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ट्रंप की पाबंदियों के बीच भारत पर मेगा दांव! Amazon-Microsoft-Google लगाएंगे 68 अरब डॉलर, माइक्रोसॉफ्ट-इंटेल को जोड़ दें तो...

डोनाल्ड ट्रंप के दौर में सख्त व्यापार नीतियों और पाबंदियों के बावजूद भारत अमेरिका की बड़ी कंपनियों के लिए टॉप निवेश प्रमुख देश बना हुआ है. खासतौर से सिलिकॉन स्प्रिंट वाली अमेजन, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, इंटेल और कॉग्निजेंट, भारत में निवेश का बड़ा दांव लगा रहे हैं. जानिए आखिर भारत पर इतना भरोसा क्यों कर रही हैं US की दिग्गज कंपनियां? कहां-कितना निवेश प्रस्तावित है.

ट्रंप की पाबंदियों के बीच भारत पर मेगा दांव! Amazon-Microsoft-Google लगाएंगे 68 अरब डॉलर, माइक्रोसॉफ्ट-इंटेल को जोड़ दें तो...
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अमेरिकी राजनीति में 'अमेरिका फर्स्ट' और ट्रंप का 'एमएजीए' (मेक अमेरिका ग्रेट अगेन) और चीन-विरोधी नीति के साए में जहां कई देशों में निवेश को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है, वहीं भारत अमेरिकी कंपनियों के लिए सेफ और स्ट्रेटजिक विकल्प बनकर उभरा है. ट्रंप की सख्त टैरिफ नीति, टेक्नोलॉजी रेगुलेशन और जियो-पॉलिटिकल दबाव के बावजूद US की दिग्गज कंपनियां भारत में अरबों डॉलर झोंक रही हैं. सवाल, आखिर क्यों?

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अमेरिका की ग्लोबल दिग्गज कंपनियां न सिर्फ विस्तार कर रही हैं बल्कि वे भारत को अपनी लंबी अवधि की रणनीतियों के केंद्र में रख रहे हैं. पहले गूगल, अब अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट, इंटेल और कॉग्निजेंट. भारत में ग्लोबल टेक्नोलॉजी निवेश का एक नया दौर शुरू हो गया है. क्योंकि दुनिया की सबसे प्रभावशाली कंपनियां भारत की डिजिटल और इनोवेशन क्षमता पर अभूतपूर्व दांव लगा रही हैं.

$35 बिलियन का निवेश करेगा Amazon

दुनिया भर में मार्केट के सख्त होने के बीच Amazon ने भारत पर $35 बिलियन का दांव लगाने का फैसला लिया है. देश की डिजिटल डिमांड, लॉजिस्टिक्स स्केल और वर्कफोर्स की गहराई पर भरोसे को दिखाता है, जो अगले दशक में इन्वेस्टमेंट के लिए ग्रोथ ड्राइवर होंगे. Amazon ने मंगलवार को 2030 तक भारत में अपने सभी बिजनेस में $35 बिलियन से ज्यादा इन्वेस्ट करने की योजना की घोषणा की, जिससे देश की डिजिटल इकोनॉमी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से होने वाले बदलाव और रोजगार पैदा करने के लिए उसका लंबे समय का कमिटमेंट और गहरा होगा.

यह नया इन्वेस्टमेंट पिछले 15 सालों में भारत में पहले ही इन्वेस्ट किए जा चुके लगभग $40 बिलियन के आधार पर है. यह घोषणा 10 दिसंबर को नई दिल्ली में Amazon संभव समिट के छठे एडिशन में की गई, साथ ही कंसल्टिंग फर्म कीस्टोन स्ट्रैटेजी द्वारा एक इकोनॉमिक इम्पैक्ट रिपोर्ट भी जारी की गई.

माइक्रोसॉफ्ट करेगा 17.5 बिलियन डॉलर

माइक्रोसॉफ्ट के चेयरमैन और सीईओ सत्या नडेला ने 9 दिसंबर को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. उनकी बातचीत का नतीजा यह हुआ कि माइक्रोसॉफ्ट ने 17.5 बिलियन डॉलर का निवेश करने का वादा किया है, जो कंपनी का एशिया में अब तक का सबसे बड़ा निवेश है. यानी माइक्रोसॉफ्ट भारत की AI-फर्स्ट महत्वाकांक्षा को मजबूत करने के लिए समर्पित है.

AI डेटा हब के लिए गूगल का 15 बिलियन डॉलर

वहीं, अल्फाबेट, जो गूगल की पेरेंट कंपनी है द्वारा हाल ही में विशाखापत्तनम में एक अत्याधुनिक AI डेटा हब बनाने के लिए 15 बिलियन डॉलर के बड़े निवेश की घोषणा के बाद हुआ. दुनिया की सबसे परिष्कृत AI सुविधाओं में से एक के रूप में डिजाइन किया गया. यह संयुक्त राज्य अमेरिका के बाहर गूगल का सबसे बड़ा हब होगा. इंटेल के सीईओ लिप-बू टैन की मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठक ने भी एक नए बदलाव को रेखांकित किया.

इंटेल का सेमिकंडक्टर पर जोर

इंटेल ने देश के सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम के प्रति अपनी लंबी अवधि की प्रतिबद्धता की पुष्टि की और टाटा समूह के साथ एक महत्वपूर्ण MoU पर हस्ताक्षर किए. ग्लोबल भरोसे की इस लहर को और मजबूत करते हुए, कॉग्निजेंट के नेतृत्व ने मंगलवार को प्रधानमंत्री से मुलाकात की और शिक्षा और कार्यबल विकास में भारी निवेश करते हुए उद्योगों में AI को अपनाने में तेजी लाने के लिए एक व्यापक योजना की रूपरेखा तैयार की.

