राज्यसभा में 5 साल बाद जम्मू-कश्मीर को मिला प्रतिनिधित्व, शपथ लेने वाले तीनों सांसद कौन?
संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर को 5 साल के बाद अपना प्रतिनिधित्व मिला. राज्यसभा चुनाव में जीते नेशनल कॉन्फ्रेंस के तीन नेताओं शम्मी ओबेरॉय, सज्जाद अहमद किचलू और चौधरी मोहम्मद रमजान को सोमवार को संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन राज्यसभा सदस्य के रूप में शपथ दिलाई गई.
Parliament Winter Session 2025: संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत 1 दिसंबर से हो चुकी है. केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के लिए यह सप्ताह ऐतिहासिक होने जा रहा है, क्योंकि लगभग पांच वर्षों के लंबे अंतराल के बाद राज्यसभा में प्रदेश का प्रतिनिधित्व बहाल हुआ है. हाल ही में हुए राज्यसभा चुनाव में जीते नेशनल कॉन्फ्रेंस के तीन नेताओं शम्मी ओबेरॉय, सज्जाद अहमद किचलू और चौधरी मोहम्मद रमजान को सोमवार को संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन राज्यसभा सदस्य के रूप में शपथ दिलाई गई.
नई राजनीतिक परिस्थिति में यह प्रतिनिधित्व जम्मू-कश्मीर के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, खासतौर पर अनुच्छेद 370 हटने के बाद की राजनीतिक गतिविधियों के संदर्भ में इस कदम से प्रदेश की आवाज एक बार फिर उच्च सदन में गूंजेगी.
कौन हैं ये शपथ लेने वाले तीनों नेता?
1. शम्मी ओबेरॉय (जम्मू-कश्मीर के दूसरे सिख सांसद)
56 वर्षीय शम्मी ओबेरॉय जम्मू-कश्मीर से राज्यसभा में पहुंचने वाले दूसरे सिख सांसद हैं. होटल प्रबंधन में डिप्लोमा धारक ओबेरॉय एक सफल व्यवसायी भी हैं. वे नेशनल कॉन्फ्रेंस के दिवंगत नेता एवं एमएलसी धर्मवीर सिंह ओबेरॉय के पुत्र हैं, जो 1999 में उमर अब्दुल्ला के संसदीय चुनाव के दौरान उनके मुख्य मतदान एजेंट रह चुके थे. शम्मी ओबेरॉय ने राज्यसभा चुनावों के दौरान पीडीपी और कांग्रेस का समर्थन हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. मार्च 2017 में उन्हें पार्टी अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के करीबी सहयोगी के रूप में एनसी का कोषाध्यक्ष नियुक्त किया गया था.
2. सज्जाद अहमद किचलू
सज्जाद अहमद किचलू जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के एक प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवार से हैं. उनके पिता बशीर अहमद किचलू फारूक अब्दुल्ला सरकार में महत्वपूर्ण विभागों का नेतृत्व कर चुके थे और प्रदेश राजनीति में उनकी गहरी पकड़ थी. साल 2001 में समाज कल्याण मंत्री रहते हुए उनका निधन हो गया. अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए सज्जाद 2002 के चुनावों में किश्तवाड़ सीट से विधायक बने और 2008 में भी अपनी सीट बरकरार रखी. हालांकि 2014 और 2024 में वे विधानसभा चुनाव हार गए, लेकिन 2015 में वे एमएलसी चुने गए. इस बार राज्यसभा चुनाव में उन्होंने 58 वोट प्राप्त कर बीजेपी उम्मीदवार राकेश महाजन को हराकर शानदार जीत हासिल की.
3. चौधरी मोहम्मद रमजान (चार बार के विधायक)
चौधरी मोहम्मद रमजान जम्मू-कश्मीर की राजनीति का एक पुराना और सम्मानित नाम हैं. वे पहली बार 1983 में उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले की हंदवाड़ा सीट से विधायक बने. उन्होंने 1987 और 1996 के विधानसभा चुनावों में भी लगातार जीत हासिल की. साल 2002 में हार के बाद वे 2008 में फिर विधानसभा पहुंचे. हालांकि 2014 और 2024 में वे सज्जाद गनी लोन से चुनाव हार गए. रमजान 1996 में फारूक अब्दुल्ला सरकार में मंत्री भी रहे थे. ताजा राज्यसभा चुनाव में उन्होंने 57 वोटों से जीतकर बीजेपी उम्मीदवार अली मोहम्मद मीर को मात्र 28 वोटों पर रोक दिया था.





