Air India Plane Crash: इंजन फेल होना या कुछ और... क्या इन 8 में से किसी वजह से अहमदाबाद में क्रैश हुआ Air India का विमान?
12 जून 2025 को अहमदाबाद में एयर इंडिया के बोइंग-787 हादसे की जांच में 8 संभावित कारण सामने आए हैं, दोनों इंजन फेल होना, थ्रस्ट कंट्रोल फेलियर, फ्यूल स्टारवेशन, इंजन में पक्षी का घुसना, ईंधन टैंक या पाइपलाइन में गड़बड़ी, मिलावटी या गंदे फ्यूल की सप्लाई, या किसी साजिश की संभावना. फिलहाल जांच जारी है. ब्लैक-बॉक्स से पर्याप्त डेटा न मिलने के कारण उसे अमेरिका भेजने की संभावना भी जताई जा रही है.

12 जून 2025 को एयर इंडिया का बोइंग-787 अचानक कैसे अहमदाबाद के आसमान में उड़ान भरते ही, जमीन पर गिरकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया? इस सवाल के जवाब की तलाश में हादसे वाले दिन से ही जुटी कई टीमों को कमोबेश एक समान ही ऐसे कुछ अहम बिंदु हाथ लगे हैं, जिनमें से कोई एक या दो बिंदु यह तय करेंगे कि आखिर, हादसे की असल वजह क्या रही? जिसके चलते चंद सेकेंड में 270 से ज्यादा जिंदगियां आसमान में उड़ती अकाल मौत ने निगल लीं.
कौन-कौन से हैं यह चंद मगर बेहद अहम बिंदु जिनको ध्यान में रखकर, हादसे के कारण-वजह की तह तक पहुंचने के लिए गठित कमेटियां, एक जगह आकर ठहर गई हैं. अब यह जांच कमेटियां इस बात पर मंथन कहिए या माथा-पच्ची करने में जुटी हैं कि, इन सामने आ रहे चंद अहम बिंदुओं में से कौन सा प्रमुख बिंदु, हादसे की पहली वजह बना? आइए जानने के कोशिश करते हैं एयर इंडिया के दुर्घटनाग्रस्त बोइंग-787 जैसे विशाल हवाई-जहाज के पुर्जे-पुर्जे, कोने-कोने से वाकिफ रहने वाले, कुछ उन ऑपरेशनल इंजीनियरों से जो खुद भी अब तक बाहर आए इन चंद अहम बिंदुओं पर मंथन करने में जुटे हैं.
1. इंजन फेल होना
हो सकता है कि जमीन से आसमान की ओर सीधी उड़ान भरते वक्त अचानक ही हवाई जहाज का एक इंजन फेल हो गया हो. ऐसे में जब दूसरे इंजन से हवाई जहाज को आसमान की ओर उठाने का प्रयास किया गया तो पता चला कि, उस दूसरे इंजन की भी ताकत खत्म थी. जो हवाई जहाज को ऊपर ले जा पाता. लिहाजा ऐसे में अचानक दोनों इंजन फेल होने के चलते हवाई जहाज ऊपर जाने की दिशा में सस्टेन कर पाने के बजाए, उल्टी दिशा में यानी जमीन की ओर धीर-धीरे नीचे गिरता गया. पायलट्स को हवाई जहाज के एक इंजन में खराबी के वक्त दूसरे से काम लेना तो आता है. लेकिन दूसरा इंजन भी जब अचानक ऐन-वक्त पर फ्लाइट कैप्टन (पायलट) को बेदम मिला, तो वह हड़बड़ा गया.
2. थ्रस्ट कंट्रोल (EEC) फेल
हवाई जहाज के आसमान की ओर उड़ना शुरू करते ही दोनों इंजन का थ्रस्ट अचानक पीछे की ओर चला गया. हर हवाई जहाज में एक इंजन इलैक्ट्रॉनिक कंट्रोल यानी ईईसी (Engine Electronic Control EEC) मौजूद होता है. यह ईईसी ही थ्रस्ट-लीवर के मुताबिक तय करता है कि इंजन में कितना ईंधन सप्लाई करना है? एलीवेशन कितना है? हवाई जहाज के बाहर का तापमान कितना है? यह भी तय करके ईईसी ही बताता है. अगर यही ईईसी फेल हो जाए तो वह इंजन के थ्रस्ट को खुद-ब-खुद आइडल पर ले आता है.
आइडल वह होता है जब पायलट हवाई जहाज का एक्सेलेरेटर नहीं दे पाता है तब इंजन एक तय स्पीड में चलना शुरू कर देता है. ऐसे में पायलट हवाई जहाज को 'आइडल-पार' पर ले आता है. जोकि इस बात पर निर्भर करता है कि बाहर का तापमान कितना है और हवाई जहाज का एलीवेशन क्या है? यह एलीवेशन 20-22 प्रतिशत जब होता है तो कुछ ही सेकेंड के अंतर पर हवाई जहाज आसमान में सस्टेन कर पाने में असमर्थ होकर, नीचे की ओर (आसमान से जमीन की तरफ) आने लगता है.