भारत सिर्फ बाजार नहीं, AI-सेमीकंडक्टर का केंद्र

गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, इंटेल और कॉग्निजेंट की इन प्रतिबद्धताओं की लहर ने एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत दिया है. भारत अब सिर्फ एक बाजार नहीं है. यह दुनिया के AI और सेमीकंडक्टर परिवर्तन का केंद्र बन रहा है.

AI को आकार देने में भारत की भूमिका अनूठी - नडेला

गूगल क्लाउड के सीईओ थॉमस कुरियन ने पहले अल्फाबेट डील को कंपनी के ग्लोबल AI विजन में एक ऐतिहासिक क्षण बताया था. एक ऐसा क्षण जो भारत को इसके केंद्र में रखता है. विशाखापत्तनम में पांच साल तक चलने वाली यह परियोजना, उस भरोसे के पैमाने को दर्शाती है जो यह टेक दिग्गज भारत के डिजिटल भविष्य पर कर रही है. इस गति को तब और बढ़ाया गया, जब माइक्रोसॉफ्ट के नडेला ने ग्लोबल AI परिदृश्य को आकार देने में भारत की अनूठी भूमिका के बारे में बात की.

भारत AI-ड्रिवन इनोवेशन को देगा पावर देगा - PM

प्रधानमंत्री ने इस प्रतिबद्धता का स्वागत करते हुए कहा कि आज दुनिया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के भविष्य के मामले में भारत को आशा भरी नजरों के साथ देखती है. माइक्रोसॉफ्ट के निवेश का मकसद एडवांस इंफ्रास्ट्रक्चर, स्किल्स और सॉवरेन कैपेबिलिटी बनाना है जो भारत की AI-ड्रिवन इनोवेशन के युग में यात्रा को पावर देगा.

टेक्नोलॉजी वैल्यू चेन में भारत का उदय ग्लोबल सेमीकंडक्टर हब बनने की दिशा में भी निर्णायक कदम उठा रहा है. इंटेल-टाटा सहयोग भारत में इंटेल-डिजाइन किए गए प्रोडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग, असेंबली और पैकेजिंग को संभव बनाएगा, जो ग्लोबल चिप सप्लाई चेन को लोकलाइज़ करने में एक बड़ा कदम है. यह एडवांस्ड पैकेजिंग और भारत के तेजी से बढ़ते बाजार के लिए तैयार AI-PC सॉल्यूशंस के तेजी से विस्तार का रास्ता भी खोलता है.

इस बीच, कॉग्निजेंट ने भारत के उभरते शहरों में विस्तार करने, एक अधिक समान और व्यापक टैलेंट इकोसिस्टम बनाने और यह सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है कि देश के युवा AI-ड्रिवन प्रोडक्टिविटी और इनोवेशन में दुनिया का नेतृत्व करने के लिए तैयार हैं.

टेक कंपनियों का भविष्य भारत में सुरक्षित

अरबपति रमेश वाधवानी ने AI बबल की चेतावनी दी. सही रणनीति से भारत टेक क्रांति पर हावी हो सकता है. AI इंफ्रास्ट्रक्चर और क्लाउड इनोवेशन से लेकर सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग और अगली पीढ़ी के स्किल्स तक, दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियां अपने भविष्य को भारत के विजन के साथ जोड़ रही हैं.

जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, यह भारत के युवाओं के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग करने, साहसपूर्वक इनोवेशन करने और एक बेहतर प्लैनेट (ग्रह) बनाने में मदद करने का क्षण है. दुनिया भारत के डिजिटल भाग्य में विश्वास करती है और भारत इसका नेतृत्व करने के लिए तैयार है.

भारत क्यों बना ‘सेफ बेट’?

भारत के पास सबसे बड़ा घरेलू बाजार है. यहां की आबादी 140 करोड़ है. भारत में मिडिल क्लास का दायरा बढ़ रहा है. चीन+1 की रणनीति की वजह से सप्लाई चेन को चीन से बाहर निकालने की मजबूरी बन गई है. दुनिया की दिग्गज टेक कंपनियों को स्थिर सरकार और पॉलिसी सपोर्ट की जरूरत है. PLI स्कीम और टैक्स रिफॉर्म पर जोर देकर भारत में काम हो रहा है. डिजिटल और टैलेंट बेस सबसे ज्यादा इंडिया है. IT, AI, सेमीकंडक्टर स्किल्स बड़े पैमाने पर उपलब्ध है और भविष्य में भी सबसे बड़ा घरेलू बाजार बना रहेगा.

ट्रंप की पाबंदियों असर क्यों नहीं?

ट्रंप सरकार की पाबंदियां ज्यादा चीन और संवेदनशील टेक पर केंद्रित है. अमेरिका, भारत को रणनीतिक साझेदार मानता है. Quad और इंडो-पैसिफिक रणनीति में भारत अहम भूमिका निभा सकता है. अमेरिकी कंपनियों को भारत में लो-कॉस्ट + हाई-ग्रोथ कॉम्बिनेशन का अवसर मिलेगा.

भारत को क्या फायदा, क्या जोखिम?

फायदा: भारत में युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा है. इन कंपनियों के निवेश से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री में बूम होगा. टेक्नोलॉजी ट्रांसफर होने से तकनीकी लाभ मिलेगा.

जोखिम: जहां तक जोखिम की बात है तो भारत पर जियो-पॉलिटिकल दबाव बढ़ेगा. ट्रेड वॉर का अप्रत्यक्ष असर भारत को झेलना पड़ सकता है. घरेलू MSME पर प्रतिस्पर्धा का सामना करना होगा.

India Newsडोनाल्ड ट्रंपनरेंद्र मोदी
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