Cyclone Ditwah का नहीं होगा लैंडफॉल! तमिलनाडु–पुडुचेरी में भारी बारिश, तीन राज्यों में अलर्ट; ट्रेन-फ्लाइट रद्द
चक्रवात Ditwah तमिलनाडु–पुडुचेरी तट के बेहद करीब पहुंच गया है, लेकिन राहत की बात यह है कि इसका लैंडफॉल अब लगभग तय रूप से नहीं होगा. इसके बावजूद भारी बारिश, तेज़ हवाओं और समुद्री उफान ने नागपट्टिनम, वेदारण्यम, रामनाथपुरम और चेन्नई सहित कई जिलों में जनजीवन प्रभावित किया है. NDRF की 24 टीमें तैनात, 6,000 राहत शिविर खोले गए और उड़ान–ट्रेनें रद्द/विलंबित हैं. मौसम विभाग ने रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी किया है.
तमिलनाडु–पुडुचेरी तट पर चक्रवात Ditwah के करीब पहुंचने के साथ ही दक्षिण भारत का मौसम अचानक आक्रामक हो गया है. तेज़ बारिश, भारी हवाएं और समुद्री उफान ने कई जिलों में जनजीवन पर गंभीर असर डाला है. हालांकि शुरुआती डर के विपरीत अब यह लगभग स्पष्ट हो गया है कि चक्रवात तट से नहीं टकराएगा. मौसम विभाग के मुताबिक इसका रुख बदल गया है और यह तट के समानांतर उत्तर की ओर बढ़ते हुए धीरे-धीरे कमजोर पड़ रहा है.
दूसरा राहत भरा लेकिन महत्वपूर्ण पहलू यह है कि तूफ़ान के कमजोर होने के बावजूद भारी बारिश और उग्र समुद्र ने हालात को गंभीर बनाए रखा है. श्रीलंका में तबाही मचाने के बाद यह प्रणाली तमिलनाडु के वेदारण्यम तट के बेहद करीब पहुंची, जिससे नागपट्टिनम, रामनाथपुरम और मंडपम क्षेत्रों में भीषण वर्षा, समुद्री क्षरण और नावों को नुकसान जैसी घटनाएं सामने आईं. कई इलाकों में जलभराव इतना बढ़ा कि सामान्य गतिविधियां ठप हो गईं.
IMD ने क्या कहा?
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार चक्रवाती तूफान दित्वा अगले 24 घंटों में लगभग उत्तर दिशा में आगे बढ़ते हुए उत्तर तमिलनाडु–पुडुचेरी तटों के समानांतर गुजरेगा. चक्रवात इस दौरान दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी के ऊपर सक्रिय रहेगा और तटीय इलाकों में तेज हवाओं व भारी बारिश का खतरा बना रहेगा. IMD ने बताया कि उत्तर की ओर बढ़ते हुए तूफान आज दोपहर तमिलनाडु–पुडुचेरी तट से न्यूनतम 70 किमी और शाम तक केवल 30 किमी की दूरी पर आ जाएगा. इसके बेहद करीब आने से तटीय क्षेत्रों में समुद्र उफान, तेज हवाओं और मौसम में अचानक बदलाव की आशंका है. अधिकारियों ने लोगों को सतर्क रहने और स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करने की सलाह दी है. यही कारण है कि लैंडफॉल की संभावना लगभग खत्म हो गई है, लेकिन भारी वर्षा का खतरा बना हुआ है.
अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान
समुद्र का मिजाज भी बेहद खराब है. ऊंची–ऊंची लहरों और उग्र झोंकों ने मंडपम और तटीय क्षेत्रों में कई मैकेनाइज़्ड नावों को नुकसान पहुंचाया. वेदारण्यम के 9,000 एकड़ से ज्यादा salt pans पानी में डूब चुके हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ है. तटीय सड़कें क्षतिग्रस्त हैं और कई जगहों पर समुद्री लहरें सड़क पार करती दिखीं.
मछुआरों को समुद्र में न जाने के आदेश
राज्य भर के 20 से ज्यादा जिलों में रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी करते हुए IMD ने चेतावनी दी है कि रविवार सुबह तक हवाओं की रफ्तार 80–90 किमी प्रतिघंटा तक पहुंच सकती है. हालांकि 1 दिसंबर से हवा की तीव्रता कम होती जाएगी, लेकिन फिलहाल समुद्र उग्र और बेहद खतरनाक है. मछुआरों को समुद्र में न जाने का सख्त आदेश है और पुलिस तटीय क्षेत्रों में लगातार निगरानी कर रही है.
पूरी तैयारी में जुटी सरकार
सरकार भी पूरी तैयारी में जुटी है. तमिलनाडु के राजस्व और आपदा प्रबंधन मंत्री के. रामचंद्रन ने बताया कि 14 NDRF टीमें पहले से तैनात हैं और 10 अतिरिक्त टीमें अन्य राज्यों से एयरलिफ्ट करने की तैयारी चल रही है. 6,000 राहत शिविर सक्रिय हैं और जरूरत पड़ने पर और भी खोले जाएंगे. अब तक किसी मौत की सूचना नहीं है, लेकिन 16 मवेशियों की मौत और 24 झोपड़ियों के क्षतिग्रस्त होने की पुष्टि हुई है.
हवाई और रेलमार्ग पर भी असर
बारिश का असर हवाई और रेल यातायात पर भी भारी पड़ा. चेन्नई एयरपोर्ट से 54 उड़ानें रद्द की गईं, जबकि Southern Railway ने कई रूट बदले. पंबन ब्रिज पर हवा की रफ्तार कम होने के बाद रामीश्वरम दिशा में ट्रेनों को धीरे-धीरे बहाल किया जा रहा है. चेन्नई में Chembarambakkam और Poondi reservoirs से एहतियातन पानी छोड़ा गया है ताकि बांधों पर दबाव न बढ़े. पर्यटन भी पूरी तरह थम चुका है. धनुषकोड़ी जो 1964 के चक्रवात में तबाह हो चुका था उसमें पर्यटकों के जाने पर रोक लगा दी गई है. ‘Ditwah’ नाम खुद चर्चा में है, जिसे यमन ने सुझाया था और यह सोकोट्रा द्वीप की Detwah Lagoon से प्रेरित है. तमिलनाडु में बारिश अभी जारी है और प्रशासन 24×7 सतर्क मोड पर है.