3. इंजन ‘फ्लेम-आउट’
दोनों इंजन अचानक 'फ्लेम-आउट' हो गए हों. जिसका बड़ा ही 'रिमोट- चांस' हवाई जहाज हादसों में देखने को मिलता है. या फिर ‘न’ के बराबर कहिए अथवा ऐसा होना ‘नगण्य’ ही देखा गया है. एक इंजन डाउन हो गया इसलिए हवाई जहाज में पावर की कमी थी. या फिर दोनों ही इंजन फेल कर गए जैसे ही हवाई जहाज ने टेकआफ किया. मगर वह अपने मोमेंट से आसमान की ओर कुछ ऊपर तक उठा और फिर पावर कम होने के चलते धीरे-धीरे नीचे की ओर गिरता चला गया.
4. फ्यूल स्टारवेशन
दोनों इंजन तभी फेल होते हैं जब फ्यूल (ईंधन) स्टारवेशन हो गया हो. हालांकि यह चांस भी बेहद कम ही है. या फिर सभी ईईसी एक साथ फेल हो गए हों. या फिर हवाई जहाज के ईंधन टैंकों के भीतर करप्टेड-फ्यूल रहा, जो इंजन तक पहुंचा और दोनों ही इंजन को एक झटके में ‘चोक’ कर दिया. जिससे टेकऑफ के वक्त लगने वाली इंजन को पूरी ताकत फ्यूल आपूर्ति बाधित हो पाने के कारण नहीं मिल सकी.
5. पक्षी का इंजन में जाना
हवाई जहाज के अगले हिस्से में किसी पक्षी-चिड़िया का टेकऑफ के वक्त अचानक घुस जाना. मतलब, हवाई जहाज के इंजन या तो तकनीकी खराबी के कारण फेल हो गए? या फिर हवाई जहाज के भीतर चिड़िया या कोई अन्य पक्षी के घुसने के चलते इंजन फेल हुए. या फिर दोनों इंजन फ्यूल स्टारवेशन के कारण अचानक खराब हो गए. अब तक की जांच में सामने आए इन्हीं प्रमुख बिंदुओं पर माथा-पच्ची करके, 12 जून 2025 को अहमदाबाद में हुए हवाई हादसे की असली और अब तक तह में छिपी पड़ी वजह को तलाशने की कोशिश जारी है.
6. ईंधन पाइप या पंप फेल
विशेषकर बोइंग 787 जैसे बड़े हवाई जहाज में तीन फ्यूल टैंक होते हैं. दो विंग फ्यूल टैंक और तीसरा फ्यूल टैंक सेंटर में होता है. सेंटर टैंक को ही मेन-टैंक भी कहते हैं. इन तीनों फ्यूल टैंकों में मिलाकर कुल 100 टन ईंधन (पेट्रोल) भरा जा सकता है. हर फ्यूल टैंक के दो-दो पंप होते हैं. जो ईंधन (पेट्रोल) को इंजन तक लेकर जाते हैं. यह तीनों फ्यूल टैंक एक फेल होने पर दूसरा, दूसरा फ्यूल टैंक फेल होने पर तीसरा ईंधन टैंक इंजन को पेट्रोल की आपूर्ति करने लगता है. जब ईंधन टैंक के दोनो पंप फेल हो जाते हैं तो ग्रैविटी से ईंधन इंजन को मिलता रहेगा.
फ्यूल टैंक और इंजन के बीच मौजूद पाईप बेहद हैवी मैटल की होती हैं. जिन्हें किसी भारी से भारी चोट से भी दबा पाना या पिचकाना असंभव होता है. इस ईंधन पाइप में न कोई स्विच होता है न ही कोई ‘कॉक’. पंप ऑन है तब तो इंजन को फ्यूल जाएगा ही. अगर पंप ऑफ भी है तब भी ग्रेविटी से इंजन को ईधन की आपूर्ति होती रहेगी. ऐसे में सवाल यह है कि जब किसी भी कीमत पर इंजन को ईंधन की आपूर्ति बाधित होने की कोई गुंजाइश बाकी ही नहीं रहती है तब फिर अहमदाबाद में हुए हवाई जहाज हादसे में इंजन को ईंधन न मिल पाने का कारण भी बेबुनियाद ही हैं. मतलब, ईंधन आपूर्ति के चलते जब इंजन फेल होने की संभावना ही नहीं थी तब फिर दोनों इंजन एक साथ बंद क्यों और कैसे हो गए? अगर किसी ने ईंधन पाइप लाइन को कहीं से दबाया होता तो, फिर हवाई जहाज 650 फुट की ऊंचाई तक भी आसमान में टेकऑफ ही नहीं कर पाता. उसका रन-वे पर दौड़ना ही असंभव हो जाता.
