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एयरपोर्ट पर गंदे टॉयलेट, लंबी कतारें और सामान में देरी पर लगेगा जुर्माना, घटेगी यूजर डेवलपमेंट फीस

देश के बड़े हवाई अड्डों पर यात्रियों को गंदे टॉयलेट, चेक-इन और सुरक्षा जांच में लंबा इंतजार, बैगेज लेने में देरी और इमिग्रेशन पर भारी भीड़ जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. अब इन खामियों की कीमत एयरपोर्ट ऑपरेटरों को चुकानी पड़ सकती है. एयरपोर्ट इकोनॉमिक रेगुलेटरी अथॉरिटी (AERA) ने प्रस्ताव रखा है कि यात्रियों की सुविधा सुनिश्चित करने में असफल रहने वाले एयरपोर्ट्स की यूजर डेवलपमेंट फीस (UDF) घटा दी जाएगी.

एयरपोर्ट पर गंदे टॉयलेट, लंबी कतारें और सामान में देरी पर लगेगा जुर्माना, घटेगी यूजर डेवलपमेंट फीस
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( Image Source:  Sora_ AI )
सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Published on: 1 Sept 2025 6:40 AM

देश के बड़े हवाई अड्डों पर यात्रियों को गंदे टॉयलेट, चेक-इन और सुरक्षा जांच में लंबा इंतजार, बैगेज लेने में देरी और इमिग्रेशन पर भारी भीड़ जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. अब इन खामियों की कीमत एयरपोर्ट ऑपरेटरों को चुकानी पड़ सकती है. एयरपोर्ट इकोनॉमिक रेगुलेटरी अथॉरिटी (AERA) ने प्रस्ताव रखा है कि यात्रियों की सुविधा सुनिश्चित करने में असफल रहने वाले एयरपोर्ट्स की यूजर डेवलपमेंट फीस (UDF) घटा दी जाएगी.

रेगुलेटर ने एक कंसल्टेशन पेपर जारी कर सभी प्रमुख हवाई अड्डों के लिए एकसमान परफॉर्मेंस स्टैंडर्ड्स तय करने का सुझाव दिया है. सालाना 35 लाख से अधिक यात्रियों को संभालने वाले एयरपोर्ट्स इन मानकों के दायरे में आएंगे. मानकों को पूरा करने या उससे बेहतर प्रदर्शन करने पर एयरपोर्ट्स को प्रोत्साहन मिलेगा, जबकि असफल रहने पर दंड लगेगा. इन मानकों की निगरानी थर्ड-पार्टी ऑडिट से की जाएगी.

हर टचप्वाइंट पर तय होगी अधिकतम प्रतीक्षा समय सीमा

AERA ने प्रस्ताव दिया है कि हवाई अड्डों पर हर प्रमुख टचप्वाइंट पर यात्रियों के लिए अधिकतम प्रतीक्षा समय तय किया जाएगा. इसमें टर्मिनल एंट्री, चेक-इन, सुरक्षा जांच, इमिग्रेशन और बैगेज रिट्रीवल शामिल हैं. साथ ही एयरपोर्ट की साफ-सफाई, बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता और डिजि यात्री व ई-गेट्स जैसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल भी मानकों का हिस्सा होगा.

यात्री हितों की सुरक्षा और जवाबदेही बढ़ाना लक्ष्य

AERA ने कहा, “ये मानक यात्री हितों की सुरक्षा, जवाबदेही को बढ़ावा देने और हवाई अड्डा संचालन में निरंतर सुधार लाने के लिए बेहद अहम हैं'” प्राधिकरण ने 60 लाख से अधिक यात्रियों को संभालने वाले एयरपोर्ट्स को अलग श्रेणी में रखने का प्लान बनाया है. वजह है कि इन जगहों पर इंफ्रास्ट्रक्चर और ऑपरेशनल जटिलताएं ज्यादा होती हैं.

पूरा एविएशन इकोसिस्टम जुड़ा हुआ

एक इंडस्ट्री एक्सपर्ट ने बताया कि हवाई अड्डों पर कामकाज कई एजेंसियों से जुड़ा होता है. “चेक-इन एयरलाइन की जिम्मेदारी है, सुरक्षा जांच CISF की और इमिग्रेशन ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन संभालता है. बैगेज समय पर कन्वेयर बेल्ट पर पहुंचाना एयरलाइन की जिम्मेदारी है, लेकिन इसके लिए ग्राउंड हैंडलिंग एजेंसी काम करती है, जिसका समझौता एयरपोर्ट ऑपरेटर से होता है. यानी पूरा एविएशन इकोसिस्टम आपस में जुड़ा हुआ है.”

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