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फिश ऑयल और फैट! कैसे बनता है तिरुपति का लड्डू जिसको लेकर मच गया सियासी बवाल?

तिरूपति के लड्डू जो प्रसादम के रूप में दिया जाता है उसको लेकर देशभर में बवाल मचा हुआ है. पक्ष से लेकर विपक्ष सभी ने मंदिर ट्रस्ट पर सवाल उठाया है. तिरूपति देवस्थानम इस पर बचाव के रूप में दिख रहा है. टीडीपी सरकार ने इस बात का विश्वास दिलाया है कि किसी को बख्शा नहीं जाएगा. आइए जानतें हैं लड्डू बनने की प्रक्रिया और इसे ये विशेष दर्जा क्यूं प्राप्त है..

फिश ऑयल और फैट! कैसे बनता है तिरुपति का लड्डू जिसको लेकर मच गया सियासी बवाल?
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Tirupati Laddu Pic Credit- ANI
प्रिया पांडे
By: प्रिया पांडे

Updated on: 20 Sept 2024 12:00 PM IST

तिरुपति मंदिर का लड्डू प्रसाद देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है, लेकिन हाल ही में यह प्रसाद विवादों में घिर गया है. गुजरात की एक निजी लैब, एनडीडीबी कैल्फ (NDDB CALF), द्वारा किए गए परीक्षण में यह दावा किया गया है कि तिरुपति मंदिर में तैयार किए जाने वाले लड्डू में एनिमल फैट और मछली के तेल का इस्तेमाल होता है. इस रिपोर्ट में पाया गया कि लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में पाम ऑयल, मछली का तेल, बीफ फैट से प्राप्त टैलो (Tallow) और पोर्क फैट से प्राप्त लार्ड (Lard) का मिश्रण पाया गया है.

यह मामला तब और ज्यादा गरमाया जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) की पिछली सरकार पर तिरुपति लड्डू में घटिया सामग्री और एनिमल फैट के इस्तेमाल का आरोप लगाया. उन्होंने दावा किया कि पिछली सरकार के दौरान लड्डू की पवित्रता से समझौता किया गया, जिससे भक्तों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है. उनकी इस टिप्पणी के बाद आंध्र प्रदेश की राजनीति में हलचल मच गई और दोनों दलों के बीच तीखी प्रतिक्रियाएं होने लगीं.

लड्डू बनाने की प्रक्रिया-

तिरुपति मंदिर का लड्डू बनाने की प्रक्रिया को बहुत ही खास माना जाता है. तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD), जो कि इस मंदिर का संचालन करता है, लड्डू की शुद्धता को बनाए रखने के लिए कई नियमों का पालन करता है. लड्डू को पेटेंट और जीआई (Geographical Indication) टैग भी मिला हुआ है, जो इसकी विशिष्टता को प्रमाणित करता है. इस प्रसाद को बनाने के लिए उच्च गुणवत्ता की सामग्री का उपयोग होता है, और TTD के सदस्य खुद घी और अन्य सामग्री की गुणवत्ता की जांच करते हैं. घी की गुणवत्ता की जांच में नमी, सुगंध, फैटी एसिड और अन्य चीजों को ध्यान में रखा जाता है, ताकि प्रसाद की शुद्धता बनी रहे.

लड्डू तैयार करने की प्रक्रिया भी बहुत कठिन और विशेष होती है. इसे एक खास रसोई में बनाया जाता है, जहां प्रसाद तैयार करने वाले लोग एक विशेष समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और उन्हें कुछ खास नियमों का पालन करना होता है, जैसे कि सिर मुंडवाना और साफ कपड़े पहनना. हर दिन लगभग 400-500 किलो घी, 750 किलो काजू, 500 किलो किशमिश, और 200 किलो इलायची का इस्तेमाल करके भगवान के भोग के लिए लड्डू तैयार किए जाते हैं.

सीएम चंद्रबाबू नायडू ने क्या कहा

मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के आरोपों के बाद आंध्र प्रदेश के आईटी मंत्री नारा लोकेश ने भी जगन मोहन रेड्डी की सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि तिरुपति लड्डू की शुद्धता के साथ खिलवाड़ करना करोड़ों हिंदुओं की आस्था का अपमान है. वहीं, YSRCP के नेता और राज्यसभा सदस्य सुब्बा रेड्डी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि नायडू की टिप्पणियां तिरुमाला की पवित्रता और हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के समान हैं.

यह विवाद न केवल धार्मिक बल्कि राजनीतिक रूप से भी संवेदनशील है, और इसे लेकर आने वाले दिनों में भी चर्चाएं जारी रहेंगी.

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