ज्ञानपीठ पुरस्कार क्या है, जिससे जगद्गुरु रामभद्राचार्य को किया गया सम्मानित? जानिए इसके बारे में सबकुछ
रामभद्राचार्य और गुलजार को वर्ष 2023 के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. रामभद्राचार्य संस्कृत के प्रसिद्ध विद्वान और धार्मिक गुरु हैं, जबकि गुलजार हिंदी-उर्दू के मशहूर कवि, गीतकार और फिल्मकार हैं. ज्ञानपीठ पुरस्कार भारत का सबसे प्रतिष्ठित साहित्यिक सम्मान माना जाता हैय दोनों साहित्यकारों के योगदान से भारतीय साहित्य और संस्कृति को नई ऊंचाइयां मिली हैं.
Jnanpith Award 2023 Winner Jagadguru Rambhadracharya Gulzar: भारत के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से 16 मई को दो प्रतिष्ठित साहित्यकारों को सम्मानित किया गया। संस्कृत के विद्वान और संत जगद्गुरु रामभद्राचार्य को वर्ष 2023 के लिए 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया. साथ ही हिंदी-उर्दू के प्रसिद्ध कवि और गीतकार गुलजार को भी इस पुरस्कार के लिए चुना गया था. हालांकि वे पुरस्कार वितरण समारोह में उपस्थित नहीं हो सके.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने X पर किए एक पोस्ट कर जगद्गुरु रामभद्राचार्य को बधाई दी है. उन्होंने कहा, राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी द्वारा पूज्य संत, पद्मविभूषित जगद्गुरु तुलसीपीठाधीश्वर रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी महाराज को संस्कृत भाषा व साहित्य के क्षेत्र में उनके अतुल्य योगदान के लिए प्रतिष्ठित 'ज्ञानपीठ पुरस्कार-2023' से सम्मानित होने पर हृदयतल से बधाई! आपका कालजयी रचना संसार वैश्विक साहित्य जगत के लिए अमूल्य धरोहर है. आपका सम्मान संत परंपरा, भारत की साहित्यिक विरासत एवं राष्ट्रधर्म का सम्मान है.
कौन हैं जगद्गुरु रामभद्राचार्य?
जगद्गुरु रामभद्राचार्य जन्म से दृष्टिहीन, परंतु अद्वितीय विद्वान है. उन्होंने रामचरितमानस, भगवद्गीता और वेदों पर विस्तृत टीकाएं लिखीं हैं. उनके द्वारा स्थापित तुलसी पीठ चित्रकूट में स्थित है, जो शिक्षा और धर्म का केंद्र है. पारंपरिक शास्त्रों को जनमानस तक पहुंचाने के लिए उनकी रचनाएं बेहद प्रभावशाली मानी जाती हैं.
गुलजार कौन हैं?
गुलजार का वास्तविक नाम संपूर्ण सिंह कालरा है. वे मशहूर गीतकार, कवि, पटकथा लेखक और फिल्म निर्देशक हैं. उन्होंने ‘रावी पार’, ‘पांडुलिपि’, ‘पुकार’, ‘चाय का दूसरा कप’ जैसी कई बेहतरीन काव्य और कहानी संग्रह लिखे हैं. उन्होंने सिनेमा को साहित्य से जोड़ने का काम किया. उनकी रचनाओं में प्रेम, पीड़ा, विस्थापन और सामाजिक यथार्थ की भावुक प्रस्तुति देखने को मिलती है. उन्हें पद्म भूषण, साहित्य अकादमी पुरस्कार, ऑस्कर और ग्रैमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.
ज्ञानपीठ पुरस्कार क्या है?
ज्ञानपीठ पुरस्कार भारत का सबसे प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार है. इसकी स्थापना 1961 में भारतीय ज्ञानपीठ संस्था द्वारा की गई थी. यह पुरस्कार किसी भारतीय भाषा में उत्कृष्ट साहित्य रचने वाले लेखक को प्रदान किया जाता है. पुरस्कार में 11 लाख रुपये, प्रशस्ति पत्र और वाग्देवी की मूर्ति दी जाती है.
रामभद्राचार्य और गुलजार, दोनों ही अपने-अपने क्षेत्रों में साहित्य को गहराई, भावना और दर्शन से समृद्ध करते हैं. एक ओर शास्त्रों का गूढ़ ज्ञान, तो दूसरी ओर मानवीय संवेदनाओं की कोमल अभिव्यक्ति... ज्ञानपीठ पुरस्कार की यह जोड़ी भारतीय साहित्य की विविधता और व्यापकता का प्रतीक है.
ज्ञानपीठ पुरस्कार की खास बातें
- ज्ञानपीठ पुरस्कार भारत की प्रमुख 22 भाषाओं में दिए जाते हैं, जिनमें हिंदी, संस्कृत, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, बंगाली, उर्दू, मराठी, पंजाबी आदि शामिल हैं.
- यह पुरस्कार उन लेखकों को दिया जाता है जिनका साहित्य समृद्ध, बहुआयामी और भाषा के प्रति समर्पित होता है.
- पुरस्कार विजेताओं को 11 लाख रुपये की राशि, एक प्रशस्ति पत्र और वाग्देवी की मूर्ति प्रदान की जाती है.
- यह पुरस्कार लेखक के पूरे साहित्यिक जीवन और योगदान को मान्यता देता है, न कि किसी एक पुस्तक के लिए.
- 2023 तक कुल 57 पुरस्कार प्रदान किए जा चुके हैं. कई बार दो या अधिक लेखक को एक साथ भी सम्मानित किया गया है.
- पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार वर्ष 1965 में मलयालम साहित्यकार G. Shankara Kurup को मिला था.
- हिंदी भाषा में पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार सुमित्रानंदन पंत को 1968 में दिया गया था.
- पुरस्कार ने भारतीय साहित्य की सभी प्रमुख भाषाओं में योगदान देने वाले लेखकों को समान सम्मान दिया है.
ज्ञानपीठ पुरस्कार का महत्व
ज्ञानपीठ पुरस्कार को भारतीय साहित्य का सर्वोच्च सम्मान माना जाता है। यह पुरस्कार साहित्यकारों को उनके जीवनभर के उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाता है और भारतीय साहित्य के समृद्ध विरासत को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.





