जरा सोचिए आप ज्यादा क्या चलाते हैं Facebook या Instagram, क्या सच में मार्क जुकरबर्ग को भी नहीं भा रहा FB?
आज के डिजिटल दौर में Instagram और X जैसे प्लेटफॉर्म्स का चलन बढ़ता जा रहा है, और खुद Meta के CEO मार्क जुकरबर्ग की इंटरनल ईमेल्स इस ट्रेंड को साफ दिखाती हैं, उन्होंने माना कि वह अब कंटेंट देखने के लिए Facebook के बजाय Instagram और X को प्राथमिकता देते हैं. जुकरबर्ग की ये बात Facebook के गिरते सांस्कृतिक प्रभाव की ओर इशारा करती है.

Meta के CEO मार्क जुकरबर्ग का एक चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है- वो अब खुद Facebook की जगह Instagram और X (पहले Twitter) जैसे प्लेटफॉर्म्स पर ज्यादा वक्त बिताते हैं. यह जानकारी उनके कुछ इंटरनल ईमेल्स के ज़रिए सामने आई है जो अमेरिका की फेडरल ट्रेड कमीशन की ऐंटीट्रस्ट जांच के दौरान सार्वजनिक हुए, इन ईमेल्स से साफ पता चलता है कि खुद Meta के शीर्ष नेतृत्व को Facebook के भविष्य को लेकर गंभीर चिंता है. तो वहीं सोचने वाली बात है कि इन दिनों आप ज्यादा क्या उपयोग कर रहे हैं फेसबुक या इंस्टाग्राम कहीं आपका जवाब तो कुछ और नहीं.
जहां एक ओर Instagram और X जैसे प्लेटफॉर्म्स पर क्रिएटर्स और इन्फ्लुएंसर्स की भरमार है और युवा वर्ग सक्रिय है, वहीं Facebook अपने पुराने ‘फ्रेंडिंग मॉडल’ में अटका हुआ दिखाई दे रहा है. जुकरबर्ग ने माना कि अब वो खुद भी सर्फर्स और MMA फाइटर्स जैसे लोगों को Instagram और X पर फॉलो करना पसंद करते हैं, ना कि Facebook पर.
Facebook का पुराना मॉडल नई पीढ़ी को नहीं भा रहा
Facebook की समस्या उसकी पुरानी पहचान बन गई है- एक ऐसा प्लेटफॉर्म जो 'म्यूचुअल फ्रेंडशिप' पर आधारित है. जुकरबर्ग ने अपनी ईमेल बातचीत में स्वीकार किया कि आज की सोशल मीडिया दुनिया 'फॉलो' आधारित है, जहाँ यूज़र अपने इंटरेस्ट के मुताबिक कंटेंट और पर्सनैलिटीज को चुनते हैं. वहीं Facebook का फ्रेंडिंग सिस्टम यूज़र की पसंद पर सीमाएं लगा देता है.
Meta के लिए चुनौती-Facebook की साख बचाना
Instagram जहां आज भी युवा यूज़र्स को अपनी ओर खींच रहा है, वहीं Facebook अब ‘ओल्ड-स्कूल’ बनता जा रहा है. जुकरबर्ग ने यह भी माना कि Facebook Groups जैसे फीचर्स पर कंपनी ने काफी निवेश किया, लेकिन अब लोग बातचीत के लिए WhatsApp और Messenger जैसे प्राइवेट चैनल्स की ओर बढ़ रहे हैं.
इस आत्मनिरीक्षण से एक बात साफ होती है-Meta अब जान चुका है कि अगर Facebook को आज के डिजिटल दौर में ज़िंदा रखना है, तो उसे खुद को तेजी से बदलना होगा. वरना वह सोशल मीडिया की दौड़ में पीछे छूट सकता है. अब बड़ा सवाल यह है: क्या मार्क जुकरबर्ग Facebook को फिर से लोकप्रिय बना पाएंगे, या Meta के इतिहास में यह प्लेटफॉर्म सिर्फ एक सुनहरा लेकिन बीता हुआ अध्याय बनकर रह जाएगा?