इस साउथ सुपरस्टार को उठा ले गया था कुख्यात वीरप्पन, 108 दिन रखा अपने साथ, कांप गई थी सरकारें
साल 1983 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया. उन्हें 10 नेशनल फिल्म अवार्ड और 11 कर्नाटक राज्य फिल्म अवार्ड भी मिले हैं. लेकिन उनसे जुड़ी एक घटना सबसे ज्यादा मशहूर है, जब उनका फैन वीरप्पन उन्हें किडनैप कर ले गया था.

कन्नड़ स्टार डॉ. राजकुमार कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री के एक बड़े और सम्मानित स्टार थे. वे सिर्फ एक अच्छे एक्टर ही नहीं थे, बल्कि कर्नाटक के लोगों के लिए आदर्श और संस्कृति के प्रतीक भी थे. उनका असली नाम सिंगनल्लूरु पुट्टस्वामय्या मुथुराज था, लेकिन फिल्मों में आते ही उन्होंने "राजकुमार" नाम अपनाया, जो बाद में बहुत मशहूर हो गया और हमेशा के लिए उनकी पहचान बन गया. 24 अप्रैल 1929 में कर्नाटक के गजनूर में जन्मे राजकुमार ने अपने करियर की शुरुआत रंगमंच से की.
उनकी पहली फिल्म 'बेदारा कन्नप्पा' (1954) थी, जिसने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया. कर्नाटक में उन्हें 'नटसार्वभौम' यानी अभिनय सम्राट कहते थे. डॉ. राजकुमार ने 200 से ज्यादा कन्नड़ फिल्मों में काम किया, जिनमें ऐतिहासिक, पौराणिक, सामाजिक और रोमांटिक तरह की फिल्में शामिल थी. उनकी कुछ मशहूर फिल्मों में 'भक्त कुम्बारा', 'कस्तूरी निवास', 'बंगारदा मानुष्या' और 'गंधदा गुडी' का नाम लिया जाता है.
सुपरस्टार का किडनैप
साल 1983 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया. उन्हें 10 नेशनल फिल्म अवार्ड और 11 कर्नाटक राज्य फिल्म अवार्ड भी मिले हैं. लेकिन उनसे जुड़ी एक घटना सबसे ज्यादा मशहूर है, जब उनका फैन चंदन तस्कर कुख्यात वीरप्पन उन्हें किडनैप कर ले गया था और तकरीबन चार महीने अपने साथ रखा. जिससे न सिर्फ कर्नाटक में आक्रोश फ़ैल गया बल्कि कर्नाटक राज्य उन्हें वीरप्पन के चंगुल से बचा लेने असफल साबित रहे.
आधी रात उठा ले गया था वीरप्पन
30 जुलाई 2000 की रात कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक डरावनी याद बन गई, जब तमिलनाडु के गजनूर गांव में स्थित फार्महाउस से डॉ. राजकुमार का अपहरण कर लिया गया. उस समय वे 71 साल के थे और कर्नाटक में उन्हें लोग भगवान की तरह पूजते थे. यह चौंकाने वाली घटना कुख्यात चंदन तस्कर और डाकू वीरप्पन द्वारा अंजाम दी गई.
15 हथियारबंद साथियों के साथ था पहुंचा
रात करीब 9:30 बजे, वीरप्पन ने 15 हथियारबंद साथियों के साथ फार्महाउस पर धावा बोला. वहां सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं था, यह बात वह तब से जनता था जब वह एक महीने से राजकुमार के फार्महाउस के बाहर नजर रख रहा था. जब वीरप्पन ने उन्हें किडनैप किया था तब अकेले नहीं थे, उनके साथ उनके दामाद और कुछ अन्य लोग भी मौजूद थे. यह घटना पूरे देश में सनसनी बन गई और लोगों की भावनाओं को झकझोर कर रख दिया.
देश को हिला दिया था इस घटना ने
डॉ. राजकुमार के अपहरण के बाद वीरप्पन ने उन्हें 108 दिनों तक तमिलनाडु और कर्नाटक के बीहड़ और दुर्गम जंगलों में बंधक बनाकर रखा. यह घटना देशभर में सनसनीखेज बन गई. कर्नाटक में उनके लाखों फैंस ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किए, जिससे बेंगलुरु और मैसूर जैसे शहरों में तमिल भाषियों के खिलाफ हिंसा तक भड़क उठी.
50 करोड़ रुपये की फिरौती
वीरप्पन ने उनकी रिहाई के बदले लगभग 50 करोड़ रुपये की फिरौती और कई राजनीतिक मांगें रखी. इन मांगों में कावेरी जल विवाद से जुड़ी बातें और कुछ तमिल उग्रवादियों की रिहाई भी शामिल थी. इस समस्या को हल करने के लिए कर्नाटक और तमिलनाडु की सरकारें पूरी तरह एक्टिव हो गईं. उस वक्त एस.एम. कृष्णा और एम. करुणानिधि दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री थे.
चार महीने के बाद वीरप्पन से रिहाई
इस पूरे घटनाक्रम में तमिल मैगजीन 'नक्कीरन' के एडिटर आर. गोपाल ने बीचबचाव की भूमिका निभाई और वीरप्पन से छह बार बातचीत की. सुप्रीम कोर्ट के दखल और सरकारों की सख्त नीति के चलते वीरप्पन की कई मांगें नामंजूर कर दी गईं. आखिरकार, लंबी कशमकश और रणनीति के बाद, 15 नवंबर 2000 को डॉ. राजकुमार को सकुशल रिहा कर दिया गया. एक राहत भरी खबर जिसने पूरे देश को चैन की सांस दी.
2006 में सुपरस्टार का निधन
इस अपहरण कांड ने वीरप्पन को इंटरनेशनल लेवल पर कुख्यात बना दिया. हालांकि उसने कई मांगें रखीं, लेकिन उनमें से अधिकांश को सरकार ने मानने से इनकार कर दिया. जब डॉ. राजकुमार की रिहाई हुई, तो पूरे कर्नाटक में खुशी की लहर दौड़ गई. लोग सड़कों पर उतर आए, पटाखे फोड़े गए और जश्न मनाया गया. हालांकि दूसरी ओर, इस घटना ने तमिल और कन्नड़ समुदायों के बीच तनाव को और गहरा कर दिया. भाषाई तनाव की चिंगारी कई जगहों पर हिंसा में भी बदली. चार साल बाद, 2004 में तमिलनाडु पुलिस के विशेष कार्यबल (एसटीएफ) ने वीरप्पन को एक मुठभेड़ में ढेर कर दिया, जिससे दशकों से चल रही उसकी दहशत का अंत हुआ. वहीं, डॉ. राजकुमार, जो इस कड़ी परीक्षा से सकुशल बाहर निकल आए थे, उनका 2006 में निधन हो गया, जिससे कर्नाटक ने अपना सबसे चहेता सितारा खो दिया.