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सांस भी नहीं ले पाएगा पाकिस्तान! घेरकर मारेगा भारत, इधर अफगानिस्तान- उधर ताजिकिस्तान से बरसेगा बम

भारत ने पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाने के लिए सेना को पूरी ऑपरेशनल फ्रीडम दे दी है. साथ ही ताजिकिस्तान स्थित आयनी एयरबेस को रणनीतिक रूप से एक्टिव किया जा रहा है. यह एयरबेस पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा तक हमले या निगरानी की क्षमता देता है। इससे पाकिस्तान को दो तरफा सैन्य दबाव का सामना करना पड़ेगा.

सांस भी नहीं ले पाएगा पाकिस्तान! घेरकर मारेगा भारत, इधर अफगानिस्तान- उधर ताजिकिस्तान से बरसेगा बम
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सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Updated on: 6 May 2025 8:57 PM IST

India Pak War: पहलगाम आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना को 'पूरी ऑपरेशनल आज़ादी' दे दी है कि कब, कैसे और कहां जवाब देना है? इसका फैसला वो खुद करें. लेकिन इस पूरे सैन्य तनाव के बीच एक ऐसा रणनीतिक ठिकाना है, जिस पर अभी तक ज्यादा चर्चा नहीं हुई. ताजिकिस्तान का आयनी एयरबेस, जो चुपचाप भारत की रणनीतिक पकड़ को मजबूत कर रहा है और खासतौर पर पाकिस्तान के लिए चिंता की बड़ी वजह बन चुका है.

आखिर क्या है आयनी एयरबेस?

ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे से सिर्फ 15 किलोमीटर दूर स्थित आयनी एयरबेस कभी सोवियत जमाने की जर्जर संपत्ति थी. लेकिन 2002 में भारत ने करीब 70 मिलियन डॉलर (करीब 580 करोड़ रुपये) खर्च कर इसे आधुनिक रूप देना शुरू किया. 2010 तक यहां लंबी रनवे, फ्यूल डिपो, एयर ट्रैफिक कंट्रोल, भारी विमान और फाइटर जेट्स की सुविधाएं तैयार हो गईं.

भारत की चुपचाप मौजूदगी, पाकिस्तान की बढ़ती बेचैनी

हालांकि ताजिक सरकार कहती है कि उनके देश में कोई विदेशी सेना नहीं है, लेकिन सैटेलाइट तस्वीरों और सुरक्षा विश्लेषकों की रिपोर्टों के मुताबिक भारतीय वायुसेना के इंजीनियर, तकनीकी स्टाफ और सुरक्षा बल यहां लंबे समय से मौजूद हैं. इस बेस से पाकिस्तान के पश्चिमी इलाकों- बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा - पर नजर रखी जा सकती है. यानी अगर कभी बड़ा सैन्य संघर्ष हुआ, तो भारत न सिर्फ कश्मीर की तरफ से बल्कि उत्तर-पश्चिम से भी दबाव बना सकता है.

सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं, चीन भी भारत की निगाह में

आयनी एयरबेस का मतलब सिर्फ पाकिस्तान तक सीमित नहीं है. ताजिकिस्तान की सीमा चीन के संवेदनशील शिनजियांग प्रांत से भी लगती है. 2020 में गलवान झड़प के बाद से भारत की नजर इस इलाके पर और पैनी हो गई है. ये एयरबेस चीन की गतिविधियों पर नजर रखने का भी अहम ठिकाना बन सकता है.

अफगानिस्तान से भी कनेक्शन, आतंक पर लगाम की तैयारी

तालिबान की वापसी के बाद अफगानिस्तान में फिर आतंकवाद के बढ़ने का खतरा है. 2021 में भारत ने इसी बेस से अपने नागरिकों और दूतावास के कर्मचारियों को एयरलिफ्ट किया था. ऐसे में आयनी आतंकवाद रोधी अभियानों और निगरानी के लिए भी भारत का बड़ा ताकतवर मोर्चा है.

पाकिस्तान के लिए 'चुपचाप घेराबंदी' का खतरा

पाकिस्तानी खुफिया हलकों में ये डर है कि भारत इस बेस का इस्तेमाल रेकॉन (जासूसी), ड्रोन स्ट्राइक या सीमित एयर ऑपरेशन के लिए कर सकता है। साथ ही, बलूच अलगाववादी गतिविधियों और पाकिस्तानी परमाणु ठिकानों की निगरानी भी संभव है. पाकिस्तान पहले से ही कश्मीर मोर्चे पर दबाव में है, अब अगर दूसरी तरफ से भी सैन्य दबाव बढ़ा तो उसे अपनी सुरक्षा रणनीति दोबारा तय करनी पड़ेगी.

सिर्फ सैन्य नहीं, कूटनीतिक भी बड़ी चाल

आयनी बेस के जरिए भारत मध्य एशिया में भी अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है, जहां रूस और चीन की परंपरागत दखल है. चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के पास भारत की यह मौजूदगी इस क्षेत्र में नई रणनीतिक जटिलता पैदा कर रही है.

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