दोनों हाथ जोड़कर कंगना ने मांगी मांफी! बवाल के बाद यूटर्न
मंडी सांसद कंगना रनौत ने हाल ही में यह बयान दिया कि निरस्त किए गए तीन कृषि कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए, जिससे एक नया विवाद खड़ा हो गया. उनकी इस टिप्पणी पर विपक्ष ने कड़ी प्रतिक्रिया दी. भाजपा ने तुरंत इस बयान से दूरी बना ली और कहा कि कंगना का बयान उनका व्यक्तिगत विचार है और वह पार्टी की ओर से इस तरह के बयान देने के लिए अधिकृत नहीं हैं.

अभिनेत्री से नेता बनीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मंडी सांसद कंगना रनौत ने फिर एक नया विवाद खड़ा कर दिया है. कंगना ने सुझाव दिया कि किसान विरोध के बाद निरस्त किए गए तीन कृषि कानूनों को फिर से लागू किया जाना चाहिए. उनकी इस टिप्पणी से विपक्ष भड़क उठा, जिसके बाद भाजपा ने खुद को उनकी बातों से अलग कर लिया. पार्टी ने कहा कि कंगना को ऐसे बयान देने का अधिकार नहीं है और उनका यह बयान व्यक्तिगत है. बाद में वीडियो संदेश से उन्होंने अपनी सफाई पेश की है.
भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने एक वीडियो संदेश जारी कर कहा कि कंगना रनौत का बयान कृषि कानूनों पर पार्टी की राय को नहीं दर्शाता है. उन्होंने स्पष्ट किया, “कंगना रनौत का यह बयान पूरी तरह से व्यक्तिगत है, और वह पार्टी की ओर से ऐसा बयान देने के लिए अधिकृत नहीं हैं. भाजपा उनके इस बयान को अस्वीकार करती है.”
कंगना ने मांगी मांफी
इसके जवाब में कंगना ने भी सोशल मीडिया पर लिखा कि उनके विचार निजी हैं और वे पार्टी के दृष्टिकोण को नहीं दर्शाते हैं. किसान कानून पर उनके टिप्पणी के बाद जमकर बवाल हुआ. अब एक वीडियो जारी कर न केवल उन्होंने किसान कानून पर की गई टिप्पणी पर खेद जताया बल्कि माफी मांगते हुए कहा कि, मैं अब एक कलाकार ही नहीं एक भाजपा की नेता भी हूं.
विपक्ष की प्रतिक्रिया
कंगना की इस टिप्पणी पर विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी. पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा ने कंगना की आलोचना करते हुए कहा कि वह हमेशा विवाद खड़ा करती हैं. उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा को उनके बयानों से फायदा होता है. कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत और अन्य नेताओं ने भी कंगना की आलोचना करते हुए कहा कि उनके बयान से किसान विरोध को लेकर पुरानी बहस फिर से खड़ी हो सकती है.
टिकैत ने कसा तंज
किसान नेता राकेश टिकैत ने कंगना के बयान पर तंज कसा है. टिकैत ने कहा कि कंगना में बहुत बचपना है. उन्होंने कहा कि कंगना के निजी विचार बहुत हैं और उनके बयान से भारतीय जनता पार्टी को नुकसान होगा.
कंगना के बयानों से बीजेपी की दूरी
यह पहली बार नहीं है जब कंगना रनौत की टिप्पणियों पर भाजपा ने अपनी दूरी बनाई है. इससे पहले भी उन्होंने किसान आंदोलन को लेकर कई बयान दिए थे, जिनसे पार्टी ने असहमति जताई थी. पार्टी ने उन्हें आगे से इस तरह के बयान न देने की सलाह भी दी थी.
तीन कृषि कानूनों का इतिहास
कंगना का बयान ऐसे समय में आया है जब कृषि कानूनों का मामला काफी संवेदनशील रहा है. तीनों विवादित कृषि कानून, जिन्हें किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा समझौता अधिनियम और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम के रूप में जाना जाता है, नवंबर 2021 में निरस्त कर दिए गए थे.
किसानों ने इन कानूनों के खिलाफ लंबा विरोध किया था, जो जून 2020 में लागू हुए थे और बाद में नवंबर 2021 में सरकार द्वारा वापस ले लिए गए.