मेडिकल कॉलेज को मान्यता दिलाने में होती है 'मोटी-डील'! अगर नहीं तो फिर CBI ने क्यों धरे 4 डॉक्टर?
CBI ने मेडिकल कॉलेज की मान्यता दिलाने के बदले 55 लाख रुपये रिश्वत लेने के आरोप में NMC से जुड़े तीन डॉक्टरों समेत 6 लोगों को गिरफ्तार किया है. यह मामला छत्तीसगढ़ के रायपुर स्थित रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज से जुड़ा है. सौदे के तहत फेवर में रिपोर्ट देने की डील हुई थी. CBI ने छह राज्यों में छापेमारी कर ₹55 लाख की रिश्वत में से ₹54.5 लाख की रकम बरामद की है.

अब तक यही देखा-सुना जाता था कि निजी मेडिकल कॉलेजों में छात्रों का दाखिला ‘मोटी-रकम’ वसूल कर ही किया जाता है. अब इससे भी एक कदम आगे जाकर यह भी साबित हो गया है कि देश के कुछ मेडिकल कॉलेज विद्यार्थियों के दाखिले के बदले न केवल मोटी रकम वसूलते हैं, अपितु इन मेडिकल कॉलेजों को नेशनल मेडिकल काउंसिल (National Medical Council NMC) से अपनी मान्यता हासिल करने के लिए भी, काफी भारी-भरकम या कहिए मोटी रकम-रिश्वत के रूप में अदा करनी पड़ती है.
राष्ट्रीयता चिकित्सा आयोग अगर कहता है कि नहीं ऐसा नहीं है, तब फिर सवाल पैदा होता है कि आखिर एक मेडिकल कॉलेज की मान्यता के लिए 50-55 लाख की रिश्वत हवाला के जरिए वसूलने के आरोप में, एनएमसी की टीम के तीन डॉक्टर सीबीआई ने क्यों और कैसे गिरफ्तार कर लिए?
छत्तीसगढ़ के मेडिकल कॉलेज से जुड़ा है मामला
जी हां बात एकदम सही है. सीबीआई ने इस बड़े रिश्वत कांड में चार डॉक्टरों सहित 6 लोगों को गिरफ्तार किया है. इन सबकी गिरफ्तारी की पुष्टि खुद नई दिल्ली स्थित सीबीआई मुख्यालय ने भी की है. सीबीआई के मुताबिक गिरफ्तार 6 आरोपियों का नाम डॉ. अशोक शेलके, डॉ. सतीश ए, डॉ. चैत्रा एम एस, डॉ. मंजप्पा सी एन, अतुल कुमार तिवारी और रविचंद्रन है. गिरफ्तार 6 आरोपियों में महिला डॉक्टर चैत्रा एम एस और रविचंद्रन रिश्ते में पति-पत्नी हैं. मेडिकल कॉलेज को मान्यता के लिए रिश्वतखोरी का यह मामला छत्तीसगढ़ के रायपुर में नवा रायपुर स्थित रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज का है.
55 लाख में तय हुआ था सौदा
सीबीआई मुख्यालय के मुताबिक, “रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज को मान्यता दिलाने की एवज में 55 लाख रिश्वत हवाला के जरिए वसूलने का सौदा तय हुआ था. इस मामले में रिश्वते देने वाले और रिश्वत लेने वाले दोनों ही पक्षों में से किसी ने भी सीबीआई से शिकायत के लिए संपर्क नहीं साधा था. यह तो सीबीआई को अपने मुखबिरों के जाल से पता चला कि इस मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण करके अपनी सकारात्मक रिपोर्ट दाखिल करने की एवज में मोटी रिश्वत की डील फिक्स हो चुकी है.”
4 में से तीन डॉक्टर मेडिकल काउंसिल के सदस्य
यह डील 55 लाख रुपए की थी. रिश्वत की पूरी रकम हवाला के जरिए भुगतान किए जाने की भी इंतजाम कर लिया गया था. गिरफ्तार 4 डॉक्टरों में से तीन डॉक्टर नेशनल मेडिकल काउंसिल (राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद/आयोग) के शामिल हैं. अब सीबीआई द्वारा गिफ्तार किए जा चुके इन्हीं तीनों डॉक्टरों को कॉलेज के उन दस्तावेजों की जांच पड़ताल करके रिपोर्ट राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग/परिषद में दाखिल करनी थी, जिन्हें एनएमसी ने जांच के लिए टीम बनाकर भेजा था.
6 राज्यों में फैला था सिंडिकेट
सीबीआई को मुताबिक इस सिंडिकेट के भंडाफोड़ के लिए छह अलग अलग राज्यों में छापेमारी करनी पड़ी थी. सीबीआई ने बेगलुरू में छापा मारकर आरोपियों को धर-दबोचा. 16 लाख 62 हजार की रकम आरोपियों से उनकी गिरफ्तारी के वक्त ही बरामद कर ली गई. यह रकम गिरफ्तार की गई महिला डॉक्टर चैत्रा एम एस के पति रविचंद्रन के कब्जे से मिली. जबकि रिश्वत की बाकी रकम (38 लाख 38 हजार रुपए) डॉ. सतीश से बरामद हुई.
फेवर में रिपोर्ट देने की हुई थी डील
यहां उल्लेखनीय है कि सीबीआई के शिकंजे में फंसा मेडिकल कॉलेज रावतपुरा सरकार लोक कल्याण ट्रस्ट (मध्य प्रदेश) से जुड़ा है. यह भिंड जिले की तहसील लहार में स्थित है. सीबीआई के अनुसार रायपुर के इस मेडिकल कॉलेज ने काफी पहले मान्यता के लिए राष्ट्रीय चिकिस्ता परिषद (पूर्व नाम मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) में आवेदन किया हुआ था. मान्यता के लिए कॉलेज सभी अहर्ताएं पूर्ण करता है या नहीं. इसी की रिपोर्ट निरीक्षण के बाद, परिषद द्वारा गठित करके भेजी की डॉक्टरों की टीम को देनी थी. रिपोर्ट कॉलेज के फेवर में दी जाएगी, इसी के लिए डॉक्टरों की टीम ने 55 लाख रुपए लेने की डील फिक्स कर डाली. जिस मेडिकल कॉलेज की मान्यता के लिए रिपोर्ट फेवर में देने की डील का भांडाफोड़ सीबीआई ने किया है उसे, रावतपुरा सरकार आयुर्विज्ञान एवं अनुसंधान संस्थान (SRIMSR) के नाम से भी देश में जाना-पहचाना जाता है.
सीबीआई के मुताबिक, “गिरफ्तार डॉक्टरों में प्रोफेसर डॉ. मंजुप्पा सीएन कर्नाटक स्थित मंड्या इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, निरीक्षण टीम की सदस्य महिला डॉक्टर चैत्रा एम एस भी शामिल हैं. गिरफ्तार कुछ 6 आरोपियों में 3 डॉक्टर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के सदस्य हैं. गिरफ्तार अतुल कुमार रावतपुरा सरकार का निदेशक है. इन सभी 6 आरोपियों को कोर्ट ने सीबीआई की हिरासत में 5 दिन के लिए सौंप दिया है.” सीबीआई के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो मान्यता दिलाने और सीटें बढ़वाने के नाम पर 1 करोड़ 62 लाख रुपए इस मामले में पहले ही दिए जा चुकने की खबर थी.
जबकि रिपोर्ट को कॉलेज के फेवर में देने की एवज में 55 लाख रुपए और लेन-देन का सौदा तय हुआ था. यह 55 लाख रुपए वाली रिश्वत की दूसरी किश्त थी.