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'बंटेंगे तो कटेंगे' बनाम 'डरोगे तो मरोगे'... क्या महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव में नारों के सहारे मिलेगी सत्ता?

Maharashtra Assembly Election 2024: महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव प्रचार अभियान जारी है. राजनीतिक दलों ने प्रचार अभियान में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. इस दौरान वे एक-दूसरे पर नारों के सहारे हमला करते हुए नजर आ रहे हैं. पढ़ें यह खास रिपोर्ट...

बंटेंगे तो कटेंगे बनाम डरोगे तो मरोगे... क्या महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव में नारों के सहारे मिलेगी सत्ता?
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( Image Source:  ANI )

Maharashtra Jharkhand Assembly Elections: Maharashtra Jharkhand Assembly Elections: महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव को जीतने के लिए राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. वे लोकलुभावना वादों के साथ ही नारों का भी जमकर सहारा ले रहे हैं. बंटेंगे तो कटेंगे से लेकर डरोगे तो मरोगे नारे की गूंज चुनावी रैलियों में सुनाई दे रही है. ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या नारों के सहारे सत्ता पर काबिज होने में मदद मिलेगी या नहीं..

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 'एक हैं तो सेफ हैं' नारा हो , उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का 'बंटेंगे तो कटेंगे' नारा हो या फिर मल्लिकार्जुन खरगे का 'डरोगे तो मरोगे' नारा हो, इनकी गूंज चुनाव प्रचार के दौरान जमकर सुनाई दे रही है.. सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, एक-दूसरे पर हमला करने के लिए नारों का जमकर सहारा ले रहे हैं. आइए, इन नारों की विस्तार से पड़ताल करते हैं...

'बंटेंगे तो कटेंगे'

नारों की फेहरिस्त में टॉप पर आता- बंटेंगे तो कटेंगे. यह नारा बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के संबंध में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने दिया. उन्होंने इस नारे को हिंदुओं को एकजुट करने के मकसद से दिया था. इसके बाद योगी ने महाराष्ट्र और झारखंड में विपक्ष पर हमला करने के लिए इस नारे का इस्तेमाल किया. उन्होंने इस नारे के जरिए खासतौर पर कांग्रेस पर जमकर हमला किया और उसके ऊपर जाति के आधार पर देश को बांटने का आरोप लगाया.

विपक्ष ने सीएम योगी के नारे पर पलटवार करते हुए कहा कि इस नारे में सांप्रदायिक भावना है. वहीं, बीजेपी नेताओं का कहना है कि यह नारा लोगों को एकजुट करती है. हालांकि, इस नारे पर बीजेपी नेताओं और महायुति में शामिल दलों के नेताओं ने आपत्ति जताई.

अशोक चव्हाण ने कहा कि यह नारा अच्छा नहीं है. पंकजा मुंडे ने कहा कि उनकी राजनीति अलग है. वहीं, डिप्टी सीएम अजित पवार ने कहा कि यह नारा यूपी और झारखंड में चलता होगा, लेकिन महाराष्ट्र में नहीं. इस पर डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि अजित पवार को जनता का मूड समझने में अभी समय लगेगा. वे लंबे समय तक ऐसे लोगों के साथ रहे, जिनके लिए हिंदुओं का विरोध करना धर्मनिरपेक्षता है.

'एक हैं तो सेफ हैं'

सीएम योगी के नारे का जब विपक्ष ने विरोध करना शुरू किया तो पीएम मोदी ने एक नया नारा एक हैं तो सेफ हैं दिया. हालांकि, उन्होंने 'बंटेंगे' का नारा नहीं लगाया. प्रधानमंत्री ने नारे का इस्तेमाल कांग्रेस पर हमला करने के लिए किया. उन्होंने कांग्रेस को देश को जाति के आधार पर विभाजित करने का आरोप लगाया.

'डरोगे तो मरोगे'

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बीजेपी बंटेंगे तो कटेंगे और एक हैं तो सेफ हैं नारे का जवाब डरोगे तो मरोगे से देने की कोशिश की. उन्होंने यह नारा झारखंड में दिया. उनका यह नारा राहुल गांधी की डरो मत टिप्पणी से प्रेरित है.

'रोटी, बाटी और माटी'

बीजेपी ने झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार को घेरने के लिए रोटी, बाटी और माटी का सहारा लिया है. इसके जरिए उसने आदिवासियों को साधने की कोशिश की है. बीजेपी ने इस नारे का इस्तेमाल झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस पर वोट के लिए राज्य में घुसपैठियों को प्रवेश कराने का आरोप लगाने के लिए किया. बीजेपी ने इस नारे के जरिए चुनाव को रोजगार यानी रोटी, घुसपैठियों द्वारा कठित रूप से आदिवासी महिलाओं से शादी करने और जमीन हासिल करने (बेटी) और भूमि अतिक्रमण माटी के मुद्दे पर केंद्रित करने की कोशिश की है.

महाराष्ट्र और झारखंड में कब होगा मतदान?

बता दें कि महाराष्ट्र में 288 सीटें हैं. यहां 20 नवंबर को मतदान होगा. नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे. राज्य की 75 सीटों पर मुकाबला बीजेपी बनाम कांग्रे, 36 सीटों पर एनसीपी बनाम एनसीपी और 51 सीटों पर शिवसेना बनाम शिवसेना के बीच मुकाबला है. वहीं, झारखंड की 43 सीटों पर मतदान 13 नवंबर को हो गया है, जबकि 20 नवंबर को 38 सीटों पर मतदान होगा. राज्य में कुल 81 सीटें हैं.

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