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डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट 2023 का आप पर क्या होगा असर? जानें डिटेल में

सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट 2023 का ड्रॉफ्ट जारी किया है. इसके मुताबिक, अब 18 साल के कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाने के लिए माता-पिता की अनुमति लेनी जरूरी होगी. इसके अलावा, लोग अपने डेटा को एडिट और डिलीट भी करवा सकते हैं. आइए जानते हैं कि इस एक्ट का आप लोगों पर क्या असर पड़ेगा...

डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट 2023 का आप पर क्या होगा असर? जानें डिटेल में
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( Image Source:  Canva )

Digital Personal Data Protection Act 2023: केंद्र सरकार ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट 2023 का ड्राफ्ट जारी किया है. इसके मुताबिक, अब डिजिटल कंपनियों को भारत में डेटा रखने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ेगा. इसके साथ ही छोटी गलतियों पर भी इन कंपनियों के ऊपर भारी जुर्माना नहीं लगाया जा सकेगा. सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इसे लेकर एफएक्यू जारी किया है.

एफएक्यू के मुताबिक, अब डिजिटल सेवाएं देने वाली ई-गेमिंग, ई-कॉमर्स या इंटरनेट मीडिया कंपनियों को अपने ग्राहकों के डेटा को भारत में ही रखने को लेकर कोई दबाव नहीं होगा. पिछले साल संसद से पारित हुए डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट के मुताबिक, कंपनियों द्वारा भारत के लोगों का डाटा किसी और को ट्रांसफर करने से संबंधित नियमों को उदार रखा गया है.

हालांकि, कुछ मामलों में भारतीय ग्राहकों के बाहर संरक्षित किए डेटा को दूसरों को ट्रांसफर करने पर प्रतिबंध है. एक समिति किसी शख्स के संरक्षित डाटा को ट्रांसफर करने पर प्रतिबंध लगाने को लेकर फैसला करेगी.

लोगों ने कहा- देश में ही रहे हमारा डाटा

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पर्सनल डेटा को संरक्षित रखने से जुड़ा मामला काफी समय से चल रहा है. लोगों की मांग है पर्सनल डेटा को देश में ही रखने के लिए सरकार डिजिटल कंपनियों को मजबूर करे. केंद्र सरकार ने इस मांग को आगे भी बढ़ाया था, लेकिन मल्टीनेशनल डिजिटल कंपनियों को यह रास नहीं आया. बताया जा रहा है कि अमेरिका और दूसरे देशों ने भारत के साथ द्विपक्षीय बैठकों के दौरान इस मुद्दे को जोरशोर से उठाया था. यही वजह है कि सरकार इस मामले में कोई कठोर कदम उठाने से बच रही है.

छोटी गलतियों पर नहीं लगेगा भारी भरकम जुर्माना

सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने यह भी साफ कर दिया है कि छोटी गलतियों पर किसी भी डिजिटल कंपनी पर भारी भरकम जुर्माना नहीं लगाया जाएगा. कंपनी पर लगने वाला जुर्माना उसकी गलतियों की अवधि, प्रकार, प्रकृति, गंभीरता और दोबारा गलती न हो, इसके लिए उठाए गए कदम पर निर्भर करता है. कंपनियों पर लगने वाला जुर्माना गलती के अनुपात में होगा. जुर्माना हटाने के लिए कंपनियों को उपयुक्त समूह के समक्ष अपील करने का अधिकार होगा.

250 करोड़ रुपये तक का लग सकता है जुर्माना

बता दें कि जब डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट पारित कराने की तैयारी चल रही थी, उस समय कहा गया था कि इसमें इंटरनेट मीडिया कंपनियों पर नियमों के उल्लंघन के मामले में 250 करोड़ रुपये तक जुर्माना लगाने का प्रावधान होगा. इस एक्ट का ड्राफ्ट Mygov पोर्टल पर मौजूद है. कोई भी व्यक्ति इस पर अपनी राय 18 फरवरी तक दे सकता है.

माता-पिता की अनुमति के बिना बच्चे नहीं बना सकेंगे सोशल मीडिया अकाउंट

ड्रॉफ्ट को 3 जनवरी को जारी किया गया. ड्रॉफ्ट के मुताबिक, अब 18 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाने के लिए अपने माता-पिता की परमिशन लेनी होगी. इसके अलावा, कंपनियों को खुद चेक करना होगा कि जो भी लोग बच्चे का पैरेंट्स होने का दावा कर रहे हैं, वे खुद वयस्क हों.

क्या है डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट?

डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट एक कानूनी ढांचा है, जो व्यक्तिगत डाटा की सुरक्षा और गोपनीयता को सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है. यह एक्ट व्यक्तिगत डेटा के संग्रह, प्रसंस्करण, और उपयोग को नियंत्रित करता है. साथ ही, यह सुनिश्चित करता है कि डाटा का उपयोग नैतिक और कानूनी तरीके से किया जाए. डेटा इस्तेमाल करने से पहले व्यक्ति की इजाजत लेना जरूरी होगा. इजाजत के बिना डेटा का इस्तेमाल या उसे स्टोर नहीं किया जा सकेगा.

इस एक्ट का मुख्य उद्देश्य व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा और गोपनीयता को सुनिश्चित करना; डेटा के संग्रह, प्रसंस्करण, और उपयोग को नियंत्रित करना; व्यक्तिगत डेटा के दुरुपयोग को रोकना और व्यक्तिगत डेटा के संबंध में व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा करना है. यह एक्ट कई प्रकार के व्यक्तिगत डाटा को कवर करता है, जिनमें नाम, पता, फोन नंबर, ईमेल, बैंक खाता, क्रेडिट कार्ड, चिकित्सा जानकारी और स्वास्थ्य रिकॉर्ड, बायोमेट्रिक डेटा और अन्य व्यक्तिगत जानकारी, जो व्यक्ति की पहचान करने में मदद कर सकती है.

इस एक्ट में लोगों को अपने डेटा के बारे में जानकारी पाने, जानकारियों को सुधारने और हटाने का अधिकार, शिकायत के निवारण का अधिकार और मृत्यु या अक्षमता की स्थिति में अधिकारों का प्रयोग करने के लिए किसी व्यक्ति को नामांकित करने का अधिकार है. एक्ट में व्यक्तिगत आंकड़ों में सेंध को रोकने के लिए सुरक्षा उपाय करना, व्यक्तिगत आंकड़ों से जुड़े उल्लंघनों की जानकारी प्रभावित डेटा प्रिंसिपल और डेटा संरक्षण बोर्ड को देना, किसी तय उद्देश्य के लिए आवश्यकता न रहने या सहमति वापस लेने पर व्यक्तिगत डेटा को मिटाना, शिकायत निवारण प्रणाली और डेटा से संबधित व्यक्ति के प्रश्नों का उत्तर देने के लिए एक अधिकारी की व्यवस्था करने का प्रावधान किया गया है.

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