shubhanshu Shukla: 28 घंटे का सफर, ISS पर पहुंचा पहला भारतीय; पहले संदेश में कहा- नमस्कार फ्रॉम स्पेस

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में कदम रखने वाले पहले भारतीय बन गए हैं. उन्होंने Axiom-4 मिशन के तहत SpaceX Dragon कैप्सूल में उड़ान भरी और 26 जून को सफलतापूर्वक ISS से जुड़ गए. यह ऐतिहासिक मिशन भारत की अंतरिक्ष में वापसी का प्रतीक है और इसमें 7 भारतीय वैज्ञानिक प्रयोग भी शामिल हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुभांशु को 1.4 अरब भारतीयों की उम्मीदों का प्रतिनिधि बताया.

Shubhanshu Shukla: 28 घंटे का सफर, ISS पर पहुंचा पहला भारतीय; पहले संदेश में कहा- नमस्कार फ्रॉम स्पेस
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Shubhanshu Shukla Axiom-4 mission: भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला समेत चार अंतरिक्ष यात्री आज (26 जून) को शाम 4:01 बजे सफलतापूर्वक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पहुंच गए. करीब 28 घंटे की अंतरिक्ष यात्रा के बाद यह दल स्पेस स्टेशन के हैच से होकर अंदर प्रवेश करेगा. शुभांशु शुक्ला अब ISS पर पहुंचने वाले पहले और अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बन गए हैं. उनसे पहले 1984 में राकेश शर्मा ने सोवियत स्पेस मिशन के ज़रिए अंतरिक्ष यात्रा की थी.

स्पेस मिशन के दौरान जब लाइव बातचीत की गई, तो शुभांशु ने अंतरिक्ष से संदेश दिया, “नमस्कार फ्रॉम स्पेस! यहां मैं एक बच्चे की तरह सब कुछ सीख रहा हूं- कैसे चलना है, कैसे खाना है...”

अब तक के 10 बड़े अपडेट्स

  1. Axiom Mission-4 के तहत 25 जून को दोपहर करीब 12 बजे कैनेडी स्पेस सेंटर से शुभांशु समेत 4 अंतरिक्ष यात्रियों ने उड़ान भरी थी. शुभांशु और उनकी टीम SpaceX के Falcon-9 रॉकेट से जुड़े Dragon कैप्सूल के ज़रिए रवाना हुए. यह मिशन पहले तकनीकी और मौसम संबंधी कारणों से छह बार टाला गया था. Dragon कैप्सूल 26 जून को लगभग शाम 04:30 बजे soft docking किया, जिसे कुछ समय बाद hard docking से मजबूत संपर्क के साथ पूरा किया गया .
  2. अब अंतरिक्ष में पहुंचकर, शुभांशु और उनकी टीम विज्ञान, टेक्नोलॉजी और माइक्रोग्रैविटी से जुड़े प्रयोगों को अंजाम देंगे, जो भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को एक नया आयाम देगा.
  3. Shubhanshu Shukla भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन हैं, जो Axiom-4 (Ax‑4) मिशन के तहत SpaceX Dragon कैप्सूल में सवार होकर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पहुंचे. इस टीम में पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री भी शामिल हैं, जिनके नाम Poles Slawosz Uznanski-Wisniewski और Hungarian Tibor Kapu हैं.
  4. शुभांशु ने उड़ान से पहले अपनी पत्नी कामना को इंस्टाग्राम पर भावुक संदेश साझा किया, जिसमें उन्होंने लिखा, “Special thanks to Kamna… Without you none of this was possible.”
  5. शुभांशु ने स्पेस से लाइव अपने मैसेज में कहा, सभी का आभार. यह यात्रा मेरी व्यक्तिगत नहीं, सामूहिक उपलब्धि है. मैं उन सभी लोगों को धन्यवाद देना चाहता हूं जो इस मिशन का हिस्सा रहे. परिवार और दोस्तों का सहयोग बेहद मायने रखता है. हमने आपसे 'जॉय' और 'ग्रेस' दिखाया, जो एक हंस है. भारतीय संस्कृति में हंस बुद्धिमत्ता और विवेक का प्रतीक है. यह केवल संयोग नहीं है, बल्कि इसका गहरा सांस्कृतिक अर्थ है – भारत, पोलैंड और हंगरी में भी.
  6. शुभांशु ने कहा, वैक्यूम में लॉन्च के समय मुझे थोड़ा अजीब महसूस हुआ था, लेकिन अब बताया जा रहा है कि मैं अच्छी नींद ले रहा हूं, जो एक सकारात्मक संकेत है. मैं अंतरिक्ष में खुद को एक बच्चे की तरह महसूस कर रहा हूं. मैं चलना, तैरना, खाना, और खुद को नियंत्रित करना सीख रहा हूं. यह वातावरण मेरे लिए एक नई चुनौती है. शुभांशु ने कहा, मैं अपने साथियों के साथ मज़ेदार समय बिता रहा हूं. इस पूरी यात्रा को संभव बनाने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद. मुझे पूरा भरोसा है कि हम यहां एक अद्भुत समय बिताएंगे.

  7. प्रधानमंत्री मोदी ने शुभांशु को 1.4 अरब भारतीयों की आशाओं का प्रतिनिधित्व करने वाला बताया, और इसे राष्ट्रीय गौरव की उपलब्धि कहा.
  8. ISS पर 60 से अधिक प्रयोग किए जाएंगे, जिनमें से सात भारत द्वारा प्रस्तावित हैं, जैसे कि माइक्रोग्रैविटी में माइक्रो-एल्गी पर शोध, जो Gaganyaan मिशन के लिए अहम है.
  9. यह मिशन राकेश शर्मा के बाद पहला मौका है जब किसी भारतीय ने ISS का दौरा किया- पहली बार ISS के लिए, और दूसरा बड़ा कदम मानव अंतरिक्ष यात्रा में भारत की वापसी के रूप में.
  10. शुभांशु शुक्ला का यह अंतरिक्ष अनुभव भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन के लिए बेहद उपयोगी साबित होगा. यह मिशन भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है, जिसका उद्देश्य भारतीय गगनयात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Earth Orbit) में भेजना और उन्हें सुरक्षित वापस लाना है. इस मिशन के 2027 में लॉन्च होने की संभावना है. गौरतलब है कि भारत में अंतरिक्ष यात्रियों को 'गगनयात्री' कहा जाता है, वहीं रूस में उन्हें कॉस्मोनॉट और चीन में ताइकोनॉट के नाम से जाना जाता है.

इस मिशन ने भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में दो बार गर्वित किया- सबसे पहले राकेश शर्मा और अब ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के माध्यम से. यह सिर्फ एक वैज्ञानिक मिशन नहीं है, बल्कि भारत की बड़ी ख्वाहिशों का प्रतिबिंब है.

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