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Maharashtra Election Results: शिंदे की बढ़ी शान, महायुति के पंच से औंधे मुंह गिरा MVA- 5 वजहें

Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र में भाजपा की लड़ाई सीधे कांग्रेस से नहीं बल्कि क्षेत्रीय दलों से भी रहा. पिछले कुछ समय से भगवा पार्टी महाराष्ट्र में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश रही है, जहां उसे क्षेत्रीय दलों से चुनौतियों का सामना करना पड़ा.

Maharashtra Election Results: शिंदे की बढ़ी शान, महायुति के पंच से औंधे मुंह गिरा MVA- 5 वजहें
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Maharashtra Election 2024
सचिन सिंह
By: सचिन सिंह

Updated on: 23 Nov 2024 3:06 PM IST

Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र चुनाव में सत्तारूढ़ महायुति एक बार फिर से सत्ता पर कब्जा करने जा रही है. जनता के जनादेश ने वोटों की गिनती में इस जीत के रास्ते को साफ कर दिया है. विपक्षी महा विकास अघाड़ी (MVA) इस रेस में पिछड़कर सत्ता से एक बार फिर दूर हो रही है. शिवसेना (UBT), एनसीपी (शरद पवार) और कांग्रेस विपक्षी महा विकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन का हिस्सा हैं.

महाराष्ट्र के 288 सीटों में से दो तिहाई सीटों पर महायुति जीत की ओर आगे बढ़ रही है. महाराष्ट्र को फतह करने में तीन तीन फैक्टर अहम माने जा रहे हैं. इसमें महिला का वोट, मराठा का वोट और योजनाओं का लाभ शामिल है. लेकिन आखिर ऐसे कौन से कारण हैं, जो बीजेपी लीडिंग 'महायुति' को एक बार महाराष्ट्र के सत्ता पर वापसी करा रही है.

महाराष्‍ट्र में महायुति की जीत के 5 बड़े कारण-

1. विपक्ष के पास मुद्दों की कमी

महाराष्ट्र चुनाव में महायुति पर निशाना साधने में महा विकास अघाड़ी (MVA) कितनी हद तक कामयाब रही, ये चुनाव परिणाम बता रहे हैं. महायुति की जीत का पहला कारण विपक्ष के पास मुद्दों की कमी ही दिख रहा है, क्योंकि महायुति अपने बढ़ते कद के साथ मुद्दों को जनता के आगे रखने में सफल रही. विपक्ष किसी भी अहम मुद्दों को नहीं उठा सका. इसके साथ ही कांग्रेस पार्टी के भीतर अंदरुनी कलह और सहयोगियों की कमजोरी या एकजुटता भी हार की एक वजह सामने आ रही है.

2. आरएसएस की बेजोड़ भूमिका

लोकसभा चुनाव 2024 में RSS से दूरी बीजेपी को एक बार कई सीटों पर हार का स्वाद चखा चुकी है. ऐसे में इस बार बीजेपी (महायुति) को आरएसएस का सहारा मिला. ये बात तो जगजाहिर है कि राज्य में आरएसएस की जमीनी पकड़ काफी है, जिसका फायदा सीधे तौर पर महायुति को मिला है. आरएसएस के हजारों स्वयंसेवकों ने गांव-गांव जाकर महायुति के मुद्दों को लोगों के बीच रखा.

3. किसानों की दिल पर बीजेपी का कब्जा

लोकसभा चुनावों में किसानों और संविधान के मुद्दे पर खुद का बचाव करने में बीजेपी असफल साबित रही थी, लेकिन इस बार बीजेपी ने इस बार गलती नहीं की. किसानों के हर मुद्दे को अपनी सरकार के योजनाओं के साथ जोड़कर उनके दिल को जीतने में कामयाब रही. कपास और सोयाबीन किसानों को राहत के लिए कई बड़े कदम भी उठाए. सरकार ने यहां पर किसानों पर खास फोकस किया और जहां कांग्रेस ने एक बार फिर से संविधान खतरे वाले मुद्दे को उछाला, वहीं बीजेपी इसे डिफेंड करने में कामयाब रही.

4. शिंदे फैक्टर कर गया काम

बीजेपी ने जब एकनाथ शिंदे को सीएम बनाया तो उस वक्त शायद लोगों को समझ नहीं आया होगा, लेकिन इसका फायदा विधानसभा चुनाव में देखने को मिला. बीजेपी की ये चाल शिवसेना (यूबीटी) को कमजोर में सफल हो गई और मराठा वोट ने चुनावी जीत प्रशस्त कर दिया. मुंबई समेत महाराष्ट्र के लोगों ने सीएम शिंदे को ही मराठा सम्मान का प्रतीक माना. पीएम नरेंद्र मोदी के नारे 'एक हैं तो सेफ हैं' का महाराष्ट्र चुनाव में असर देखने को मिली. राज्य में ओबीसी वोट पर बीजेपी और महायुति ने काफी फोकस किया और अपने पाले में रखने की पूरी कोशिश की.

5. बहनों ने सत्ता का रास्ता किया साफ

महायुति सरकार की 'लाडली बहना योजना' की धूम चुनाव में भी देखने को मिली. महिलाओं पर इसका खासा असर रहा. उन्होंने महायुति को जमकर अपना समर्थन दिया. आंकड़े बताते हैं कि राज्य की महिलाओं ने महायुति पर भरोसा जताया है. वहीं इस योजना का असर राज्य के वोटिंग प्रतिशत पर भी देखने को मिला. राज्य में महिलाओं की वोटिंग में काफी इजाफा हुआ.

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