करतारपुर साहिब कॉरिडोर समझौता 5 साल के लिए बढ़ा, भारत और पाक का बड़ा फैसला, सिख समुदाय से है खास नाता
भारत और पाकिस्तान सरकार ने करतारपुर साहिब कॉरिडोर समझौता को अगले पांच साल के लिए बढ़ाने का फैसला लिया है. इस संबंध में विदेश मंत्रालय ने कहा कि "इस समझौते की वैधता के विस्तार से पाकिस्तान में पवित्र गुरुद्वारा जाने के लिए भारत से आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए कॉरिडोर का निर्बाध संचालन सुनिश्चित होगा."

Kartarpur Sahib Corridor: भारत और पाकिस्तान सरकार ने सिख समुदाय के हित के लिए बड़ा फैसला लिया है. दोनों देशों ने मंगलवार (22 अक्तूबर) को करतारपुर साहिब कॉरिडोर समझौता को अगले पांच साल के लिए बढ़ाने का फैसला लिया है.
सिख समुदाय के लोगों के लिए यह बड़ी खुशखबरी है. गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर जिसे सिर्फ करतारपुर साहिब के नाम से जाना जाता है काफी खास है. यह उनके सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है. इस समझौते के तहत भारत के सिख बड़ी संख्या में करतारपुर साहिब दर्शन के लिए जाते हैं.
विदेश मंत्रालय का बयान
इस मामले पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच राजनयिक माध्यम से करतारपुर साहिब कॉरिडोर पर समझौते की वैधता को पांच साल की अवधि के लिए बढ़ाने पर सहमति हुई है. मंत्रालय ने कहा कि "इस समझौते की वैधता के विस्तार से पाकिस्तान में पवित्र गुरुद्वारा जाने के लिए भारत से आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए कॉरिडोर का निर्बाध संचालन सुनिश्चित होगा."
सेवा शुल्क माफ करने का आग्रह
भारत और पाक ने करतारपुर साहिब कॉरिडोर डील को बढ़ा दिया है. भारत ने पाक से करतारपुर साहिब जाने वाले तीर्थयात्रियों पर लगाए जाने वाले 20 अमेरिकी डॉलर के सेवा शुल्क को भी माफ करने की अपील की है. सिख धर्म के लोग पिछले कई सालों से इस शुल्क को हटाने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि आध्यात्मिक यात्रा के साथ कर्ज कम आएगा.
सिखों के लिए क्यों खास है करतारपुर साहिब?
गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर सिखों के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है. यहां पर सिख गुरु, गुरु नानक देव ने अपने जीवन के अंतिम 18 वर्षों में यहीं उपदेश दिया था. करतारपुर साहिब पाकिस्तान के नारोवाल जिले में स्थित है. यह जगह भारतीय सीमा से सिर्फ तीन किलोमीटर दूर स्थित है. जानकारी के मुताबिक गुरुद्वारे में गुरुनानक देवजी ने अपनी चार प्रसिद्ध यात्राओं को पूरा करने के बाद 1522 में करतारपुर साहिब में रहने लगे थे. उन्होंने अपने जीवन के अंतिम वर्ष यहीं पर बिताए थे.
भारत-पाक के बीच कब हुआ समझौता?
15 अगस्त 1947 को भारत का बंटवारा हुआ. फिर भारत और पाकिस्तान दो देशों बन गए. विभाजन के बाद करतारपुर साहिब अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पाकिस्तान की तरफ आ गया. बता दें कि भारत में दुनिया भर के 95 प्रतिशत से ज़्यादा सिख रहते हैं, इसलिए पूरे भारत से तीर्थयात्री हमेशा करतारपुर साहिब जाने की मांग करते हैं.
सिखों की मांग को देखते हुए इसे देखते हुए 24 अक्टूबर, 2019 को भारत और पाकिस्तान ने करतारपुर साहिब कॉरिडोर नाम से समझौता हुआ. इसका उद्देश्य भारत से गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर तक तीर्थयात्रियों की यात्रा को सुविधाजनक था. इस समझौते पर शुरुआत में पांच साल के लिए हस्ताक्षर किए गए थे. अब इसे और 5 साल के लिए बढ़ा दिया गया है.