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संगीत के जुनून में Sharda Sinha ने छोड़ दिया था ससुराल, 6 साल की उम्र में शुरू की थी गायकी

शारदा सिन्हा के निधन ने सभी को भावुक कर दिया है. अपने लोकगीतों के लिए जानी जाती लोक संगीत की महान हस्ती शारदा सिन्हा ने बीते 5 नवंबर को एम्स में अंतिम सांस ली. ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन में काम करने के बाद उन्हें साल 1989 में सूरज बड़जात्या की फिल्म 'मैंने में प्यार किया' में 'कहे तोसे सजना' सॉन्ग को अपनी आवाज दी.

संगीत के जुनून में Sharda Sinha ने छोड़ दिया था ससुराल, 6 साल की उम्र में शुरू की थी गायकी
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( Image Source:  X Handle )
रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Updated on: 6 Nov 2024 10:32 AM IST

लोक संगीत की महान हस्ती शारदा सिन्हा (Sharda Sinha) के निधन ने सभी को भावुक कर दिया है. छठ महापर्व पर उनके मधुर गीत सुनने वालों को कहां पता था कि वह उनकी लोक गायिका शारदा सिन्हा उन्हें इस महापर्व पर दुनिया से अलविदा कह देंगी. पिछले सात दिनों से दिल्ली एम्स में भर्ती शारदा सिन्हा ने मंगलवार देर शाम अंतिम सांस ली.

वह 72 साल की थीं. उनके बेटे अंशुमान ने शारदा सिन्हा के निधन की पुष्टि की है. 26 अक्टूबर को तबियत खराब होने के कारण उन्हें दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उन्हें बिहार की स्‍वर कोकिला और छठ गीत की पर्याय भी कहा जाता था. आइये जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ बातें.

जीवन में दी संगीत को जगह

शारदा सिन्हा के परिवार में सिंगिंग बैकग्राउंड से नहीं था. लेकिन पिता ने महसूस किया की उनकी बेटी को संगीत दिलचस्पी है. साल 2018 में द हिंदू को दिए एक इंटरव्यू में शारदा ने बताया था कि उनके पिता एजुकेशन डिपार्टमेंट में थे इसलिए उन्हें और उनके भाईयों को खुली छूट थी. उनके पिता का कहना था जो काम पसंद हो जीवन में वहीं करना और इस तरह से सिन्हा ने अपने जीवन में संगीत को जगह दी. सिन्हा इस इंटरव्यू में बताती हैं कि उनके पिता का अलग जगहों पर ट्रांसफर होता था लेकिन गर्मियों की छुट्टियां वह गांव में बिताती थी. वह जब भी अपने गांव जाती तो लोकगीत जरूर सुनती और इस तरह से उनकी लोकगीतों के प्रति दिलचस्पी बढ़ती रही. उन्होंने 6ठीं क्लास से पंडित रघु झा और रामचंद्र झा से संगीत की शिक्षा ली.

बिहार कोकिला

सिन्हा ने भारतीय शास्त्रीय संगीत-गायन में मास्टर डिग्री ली थी और उन्होंने संगीत में पीएच.डी भी की थी. वह 1971 में अपना पहला मैथिली नंबर 'दुलारुआ भैया' लेकर आईं और उन्हें इस गाने से खूब पहचान मिली. यहां यह अपने संगीत के सफर को शुरू करते हुए सिन्हा ने इसके बाद 1978 में उन्होंने बार 'उग हो सूरज देव'... गाना रिकॉर्ड किया. उनके लोक गायकी ने पूरे बिहार का दिल जीतना शुरू कर दिया और वह बन गईं बिहार कोकिला.

पति ने दिया साथ

महिलाएं जीवन में तरक्की करना चाहे और उनके रास्ते में परेशानियां न आएं यह भला कैसे हो सकता है. ऐसा कुछ हुआ था सिन्हा के साथ जब वह अपना सिंगिंग करियर शुरू ही कर रही थी. साल 1970 में उनकी शादी सिहमा के ब्रिजकिशोर से हुई थी. लेकिन वह ससुराल में कुछ ही दिनों तक रही. उनकी सास और ससुर दोनों ही उनके संगीत के खिलाफ थे. लेकिन उनके पति हमेशा उनके सपोर्ट में रहे और इस तरह से सिन्हा ने अपने म्यूजिक करियर के लिए सिहमा को छोड़कर शहर का रुख कर लिया. हालांकि जब उन्हें लोकप्रियता मिलने लगी तब उनके ससुराल वाले सपोर्ट में आ गए.

इन फिल्मों में दी अपनी आवाज

ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन में काम करने के बाद सिन्हा ने साल 1989 में सूरज बड़जात्या की फिल्म 'मैंने में प्यार किया' में 'कहे तोसे सजना' सॉन्ग को अपनी आवाज दी. फिर साल 1994 में उन्होंने बॉलीवुड की आइकॉनिक फिल्म 'हम आपके हैं कौन' में 'बाबुल' सॉन्ग गया. जिसे आज भी विवाह गीतों में शामिल किया जाता है. उन्होंने अनुराग कश्यप की पॉपुलर फिल्म 'गैंग्स ऑफ़ वासेपुर' में 'तार बिजली से पतले' गाने को भी अपनी आवाज दी है.

सिन्हा के लोक गीत

उनके लोक गीतों की बात की जाए तो उन्होंने अपने करियर में टी-सीरीज, एचएमवी और टिप्स के साथ नौ एल्बम में 62 छठ गीत रिकॉर्ड किए. उन्हें 'केलवा के पात पर सूरजवा', 'हर्दी हरदिया', 'सुना छठी मइयां', 'पटना के घाट पर', 'कोयल बिन बगिया न सोहे राजा' जैसे अन्य गीतों के लिए जाना जाता है. उन्हें संगीत में अपने योगदान के लिए 1991 में पद्म श्री और 2000 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया. वह 2018 में पद्म भूषण से भी सम्मानित रही हैं. सिन्हा 2017 से मल्टीपल मायलोमा से पीड़ित थी. दिग्गज फोक सिंगर को पिछले कुछ दिनों से खाने-पीने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. लेकिन 5 नवंबर 2024 को उन्हें एम्स दिल्ली में वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था.

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