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भारी बारिश और बिजली गिरने से अब तक 1626 लोगों की मौत, 52000 से अधिक जानवर भी मारे गए; उत्तराखंड में भीषण तबाही

भारत में 2025 के मॉनसून सीजन ने तबाही मचा दी है, जिसमें अब तक भारी बारिश और बिजली गिरने से 1,626 लोगों की मौत हो चुकी है. अकेले उत्तराखंड में 71 लोगों की जान गई है और 9.47 हेक्टेयर फसल नष्ट हो गई है. पशुधन को भी बड़ा नुकसान हुआ है- 52,000 से अधिक जानवर मारे गए, जिनमें सबसे अधिक मौतें हिमाचल, असम और जम्मू-कश्मीर में दर्ज की गईं. हालांकि सरकार ने चेतावनी प्रणाली मजबूत होने का दावा किया है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इसका असर सीमित दिखाई दे रहा है.

भारी बारिश और बिजली गिरने से अब तक 1626 लोगों की मौत,  52000 से अधिक जानवर भी मारे गए; उत्तराखंड में भीषण तबाही
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( Image Source:  ANI )

Uttarakhand Flood 2025, Monsoon fatalities India : जब उत्तराखंड एक और भयावह बाढ़ से जूझ रहा है, तब गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा संसद में पेश किए गए आंकड़े भारत में जलवायु आपदाओं की भयावहता की गवाही दे रहे हैं. 6 अगस्त को राज्यसभा में दी गई जानकारी के अनुसार, वर्ष 2025 में अब तक भारी बारिश और बिजली गिरने से देशभर में 1,626 लोगों की जान जा चुकी है.

यह आंकड़ा 'अस्थायी' बताया गया है, लेकिन यह साफ संकेत देता है कि भारत जलवायु आपदाओं के प्रति कितनी तेजी से असुरक्षित होता जा रहा है.

उत्तराखंड में तबाही की तस्वीर

गृह मंत्रालय के अनुसार, उत्तराखंड में जुलाई तक 71 लोगों की मौत, 67 पशुओं की मौत और लगभग 9.47 हेक्टेयर फसलें बर्बाद हो चुकी हैं, लेकिन सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि प्राकृतिक आपदाओं से जुड़ा आंकड़ा केंद्र सरकार नहीं, बल्कि राज्य सरकारें उपलब्ध कराती हैं.

मंत्रालय ने ‘राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीति’ का हवाला देते हुए कहा, “आपदा प्रबंधन की प्राथमिक जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों की होती है.” विशेषज्ञों के अनुसार, यह विकेंद्रीकरण मॉडल राष्ट्रीय स्तर पर समन्वित प्रतिक्रिया में रुकावट बन सकता है.

पूरे देश में तस्वीर और भी भयावह

राज्यसभा में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, 2025 में अब तक जलवायु आपदाओं से सबसे ज्यादा मौतें निम्नलिखित राज्यों में हुई हैं:

  • आंध्र प्रदेश: 343
  • मध्य प्रदेश: 243
  • हिमाचल प्रदेश: 195
  • कर्नाटक: 102
  • बिहार: 101

इन पांच राज्यों में ही कुल 1,626 मौतों में से 60% से अधिक जानें गई हैं, जो यह दिखाता है कि यह संकट क्षेत्रीय नहीं, बल्कि राष्ट्रव्यापी है.

पशुधन पर भी भारी पड़ी मानसूनी तबाही

इस वर्ष की मानसून त्रासदी केवल इंसानों तक सीमित नहीं रही. देशभर में 52,000 से अधिक पशुओं की मौत दर्ज की गई है, जो ग्रामीण आजीविका पर गहरा असर छोड़ती है.

  • हिमाचल प्रदेश: 23,992 पशु हताहत
  • असम: 14,269
  • जम्मू-कश्मीर: 11,067
  • मध्य प्रदेश: 1,625
  • गुजरात: 698

क्या चेतावनी प्रणाली पर्याप्त है?

सरकार से जब पूछा गया कि क्या बिजली और आंधी से जुड़ी चेतावनियां समय पर आम जनता तक पहुंच रही हैं, तो मंत्रालय ने सिस्टम में किसी बड़ी कमी से इनकार किया. मौसम विभाग (IMD) के अनुसार,

  • भारत में 102 सेंसरों वाला ग्राउंड-बेस्ड लाइटनिंग डिटेक्शन नेटवर्क संचालित है.
  • ‘DAMINI मोबाइल ऐप’ के माध्यम से 20-40 वर्ग किमी क्षेत्र के भीतर रीयल-टाइम अलर्ट भेजे जाते हैं.
  • 5 दिन पहले तक की चेतावनियां जिला स्तर पर रंग-कोडिंग के साथ दी जाती हैं.

हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि जमीनी स्तर पर इन सिस्टम्स का कार्यान्वयन कमजोर है, विशेषकर ग्रामीण इलाकों में जहां इंटरनेट, मोबाइल कनेक्टिविटी और जन-जागरूकता की भारी कमी है. सरकार ने 10 राज्यों के 50 ज़िलों में बिजली गिरने से सुरक्षा हेतु 186.78 करोड़ रुपये की परियोजना को मंज़ूरी दी है, परंतु उत्तराखंड को इस लिस्ट में शामिल नहीं किया गया, जो कई सवाल खड़े करता है.

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