एक तू ही यार मेरा...PM मोदी ने सुनाया अपने दोस्तों का किस्सा, बोले- मुझे तू कहने वाला कोई नहीं, VIDEO
सोशल मीडिया पर इन दिनों निखिल कामथ के पॉडकास्ट का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, पीएम मोदी ने हंसते हुए कहा, "मुझे मजा नहीं आया, क्योंकि मुझे कोई 'तू' कहने वाला नहीं था. बचपन के दोस्तों के साथ बात करने का जो आनंद होता है, वह कहीं खो गया.

PM Modi First Podcast: सोशल मीडिया पर इन दिनों निखिल कामथ के पॉडकास्ट का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने बचपन से लेकर मुख्यमंत्री और फिर प्रधानमंत्री बनने तक के सफर की चर्चा कर रहे हैं. इस बातचीत में पीएम मोदी ने अपने दोस्तों से जुड़े कुछ खास किस्से साझा किए, जिसका वीडियो पीएम मोदी अपने सोशल मीडिया (X) पर शेयर किया है. PM ने बताया कि चूंकि वह बचपन के दिनों में ही घर छोड़कर निकल गए थे, इसलिए दोस्तों के साथ उनका ज्यादा समय नहीं बीता. वह चाहते थे कि बचपन के दोस्तों को बुलाकर वह उनके संग खूब बातें करें.
'मैं खोज रहा था दोस्त, वो मुझे देख रहे CM'
पॉडकास्ट में पीएम मोदी ने कहा, 'जब मैं मुख्यमंत्री बना, तो मेरी तमन्ना थी कि अपने सारे दोस्तों को बुलाऊं. मैंने बुलाया भी, जिसमें 35 दोस्त आएं और सभी के साथ बैठकर खाना खाया. लेकिन मुझे बचपन वाला दोस्त कोई नहीं मिला. उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि अब उनके सभी दोस्त उन्हें बड़े आदर के साथ संबोधित करते हैं.
'मुझे 'तू' कहने वाला अब कोई नहीं'
पीएम मोदी ने हंसते हुए कहा, 'मुझे मजा नहीं आया, क्योंकि मुझे कोई 'तू' कहने वाला नहीं था. बचपन के दोस्तों के साथ बात करने का जो आनंद होता है, वह कहीं खो गया. अब सभी मुझे बड़े सम्मान से बुलाते हैं, लेकिन वो पुरानी दोस्ती की फीलिंग नहीं आती.
कौन कहता था पीएम मोदी को तू?
पीएम मोदी ने कहा, "मेरी जिंदगी में अब 'तू' कहने वाले लोग नहीं रहे. उन्होंने बताया कि उनके एक शिक्षक, राससिंहाई मणियार, ऐसे थे जो उन्हें चिट्ठियां लिखते थे और हमेशा "तू" कहकर संबोधित करते थे. मोदी ने यह भी कहा कि मणियार सर का हाल ही में 94 वर्ष की आयु में निधन हो गया, और वे उनके जीवन में आखिरी व्यक्ति थे जो उन्हें "तू" कहकर बुलाते थे.
पीएम मोदी ने अपने शिक्षकों के प्रति आदर का एक किस्सा भी साझा किया. उन्होंने कहा, "जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री बना, तो मेरी बड़ी इच्छा थी कि अपने सभी शिक्षकों का सार्वजनिक रूप से सम्मान करूं. इसके लिए उन्होंने अपने सभी शिक्षकों को ढूंढा और एक सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित कर उनका सम्मान किया.
'गालियां दे रहे हैं, कुछ ले तो नहीं जा रहे'
निखिल कामथ के साथ पॉडकास्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हल्के-फुल्के अंदाज में अपने जीवन के अनुभव और सोच को साझा किया. एक सवाल के जवाब में, जब उनसे पूछा गया कि उन्हें दिन-रात गालियां सुनने पर कैसा लगता है, तो उन्होंने एक रोचक किस्सा सुनाया. पीएम मोदी ने कहा, "अहमदाबाद में एक व्यक्ति स्कूटर पर जा रहा था और किसी से टक्कर हो गई. दूसरा व्यक्ति गुस्से में आकर उसे गालियां देने लगा.
इसकी गाली पर तुम क्यों चुप; PM मोदी
अहमदाबादी व्यक्ति चुपचाप सुनता रहा. तभी वहां एक और व्यक्ति आया और उसने पूछा, 'तुम क्यों चुप हो? ये तुम्हें गालियां दे रहा है.' अहमदाबादी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, 'गालियां दे रहा है, कुछ ले तो नहीं जा रहा. इस किस्से के जरिए उन्होंने बताया कि उन्होंने भी अपने जीवन में यही मानसिकता अपनाई है. उन्होंने कहा, "लोग गालियां दे रहे हैं, तो ठीक है. जो मेरे पास है, वही मैं दूंगा.