सियासी संकट में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार, भारत को बना दिया विलेन! MEA ने कहा– पहले अपने गिरेबान में झांको
भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने बांग्लादेश द्वारा लगाए गए आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि ढाका अपने देश की आंतरिक प्रशासनिक विफलताओं से जनता का ध्यान भटकाने के लिए भारत को दोषी ठहरा रहा है. MEA के अनुसार, भारत बांग्लादेश के साथ मजबूत रिश्तों का पक्षधर है लेकिन बेबुनियाद आरोपों को स्वीकार नहीं करेगा.

भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने बांग्लादेश की सरकार द्वारा भारत पर लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि ढाका अपने आंतरिक प्रशासनिक चुनौतियों से ध्यान भटकाने के लिए भारत को दोषी ठहरा रहा है. सियासी संकट में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार, भारत को बना दिया विलेन! MEA ने कहा– पहले अपने गिरेबान में झांकोMEA के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि भारत बांग्लादेश के साथ मजबूत और मैत्रीपूर्ण संबंधों के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन वह किसी भी प्रकार के निराधार आरोपों को स्वीकार नहीं करेगा.
यह बयान ऐसे समय में आया है, जब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत पर आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का आरोप लगाया है, विशेषकर पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को भारत में शरण देने को लेकर... शेख हसीना, जो अगस्त 2024 में बांग्लादेश में हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद भारत आ गई थीं, पर ढाका की अदालत ने हत्या और मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोप में गिरफ्तारी वारंट जारी किया है. बांग्लादेश की सरकार ने भारत से उनके प्रत्यर्पण की औपचारिक मांग भी की है.
बांग्लादेश की आंतरिक राजनीतिक स्थिति पर कोई टिप्पणी नहीं करेगा भारत
भारत ने इस प्रत्यर्पण अनुरोध पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की है, लेकिन MEA ने यह स्पष्ट किया है कि भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में पारदर्शिता और आपसी सम्मान को महत्व देता है. MEA के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि भारत बांग्लादेश की आंतरिक राजनीतिक स्थिति पर कोई टिप्पणी नहीं करेगा, लेकिन वह किसी भी प्रकार के निराधार आरोपों को स्वीकार नहीं करेगा.
आंतरिक असंतोष से जनता का ध्यान हटाना है अंतरिम सरकार का उद्देश्य
विश्लेषकों का मानना है कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा भारत पर लगाए गए आरोपों का उद्देश्य आंतरिक असंतोष और प्रशासनिक विफलताओं से जनता का ध्यान हटाना हो सकता है। भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों में यह एक संवेदनशील मोड़ है, और दोनों देशों को संयम और कूटनीतिक समझदारी से काम लेना होगा.
यूनुस के बयान पर किया पलटवार
रणधीर जायसवाल बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस द्वारा हाल ही में दिए गए एक बयान के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत द्वारा देश पर 'आधिपत्य' स्थापित करने के प्रयास के कारण बांग्लादेश को गंभीर संकट का सामना करना पड़ रहा है. विवाद की शुरुआत पिछले हफ़्ते यूनुस और राजनीतिक पार्टी नागोरिक ओइका के अध्यक्ष महमूदुर रहमान मन्ना के बीच हुई बैठक के बाद हुई. बाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मन्ना ने पत्रकारों को बताया कि यूनुस ने 'भारतीय आधिपत्य की साजिश' के कारण होने वाले गहरे संकट की चेतावनी दी थी.
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स में मन्ना के हवाले से कहा गया, "यूनुस ने चर्चा की शुरुआत यह कहकर की कि हम गहरे संकट में हैं. संकट से उनका मतलब भारतीय आधिपत्य की साजिश से था. भारतीय आधिपत्य हमारे देश में इस बदलाव को बिल्कुल भी स्वीकार नहीं करना चाहता. अगर उनका बस चले तो वे हमें एक ही दिन में नष्ट कर दें और वे इसके लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं."
पाकिस्तान को दिया कड़ा संदेश
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए कहा, "हम पाकिस्तान के साथ अपने रुख पर अडिग हैं. किसी भी बातचीत की प्रक्रिया सिर्फ द्विपक्षीय होगी. हम फिर दोहराना चाहते हैं कि आतंक और वार्ता एक साथ नहीं चल सकते." उन्होंने साफ किया कि भारत ने पाकिस्तान को जिन कुख्यात आतंकवादियों की सूची पहले दी थी, उन्हें भारत के हवाले किया जाना चाहिए. कश्मीर पर बातचीत तभी संभव होगी, जब पाकिस्तान POK खाली कर उसे भारत को सौंपे.
इंडस जल संधि को लेकर भी भारत ने सख्ती दिखाई. जायसवाल ने कहा, "यह संधि तब तक स्थगित रहेगी जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना पूरी तरह और विश्वसनीय तरीके से बंद नहीं करता." अंत में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शब्दों को दोहराते हुए कहा, "जैसा कि प्रधानमंत्री कहते हैं - आतंक और बातचीत एक साथ नहीं हो सकते, आतंक और व्यापार एक साथ नहीं हो सकते, और पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते."