अब LAC पर खुशी ही खुशी! भारत ने चीन सीमा विवाद पर दिया बड़ा अपडेट
भारत और चीन के बीच LAC को लेकर विवाद अब खत्म होता नजर आ रहा है. विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को इस संबंध में जानकारी दी. प्रवक्ता रणधीर जायसवाल की यह टिप्पणी भारत और चीन के बीच नई दिल्ली में एलएसी विवाद पर कार्यकारी तंत्र (WMCC) के तहत बातचीत के एक दिन बाद सामने आई है. बता दें कि 21 अक्टूबर को हुए समझौते के बाद WMCC की पहली बैठक है.

India China War: भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को लेकर विवाद अब खत्म होता नजर आ रहा है. दोनों देशों की ओर से इस संबंध में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. अब विचार-विमर्श के लिए विशेष प्रतिनिधियों की बातचीत और अन्य बैठकों की तैयारी कर रहे हैं.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को इस संबंध में जानकारी दी. प्रवक्ता रणधीर जायसवाल की यह टिप्पणी भारत और चीन के बीच नई दिल्ली में एलएसी विवाद पर कार्यकारी तंत्र (WMCC) के तहत बातचीत के एक दिन बाद सामने आई है.
प्रोटोकॉल के तहत होगी बातचीत
गुरुवार को WMCC की दिल्ली में बैठक हुई. इस दौरान पक्षों ने द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल के अनुरूप बॉर्डर पर शांति व सौहार्द बनाए रखने पर सहमति बनी थी. इससे पहले भारत और चीन ने अपने सैनिकों को एलएसी से पीछे हटा लिया था. जायसवाल ने कहा कि हमने विदेश सचिव स्तर की बैठक के बारे में भी बात की. ये बैठकें होने के बाद हम अगले प्लान पर चर्चा करेंगे. बता दें कि 21 अक्टूबर को हुए समझौते के बाद WMCC की पहली बैठक है.
पहले हुआ था समझौता
21 अक्टूबर भारत और चीन के बाद एलएसी को लेकर समझौता हुआ था. जिसके तहत डेमचोक और देपसांग के टकराव वाले अंतिम दो बिंदुओं से सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद गतिरोध प्रभावी रूप से खत्म हो गया. इस डील के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ब्रिक्स समिट में चर्चा की थी. उस मुलाकात के बाद ही यह समझौता हुआ था. बातचीत के दौरान भारत के विशेष प्रतिनिधि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी पक्ष की ओर विदेश मंत्री वांग यी मौजूद रहे.
सैनिकों के बीच 2020 में हुई थी झड़प
साल 2020 में भारत और चीन के सैनिकों के बीच गलवान घाटी में झड़प हुई थी. इसके बाद दोनों देशों के संबंध खराब हो गए थे. भारत ने चीन के खिलाफ कई बड़े कदम उठाए थे. वहीं चीन फिर भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आया था. लंबे विवाद के बाद कुछ समय पहले ही देपसांग और डेमचोक में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पर सहमति बनी थी.