21 साल के बेटे की मौत, मां ने कहा- IVF से पोता चाहिए, कोर्ट ने सुना दिया ये फैसला?
मुंबई में एक मां ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मृत बेटे के सीमेन को सुरक्षित रखने की मांग की, ताकि वंश आगे बढ़ाया जा सके. बेटा कैंसर का मरीज था और इलाज से पहले सीमेन फ्रीज करवाया था. अदालत ने मामले की सुनवाई तक सीमेन नष्ट न करने का आदेश दिया है, जिससे याचिका का उद्देश्य सुरक्षित रह सके.

मुंबई से एक असाधारण मामला सामने आया है जहां बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक मां की याचिका पर सुनवाई करते हुए एक फर्टिलिटी सेंटर को उसके मृत बेटे का सीमेन सैंपल तब तक नष्ट न करने का निर्देश दिया है जब तक इस मुद्दे पर अंतिम फैसला नहीं हो जाता. यह मामला तब उठा जब फर्टिलिटी सेंटर ने मृतक की मां को सीमेन रिलीज करने से इनकार कर दिया, जबकि महिला का दावा है कि वह अपने बेटे की संतानों के माध्यम से परिवार की विरासत को आगे बढ़ाना चाहती हैं.
मामला उस समय और संवेदनशील हो गया जब यह सामने आया कि मृत युवक ने कीमोथेरेपी के दौरान अपना सीमेन संरक्षित करवाया था, लेकिन बिना परिवार को बताए फॉर्म में यह विकल्प चुना कि मृत्यु के बाद उसे नष्ट कर दिया जाए. युवक का निधन 16 फरवरी को हुआ और इसके कुछ ही दिनों बाद मां ने सीमेन को ट्रांसफर कराने का अनुरोध किया, जिसे फर्टिलिटी सेंटर ने अस्वीकार कर दिया.
जस्टिस मनीष पिटाले ने कहा, 'अगर सीमेन को याचिका पर अंतिम निर्णय से पहले नष्ट कर दिया जाता है, तो याचिका का उद्देश्य ही विफल हो जाएगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि यह मामला तकनीकी के साथ-साथ संवैधानिक और नैतिक सवाल भी उठाता है कि मृत्यु के बाद किसी व्यक्ति के सीमेन या गमेट्स को कैसे संरक्षित किया जाना चाहिए.
मां का पक्ष: वंश को आगे बढ़ाने की इच्छा
महिला की याचिका में कहा गया कि उनके बेटे की कीमोथेरेपी शुरू होने से पहले डॉक्टरों की सलाह पर सीमेन सुरक्षित रखा गया था. हालांकि, बेटे ने परिवार को बिना बताए एक ऐसा विकल्प चुन लिया जिसमें लिखा था कि मौत के बाद सीमेन नष्ट कर दिया जाए. याचिका में यह भी कहा गया, “जब बेटा जीवन की आखिरी सांसें ले रहा था, उसने अपनी मौसी से कहा था. 'मेरे सीमेन से कुछ कर दो, मेरे बच्चे हों जो मेरी मां और परिवार का ध्यान रखें'
महिला ने पहले स्वास्थ्य मंत्रालय और राज्य सरकार से संपर्क किया, लेकिन उनके अनुरोध को खारिज कर दिया गया. अंततः उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया. कोर्ट ने फिलहाल सीमेन को 31 जुलाई तक सुरक्षित रखने का आदेश दिया है.याचिका में यह भी तर्क दिया गया कि “सीमेन एक संपत्ति है और कानूनन माता-पिता मृत बेटे की संपत्ति के उत्तराधिकारी हैं.