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क्या है तेजस का 'G-स्टंट'? कहीं टर्बुलेंस फैक्टर का शिकार तो नहीं हो गया IAF का अचूक 'ब्रह्मास्त्र'

IAF Tejas Aircraft: तेजस विमान दुबई एयर शो में Negative G-स्टंट के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया. विशेषज्ञों का मानना है कि टर्बुलेंस, प्रशिक्षण की कमी और नियंत्रण प्रणाली की सीमाएं इस हादसे की वजह हो सकती हैं. इस रिपोर्ट में जानें नेगेटिव G क्या है, तेजस के लिए यह क्यों खतरनाक हो सकता है.

क्या है तेजस का G-स्टंट? कहीं टर्बुलेंस फैक्टर का शिकार तो नहीं हो गया IAF का अचूक ब्रह्मास्त्र
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IAF Tejas Crash: भारत का स्वदेशी लाइट कॉम्बैट विमान तेजस को वायु सेना का आधुनिक 'ब्रह्मास्त्र' माना जाता है, लेकिन दुबई एयर शो में तेजस क्रैश होने की घटना ने कान खड़े कर दिए हैं. अहम सवाल यह है कि क्या उसका Negative G-स्टंट (गुरुत्वाकर्षण के विपरीत बलों की ताकत के साथ-साथ उसकी कमजोरी भी बन गया है? ऐसा इसलिए कि पायलट ने लूप पूरा करने के बाद जब तेजी से नीचे की ओर टर्न लेने की कोशिश की, तो विमान ऊंचाई को रिकवर नहीं कर पाया और नियंत्रण खो गया. यह घटना न सिर्फ तकनीकी और डिजाइन संबंधी मुद्दों से जुड़ी है बल्कि प्रशिक्षण, उड़ान प्रोफाइल और विमान की सीमाओं पर भी नई बहस को जन्म दे दिया है.

G-Negative क्या है?

तेजस के लिहाज से Negative G वह स्थिति है जब विमान और पायलट पर गुरुत्वाकर्षण की सामान्य दिशा के उलट बल लगता है. यह आमतौर पर तब होता है जब पायलट जेट करे तेजी से नीचे की ओर मुड़ता है, अचानक डेसेन्ट (गति में तेजी से गिरावट) करता है या एयर शो जैसे मनोवैज्ञानिक और शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण एरोबेटिक मूव्स में होता है.

नेगेटिव G को ठीक से मैनेज न किया जाए तो पायलट को डिसऑरिएंटेशन, चक्कर आना या बेहोशी तक हो सकती है, क्योंकि इस स्थिति में खून सिर की ओर दौड़ सकता है.

G-स्टंट: क्या गलत हो गया?

दुबई एयर शो के वीडियो और शुरुआती विश्लेषणों के मुताबिक तेजस करतब दिखाते वक्त एक लूप मैन्युवर में दिख रहा था, लेकिन इसके बाद जब वह लेवल फ्लाइट में लौटने की कोशिश कर रहा था, तो अचानक उसकी ऊंचाई तेजी से गिर गई. रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि पायलट ने एक Negative G टर्न किया, जिसे वह समय, ऊंचाई या विमान की सीमाओं को सही से मैनेज नहीं कर पाया.

फिल्माए गए फुटेज में यह भी देखा गया कि विमान 500 फीट से भी कम ऊंचाई पर था जब उसने खुद पर से नियंत्रण खो दिया. यानी पायलट के पास बचाव (recovery) के लिए पर्याप्त ऊंचाई नहीं थी, जिससे नोज-डाइव (vertical nosedive) हुई और अंत में विमान जमीन से टकरा गया.

तेजस का टर्बुलेंस फैक्टर क्या है?

कुछ विश्लेषकों का मानना है कि तेजस की डेल्टा-विड विंग कॉन्फ़िगरेशन और उसकी एयरोडायनामिक डिजाइन मजबूत पर संवेदनशील है. ऐसे में हाई एगिलिटी के साथ कुछ मैन्युवर्स में ऊर्जा तेजी से खो सकता है. ऐसा होने पर दुर्घटना की संभावना बनी रहती है.

इसके फ्लाई-बाय-वायर सिस्टम (fly-by-wire) पर भरोसा बहुत अधिक है. यह सिस्टम विमान की अस्थिरता को नियंत्रित करता है, लेकिन जब मैन्युवर्डर सीमाओं के बहुत करीब हो गए, तो इसकी क्षमता चुनौतीपूर्ण हो जाती है.

तेजस दुर्घटना का इतिहास

यह दुबई एयर शो क्रैश तेजस का दूसरा ज्ञात हादसा है. पहली घटना मार्च 2024 में राजस्थान के जैसलमेर में हुई थी, जब तेजस Mk1 में इंजन फेलियर हुआ था. उस हादसे में पायलट इजेक्ट कर सुरक्षित बच गया था.

तेजस सुरक्षा के लिहाज से अहम एयरक्राफ्ट

तेजस को भारत के लिए एक अहम रणनीतिक एयरक्राफ्ट माना जाता है. यह हल्का, बहुउद्देशीय जेट है जिसे आधुनिक वायु लड़ाइयों के लिए डिजाइन किया गया है. अगर नेगेटिव G स्टंट जैसी स्थिति में बार-बार दुर्घटना का कारण बनें, तो यह तेजस की विश्वसनीयता और परफॉर्मेंस के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है. इससे भविष्य में निर्यात वैल्यू, एयर शो प्रदर्शन और देश में उत्पादन बढ़ाने की योजनाओं पर भी इसका असर हो सकता है, क्योंकि सुरक्षा चिंताएं और पायलट जोखिम कम करना बेहद जरूरी है.

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