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पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के 5 चेहरे! जब Books में लेखकों ने ड्रॉ की तस्वीरें

Books On Manmohan Singh: पूर्व पीएम मनमोहन सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे. उन पर कई किताबें लिखी गई हैं, जिनमें उनके अलग-अलग किरदारों के बारे में बताया गया है. किसी ने उन्हें 'एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' तो किसी ने देश का बेहतरीन अर्थशास्त्री बताया है. कुछ ने उन्हें कठपुतली प्रधानमंत्री करार दिया है. आइए, इन किताबों के बारे में विस्तार से जानते हैं...

पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के 5 चेहरे! जब Books में लेखकों ने ड्रॉ की तस्वीरें
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( Image Source:  ANI )

Books On Manmohan Singh: देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर को निधन हो गया. वे 92 साल के थे. उन्होंने एम्स दिल्ली में आखिरी सांस ली. बताया जाता है कि वे घर में अचानक बेहोश हो गए थे, जिसके बाद उन्हें एम्स ले जाया गया. यहां रात 9 बजकर 51 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली.

मनमोहन सिंह के निधन पर देश के साथ ही विदेश के नेताओं ने भी शोक व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि दी है. पूर्व प्रधानमंत्री पर कई किताबें लिखी गई हैं, जिनमें से पांच किताबों के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं. इनमें उनके अलग-अलग किरदारों के बारे में बताया गया है. किसी ने उन्हें 'एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' तो किसी ने देश का बेहतरीन अर्थशास्त्री बताया है. कुछ ने उन्हें कठपुतली प्रधानमंत्री करार दिया है. आइए, इन किताबों के बारे में विस्तार से जानते हैं...

1- द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर

किताब 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर ऑफ इंडिया द मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह' (The Accidental Prime Minister: The Making and Unmaking of Manmohan Singh) को संजय बारू ने लिखा है. इसका प्रकाशन 20 अप्रैल 2014 को हुआ था. बारू 2004 से लेकर 2008 तक मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार थे. इस किताब में कहा गया है कि सत्ता की असली चाबी सोनिया गांधी के पास थी. जिस दिन किताब को रिलीज किया गया था, उस दिन पीएमओ ने बयान जारी कर कहा कि यह विश्वसनीयता हासिल करने और व्यावसायिक लाभ के लिए उच्च पद तक पहुंच का दुरुपयोग करने का प्रयास है. पीएमओ के आरोपों पर बारू ने आश्चर्य व्यक्त किया था. उन्होंने कहा कि मैंने किताब इसलिए लिखी, ताकि मनमोहन सिंह के लिए लोगों की सहानुभूति हो. किताब में मैंने पीएम के बारे में अधिकांशत: सकरात्मक बातें लिखी हैं. इस किताब पर बाद में एक फिल्म भी बनी.

2- वन लाइफ इज नॉट इनफ

वन लाइफ इज नॉट इनफ (One Life Is Not Enough) के लेखक पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह हैं. इसे 31 जुलाई 2014 को प्रकाशित किया गया. अपनी किताब में उन्होंने 2004 में सोनिया गांधी की जगह मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाने की वजहों के बारे में भी बताया है. कहा जाता है कि किताब से इस बात का जिक्र हटाने के लिए सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी ने उनसे मुलाकात भी की थी. नटवर सिंह की इस किताब पर खूब विवाद हुआ था.

3- टू द ब्रिंक एंड बैक

टू द ब्रिंक एंड बैक (To The Brik and Back; India;s 1991 Story) को कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने लिखी है. उन्होंने किताब में 1991 में वित्त मंत्री के रूप में डॉक्टर मनमोहन सिंह की तरफ से पेश किए बजट के बारे में बताया है. रमेश ने इस बात का जिक्र किया है कि इस बजट ने कैसे देश की अर्थव्यवस्था को बदल कर रख दिया था. किताब को 17 सितंबर 2015 को प्रकाशित किया गया था.

4 - बैकस्टेज द स्टोरी बिहाइंड इंडियाज हाई ग्रोथ ईयर्स

भारतीय योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे मोटेंक सिंह अहलूवालिया ने 'बैकस्टेज द स्टोरी बिहाइंड इंडियाज हाई ग्रोथ ईयर्स' (Backstage: The Story Behind India’s High Growth Years) किताब को लिखा है. इस किताब में 1979 से लेक 2014 तक की भारत की आर्थिक नीति निर्माण के बारे में जानकारी दी गई है. किताब में 1991 में देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने की दिशा में मनमोहन सिंह की तरफ से उठाए गए कदमों का भी जिक्र किया गया है. अहलूवालिया ने किताब में बताया कि मनमोहन सिंह अपनी सारी ताकत गुरबानी से लेते हैं.

5- ए प्रॉमिस्ड लैंड

अमेरिका के पूर्व राष्‍ट्रपति बराक ओबामा भी मनमोहन सिंह के मुरीद थे. उन्होंने अपनी किताब 'ए प्रॉमिस्ड लैंड' (A Promised Land) में उनकी जमकर तारीफ की है. ओबामा ने मनमोहन सिंह को 'भारत की अर्थव्यवस्था का मुख्य आर्किटेक्ट' बताया. उन्होंने लिखा है कि सिंह ने लाखों भारतीयों को गरीबी से बाहर निकालने का काम किया है. वे ऐसे नेता थे कि जब वो बोलते थे तो पूरी दुनिया सुनती थी.

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