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India-US Trade Deal फंसा! डेयरी सेक्टर बना 'रेड लाइन', ट्रंप की चालबाजी पर भारत ने कह दी ये बात

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते की बातचीत में गतिरोध बना हुआ है. भारत ने डेयरी सेक्टर को ‘रेड लाइन’ बताते हुए किसी भी तरह की रियायत देने से इनकार कर दिया है. यह क्षेत्र 8 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार देता है. अमेरिका जहां कृषि और डेयरी पर छूट चाहता है, वहीं भारत अपने निर्यात पर लगे 26% टैरिफ से राहत की उम्मीद कर रहा है. भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते की बातचीत में गतिरोध बना हुआ है. भारत ने डेयरी सेक्टर को ‘रेड लाइन’ बताते हुए किसी भी तरह की रियायत देने से इनकार कर दिया है. यह क्षेत्र 8 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार देता है. अमेरिका जहां कृषि और डेयरी पर छूट चाहता है, वहीं भारत अपने निर्यात पर लगे 26% टैरिफ से राहत की उम्मीद कर रहा है.

India-US Trade Deal फंसा! डेयरी सेक्टर बना रेड लाइन, ट्रंप की चालबाजी पर भारत ने कह दी ये बात
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सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Updated on: 1 July 2025 7:33 PM IST

भारत और अमेरिका के बीच अंतरिम व्यापार समझौते को लेकर चल रही वार्ता छठे दिन में पहुंच गई है, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल सका है. वार्ता में सबसे बड़ा रोड़ा बना है कृषि और खासकर डेयरी क्षेत्र, जिसे लेकर भारत ने अमेरिका के दबाव को स्पष्ट तौर पर ठुकरा दिया है. सूत्रों के मुताबिक, भारत ने साफ कह दिया है कि डेयरी सेक्टर उसके लिए 'रेड लाइन' है और उसमें कोई समझौता नहीं किया जाएगा. भारत का तर्क है कि यह क्षेत्र 8 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार देता है, जिनमें से अधिकांश छोटे किसान हैं.

डेयरी सेक्टर पर नहीं होगा कोई समझौता

सरकारी सूत्रों ने कहा, 'डेयरी पर झुकने का सवाल ही नहीं उठता. यह हमारी रेड लाइन है. अमेरिका भारत से डेयरी और कृषि सेक्टर में ड्यूटी में रियायत की मांग कर रहा है, लेकिन भारत इसे अपने किसानों के हितों के खिलाफ मान रहा है. भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई कर रहे स्पेशल सेक्रेटरी राजेश अग्रवाल ने वॉशिंगटन में अपनी यात्रा एक दिन और बढ़ा दी है ताकि गतिरोध को तोड़ा जा सके.

भारत को इन सेक्टर्स में रियायत की उम्मीद

भारत अमेरिका से कपड़ा, गहने, चमड़े का सामान, केमिकल्स, प्लास्टिक, झींगा, केले और अंगूर जैसे लेबर-इंटेंसिव क्षेत्रों में टैरिफ में छूट की उम्मीद कर रहा है. सूत्रों ने बताया कि "इन उत्पादों पर रियायत से अमेरिका के घरेलू उद्योग को कोई नुकसान नहीं होगा, इसलिए इन्हें लेकर ज्यादा विरोध नहीं होना चाहिए.

9 जुलाई की डेडलाइन से पहले चाहिए समझौता

यह अंतरिम समझौता एक व्यापक व्यापार डील की ओर पहला कदम माना जा रहा है. अमेरिका चाहता है कि 9 जुलाई की डेडलाइन से पहले किसी नतीजे पर पहुंचा जाए, वरना भारत से आयात पर 26% का टैरिफ फिर से लागू हो सकता है. यह टैरिफ 2 अप्रैल को अमेरिका द्वारा लगाया गया था जिसे 90 दिनों के लिए निलंबित किया गया था.

अमेरिका की मांग, भारत की मजबूरी

अमेरिका जहां कृषि और डेयरी क्षेत्र में रियायत चाहता है, वहीं भारत के लिए यह दोनों सेक्टर संवेदनशील हैं. भारत में अधिकांश किसान छोटे और आजीविका आधारित खेती करते हैं. ऐसे में इन सेक्टर्स में किसी भी तरह की रियायत ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ सकती है. वार्ता के दौरान भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से मुलाकात भी प्रस्तावित है. उम्मीद की जा रही है कि दोनों नेताओं की बातचीत से गतिरोध खत्म करने में मदद मिल सकती है.

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