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EXCLUSIVE: सेना के टैंक स्वर्ण मंदिर भेजते ही इंदिरा गांधी को हो गया था 'मौत' का अंदेशा, शांतनु सेन ने सुनाया आंखों देखा हाल

CBI के पूर्व जॉइंट डायरेक्टर शांतनु सेन ने स्टेट मिरर के एडिटर क्राइम संजीव चौहान के साथ पॉडकास्ट में खुलासा करते हुए बताया कि किस तरह बिना क्राइम इन्वेस्टिगेशन अनुभव के उन्हें यह केस सौंपा गया. और कैसे इंदिरा गांधी ने टैंकों के मंदिर में घुसने की खबर सुनते ही कहा, "अब मेरी मौत हो जाएगी."

EXCLUSIVE: सेना के टैंक स्वर्ण मंदिर भेजते ही इंदिरा गांधी को हो गया था मौत का अंदेशा, शांतनु सेन ने सुनाया आंखों देखा हाल
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नवनीत कुमार
By: नवनीत कुमार

Updated on: 14 April 2025 1:17 PM IST

1984 में हुए ऑपरेशन ब्लू स्टार को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. इसमें पता चला है कि किस तरह तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे राजीव गांधी पूरे मामले को दिल्ली में कंट्रोल रूम से निगरानी कर रहे थे. केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के रिटायर्ड जॉइंट डायरेक्टर शांतनु सेन ने स्टेट मिरर हिंदी के पॉडकास्ट में, एडिटर क्राइम संजीव चौहान से बातचीत की. उन्होंने ऑपरेशन ब्लू स्टार से जुड़े अपने अनुभवों पर विस्तार से बात की और बताया कि कैसे उन्हें यह केस सौंपा गया, जबकि उनकी पृष्ठभूमि एंटी करप्शन और इकनॉमिक क्राइम्स की थी.

CBI के पूर्व जॉइंट डायरेक्टर शांतनु सेन ने स्टेट मिरर हिंदी के पॉडकास्ट में ऑपरेशन ब्लू स्टार से जुड़े अपने अनुभव साझा करते हुए कई अनकहे पहलुओं का खुलासा किया. शांतनु सेन ने बताया कि कैसे उन्हें एक आर्थिक अपराध विशेषज्ञ होते हुए भी 1984 में आतंकवाद से जुड़ी एक बड़ी जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई, और किस तरह ऑपरेशन ब्लू स्टार के फैसलों के पीछे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे राजीव गांधी की सक्रिय भूमिका थी. सुनिए-देखिए पॉडकास्ट की इस खास कड़ी में...

जब ऑपरेशन ब्लू स्टार शुरू हुआ

शांतनु सेन बताते हैं कि जून 1984 की शुरुआत में ऑपरेशन ब्लू स्टार की शुरुआत हुई. सेना को स्वर्ण मंदिर में घुसे खालिस्तान समर्थकों को बाहर निकालने का निर्देश मिला था. 5 जून को ऑपरेशन शुरू हुआ और इसे डेढ़ दिन में समाप्त करने की योजना थी. लेकिन हालात इतने गंभीर हो गए कि सेना को मजबूरी में टैंक मंदिर परिसर के भीतर ले जाने पड़े.

जांच की जिम्मेदारी कैसे मिली?

एडिटर क्राइम संजीव चौहान से बातचीत करते हुए शांतनु सेन ने बताया कि उस समय वे CBI में एसपी थे और एंटी करप्शन यूनिट में कार्यरत थे. लेकिन 8 जून को CBI के डायरेक्टर जेएस बाबा और जॉइंट डायरेक्टर रेनी सेन ने उन्हें बुलाया और कहा "ये केस आपको करना है." शांतनु सेन ने कहा कि उन्हें क्राइम इन्वेस्टिगेशन का कोई अनुभव नहीं था, लेकिन फिर भी उन्हें चुना गया.

टैंक्स गए तो मेरी मौत हो जाएगी

जांच के दौरान सेन को पता चला कि जब सेना ने टैंकों को मंदिर के भीतर भेजने की अनुमति मांगी, तो वह इजाजत सीधे दिल्ली से दी गई. उस वक्त राजीव गांधी और अरुण सिंह कंट्रोल रूम में मौजूद थे. जैसे ही इंदिरा गांधी को अगले दिन जानकारी मिली कि टैंक भेजे जा चुके हैं, उन्होंने कथित रूप से कहा, "अब मेरी मौत हो जाएगी." यह बात बाद में इंटेलिजेंस ब्यूरो की एक मीटिंग में डायरेक्टर कपूर ने भी दोहराई और कहा कि "प्रधानमंत्री को लग रहा है कि अब उनकी जान जा सकती है."

इंदिरा गांधी को था अंदेशा

सेन कहते हैं कि मिसेज गांधी को ऑपरेशन की गंभीरता और उसके राजनीतिक-सामाजिक असर का पूरा अंदाजा था. टैंकों की मौजूदगी ने उनके मन में यह यकीन बैठा दिया कि अब वे इस निर्णय की कीमत अपनी जान से चुकाएंगी. यही हुआ भी, महज कुछ महीने बाद, 31 अक्टूबर 1984 को उनकी हत्या कर दी गई.

ऑपरेशन की हर चाल पर थी नजर

शांतनु सेन ने इस बातचीत में यह स्पष्ट किया कि ऑपरेशन के दौरान दिल्ली में बनाए गए कंट्रोल रूम की जिम्मेदारी सीधे राजीव गांधी और उनके करीबी अरुण सिंह ने संभाली थी. यह पहली बार है जब CBI के किसी वरिष्ठ अधिकारी ने ऑन रिकॉर्ड यह बात मानी कि उस समय का राजनीतिक नेतृत्व ऑपरेशन की हर चाल पर नजर रखे हुए था. पूरे ऑपरेशन और इसके बाद हुई राजनीतिक हलचलों को लेकर कई सवाल उठते रहे हैं. लेकिन सेन के बयान से यह साफ होता है कि इंदिरा गांधी को अपने फैसले के परिणामों का अंदेशा था और उन्होंने इसे स्वीकार भी किया था.

अफसर किन परिस्थितियों में लेते हैं फैसले?

ऑपरेशन ब्लू स्टार पर कई किताबें और दस्तावेज़ मौजूद हैं, लेकिन सेन की ये बात उस ऑपरेशन की रणनीतिक और मानवीय जटिलताओं को एक नए दृष्टिकोण से सामने लाती है. एक ऐसा दृष्टिकोण, जिसमें सियासत, सेना और बलिदान तीनों की परछाईं दिखती है. शांतनु सेन का यह बयान न केवल इतिहास की धूल छानता है, बल्कि बताता है कि CBI जैसे संस्थानों के अफसर किन परिस्थितियों में बड़े फैसले लेने को मजबूर होते हैं. और यह भी कि इतिहास में दर्ज एक ऑपरेशन के पीछे कितने अनकहे किस्से छिपे रहते हैं. जो आज सामने आने पर नए सवाल खड़े कर सकते हैं.

पूरा पॉडकास्ट यहां देख सकते हैं

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