थाईलैंड से लूथरा ब्रदर्स को भारत लाने की तैयारी, वापसी का रास्ता साफ, जानें प्रत्यर्पण संधि क्या कहती है?
गोवा के नाइट क्लब-अग्निकांड के बाद कथित अपराधी Luthra Brothers (सौरभ Luthra और Gaurav Luthra) थाईलैंड भाग गए थे. लेकिन अब भारत-थाईलैंड की दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि (extradition treaty) की बदौलत उन्हें भारत वापस लाए जाने की कानूनी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. इससे साफ है कि दोनों देशों के बीच डिप्लोमैटिक रिलेशंस fugitives को प्रत्यर्पित करने को लेकर दूसरे देशों की तुलना में बेहतर है.
थाईलैंड में गिरफ्तार लूथरा ब्रदर्स को भारत वापस लाने की कोशिश तेज हो गई है. दोनों देशों के बीच मौजूद प्रत्यर्पण संधि इस प्रक्रिया को तेज और आसान बनाती है. जानें, इस संधि में कौन-कौन से प्रावधान हैं, किन शर्तों पर अपराधियों को सौंपा जाता है और भारत के लिए लूथरा केस में यह क्यों अहम साबित हो सकती है.
प्रत्यर्पण संधि का इतिहास
भारत और थाईलैंड ने 2013 में एक औपचारिक प्रत्यर्पण संधि (extradition treaty) पर हस्ताक्षर किए थे. यह संधि 29 जून 2015 से प्रभावी है. इससे पहले दोनों देशों के बीच 1982 में प्रत्यर्पण व्यवस्था (arrangement) थी.
प्रत्यर्पण संधि के मुख्य प्रावधान
कौन प्रत्यर्पित हो सकता है?: वह व्यक्ति जो एक 'Contracting State' (भारत-थाईलैंड) में न्याय या दंड के लिए वांछित हो और दूसरी Contracting State में पाया गया हो.
Extraditable Offence की शर्तें: सिर्फ वे अपराध प्रत्यर्पण योग्य हैं, जो दोनों देशों में कम से कम एक साल imprisonment या उससे अधिक दंड योग्य हों.
Abetting/Inciting: अगर अपराध करने का प्रयास, मदद, उकसाना, या साथ देना हुआ है तो भी प्रत्यर्पण की मांग की जा सकती है.
प्रमुख अधिकारिक अधिकारी (Central Authority): थाईलैंड में प्रत्यर्पण का फैसला Office of the Attorney General of Thailand करेगा; भारत की तरफ से Ministry of External Affairs (MEA) संपर्क करेगा.
आकस्मिक अस्वीकृति/अपवाद (Refusal) के आधार: यदि अपराध को राजनीतिक माना जाए, या अगर थाईलैंड के पास यह विश्वास हो कि आरोप धार्मिक, जातीय, नस्ल या राजनीतिक कारणों से है, तो प्रत्यर्पण नहीं दिया जा सकता.
प्रत्यर्पण कब और कैसे अस्वीकार हो सकता है?
यदि आरोपित व्यक्ति को राजनीतिक अपराध के तहत माना जाए. यदि थाईलैंड को लगे कि मुकदमा धर्म, धर्म-जाती, जन्म स्थिति, राजनीतिक विचार आदि के आधार पर है. डबल क्रिमिनैलिटी (Dual-criminality) की शर्त - मतलब अपराध उस देश में भी अपराध होना चाहिए जहां प्रत्यर्पण मांगा जा रहा है.
Luthra Brothers किस आधार पर प्रत्यर्पित हो सकते हैं?
लूथ ब्रदर्स कथित जिम्मेदारी (negligence/लापरवाही/कानूनी उल्लंघन) के कारण, यह मामला गंभीर अपराध (serious offence) माना जा सकता है, जिससे संधि के दायरे में आता है.
भारत सरकार ने थाईलैंड से प्रत्यर्पित करने का अनुरोध (extradition request) भेजा हो. थाईलैंड की केंद्रीय प्राधिकरण (Attorney General) को अब इस पर फैसला करना होगा. यदि थाईलैंड प्रत्यर्पण देता है तो दोनों भाई भारत लाए जा सकते हैं और मुकदमा चल सकता है.
प्रत्यर्पण संधि जरूरी क्यों?
- यह दोनों देशों के बीच अपराध, खासतौर से नागरिक अपराध, आर्थिक अपराध, हिंसा, आतंकी गतिविधियों आदि से निपटने के लिए कानूनी ढांचा देती है.
- fugitives को भागने से रोकने, आतंकवाद, संगठित अपराध, मनी-लॉन्ड्रिंग, मानव तस्करी जैसे मामलों में सहयोग को आसान बनाती है.





