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11 साल में इराक से हुई थी किडनैप, 21 साल की होकर लौटी वापस, IDF ने किया रेस्क्यू

इराक की 11 वर्षीय लड़की की करीब 10 सालों के बाद अपने देश में वापसी हई है. गाजा और हमास के युद्ध के दौरान इस लड़की का अपरहण हुआ था. वहीं उस दौरान वह 11 साल की थी. लेकिन 10 सालों के इस खूफिया मिशन बाद उसे अपने घर वापस लौटने का मौका मिला.

11 साल में इराक से हुई थी किडनैप, 21 साल की होकर लौटी वापस, IDF ने किया रेस्क्यू
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( Image Source:  Social Media X Mihir Jha )
सार्थक अरोड़ा
Edited By: सार्थक अरोड़ा

Published on: 4 Oct 2024 3:22 PM

इजराइल ने एक सीक्रेट मिशन के तहत ISIS आतंकवादियों के ग्रुप को नाकाम कर दिया है. इजराइल ने 4 महीने पहले इसी से संबंधित एक ऑपरेशन शुरू किया था.

बता दें कि इसी ऑपरेशन के तहत यजीदी लड़की को रेस्क्यू किया गया है. फौजिया अमिन सिडो 11 साल की जब थी उस समय ISIS समूह ने किडनैप कर लिया था. कहा जा रहा है कि इस्लामिक स्टेट ने फौजिया को बेच दिया और वह हमास के किसी लड़ाके के कब्जे में आ गईं थी.

काफी प्रयासों के बाद किया मुक्त

इराक के विदेश मंत्री के चीफ ऑफ स्टाफ सिलवान सिंजारी ने रॉयटर्स समाचार एजेंसी को बताया कि 21 वर्षीय फ़ौज़िया अमीन सिदो को चार महीने से अधिक के प्रयासों के बाद मुक्त कर दिया गया, जिसमें गाजा में इज़राइल के युद्ध के परिणामस्वरूप कठिन सुरक्षा स्थिति के कारण कई असफल प्रयास शामिल थे.

जान बचाकर पहुंची

21 साल की इस यजीदी लड़की को जो हमास के कब्जे में थी. मिली जानकारी के अनुसार जिस लड़ाके के कब्जे में वह थी शायद वह इजराइली एयरस्ट्राइक में मारा गया. जिसके बाद वह उस जगह से भाग कर किसी सुरक्षित जगह पर जा पहुंचीं. इसके कुछ ही महीनों पहले वह इराक के अधिकारियों के संपर्क में आई जिसके बाद अमेरिका से फौजिया को सुरक्षित निकालने के लिए संपर्क किया गया. वहीं इजराइली डिफेंस फोर्स ने फौजिया को सुरक्षित रेस्क्यू करने की जानकारी देते हुए हमास और ISIS के बीच गठजोड़ का दावा किया है.

हमले में गई थी कई लोगों की जान

करीब एक साल से पहले इजराइल पर आतंकवादी समूह द्वारा हमले को लेकर गाजा के खिलाफ एक अभियान चलाया गया था. बता दें कि इस अभियान में हजार से भी अधिक लोगों की मौत की जानकारी सामने आई थी. हमास द्वारा संचालित क्षेत्र के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, इज़राइल के जवाबी सैन्य हमले में कम से कम 41,788 लोग मारे गए हैं, जिनमें से अधिकांश नागरिक हैं.

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