7. मिलावटी या गंदा ईंधन
कहीं ऐसा तो नहीं कि हादसे का शिकार हो चुके एयर इंडिया के बोइंग-787 के तीनों टैंक में मिलावटी या पानी की ज्यादा मात्रा वाला तेल तो नहीं भर दिया गया? या कहीं ईंधन ही गंदा अथवा कचरा-युक्त तो नहीं था? अगर इंजन तक गंदा ईंधन किसी भी कारण से पहुंचा तो, इससे जरूर इंजन फेल हो सकते हैं.
8. साजिश या तकनीकी छेड़छाड़
जहां तक बात हादसे का शिकार बने बोइंग-787 को साजिशन गिराने का है. तो होने को कुछ भी हो सकता है. मगर इस तरह के सुनियोजित हादसे को अंजाम देने-दिलवाने की गुंजाइश भी यहां बेहद कम नजर आती है. क्योंकि हवाई जहाज दिल्ली से फ्लाइ करके अहमदाबाद पुहंचा था. उसके बाद उसने वहां ईंधन भरवाया. ईंधन भरने की यह पूरी प्रक्रिया सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में होती है.
हां, अगर हवाई जहाज ‘हैंगर’ (हवाई जहाज पार्किंग स्पेस) से निकल कर रन-वे पर टेकऑफ के लिए पहुंचा होता, तब यह संभावना बनती थी कि, किसी ने हैंगर के भीतर खड़े हवाई जहाज के अंदर को टाइमर या इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लगा दी, जो फिट समय के अनुसार हवाई जहाज के दोनों इंजन फेल करने में कामयाब रही. ऐसे षड्यंत्र की संभावना कम से कम इस दुर्घटना में तो नहीं लगती.
ब्लैक-बॉक्स अमेरिका भेजने की वजह
सुना जा रहा है कि हादसे का शिकार हवाई जहाज के बरामद ब्लैक-बॉक्स से जितना कुछ भारतीय जांच एजेंसियों को पाने की उम्मीद थी. वह उतनी अंदर तक की जानकारी हासिल नहीं कर सकी हैं. यही वजह है कि आगे की जांच करके हादसे की तह तक पहुंचने के लिए, अब क्षतिग्रस्त ब्लैक-बॉक्स को गहन जांच के लिए अमेरिका भेजा जा रहा है. हांलांकि ब्लैक-बॉक्स को अमेरिका भेजे जाने पर हिंदुस्तानी हुकूमत के अंतिम फैसले पर मुहर लगना बाकी है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एयर इंडिया बोइंग-787-8 ड्रीमलाइनर फ्लाइट नंबर AI171 (Air India Boeing 787-8 Dreamliner) के कॉकपिट वयॉस रिकॉर्डर (Cockpit CVR) और फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर (Flight Data Recorder FDR) को भी तकनीकी जांच के लिए वाशिंगटन, अमेरिका स्थित नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड (National Transportation Safety Board NTSB) के मुख्यालय भेजे जाने की तैयारी करीब पूरी ही हो चुकी है. हालांकि वहीं दूसरी ओर गुरुवार को भारत सरकार ने ऐसी खबरों से इनकार कर दिया कि, इस जांच से संबंधित कोई चीज अमेरिका भेजी गई है या जल्दी ही कोई चीज अमेरिका भेजी जाएगी. सरकार ने यहां तक कह दिया कि जांच दिल्ली में की जा रही है. जांच सही दिशा में आगे बढ़ रही है.
यहां बताना जरूरी है कि 12 जून 2025 को दोपहर करीब 1 बजकर 40 मिनट पर, एयर इंडिया का दिल्ली से वाया अहमदाबाद, लंदन स्थित वहां के गैटविक (London Gatwick Airport) एयरपोर्ट जाने के लिए टेकऑफ करने वाला हवाई जहाज, 650 फुट तक टेकऑफ करने के बाद जमीन पर आ गिरा था. विमान जमीन पर गिरते-गिरते अहमदाबाद के मेघानी नगर (Meghani Nagar) स्थित बी जे मेडिकल एवं सिविल हॉस्पिटल (B J Medical College and Civil Hospital Meghani Nagar) के हॉस्टल की छत पर जा गिरा था. हवाई जहाज में मय क्रू मेंबर्स के 242 लोग सवार थे. जिनमें से एक भाग्यवान यात्री जीवित बच गया. बाकी सभी 241 की मौत हो गई. मरने वालों में बी जे मेडिकल कॉलेज के भी कई लोग इस संख्या से अलग शामिल बताए जाते हैं.