मिल गया कंगना की फिल्म इमरजेंसी को सेंसर बोर्ड का सर्टिफिकेट, लेकिन पहले करना होगा यह काम
फिल्म 'इमरजेंसी' को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने कुछ शर्तों के साथ 'यू/ए' प्रमाण पत्र प्रदान किया है. सीबीएफसी ने विशेष रूप से तीन विवादास्पद दृश्यों में बदलाव का सुझाव दिया है.

मुंबई : फिल्म 'इमरजेंसी' को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने कुछ शर्तों के साथ 'यू/ए' प्रमाण पत्र प्रदान किया है. इसके तहत सीबीएफसी ने फिल्म निर्माताओं से तीन कट लगाने की मांग की है और विवादास्पद ऐतिहासिक बयानों के लिए प्रमाणिक सोर्स उपलब्ध कराने की शर्त रखी है.
कटौती के सुझाव दिए
सीबीएफसी ने विशेष रूप से तीन विवादास्पद दृश्यों में बदलाव का सुझाव दिया है. पहला दृश्य पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा बांग्लादेशी शरणार्थियों पर हमले से संबंधित है, जिसमें एक सैनिक द्वारा एक शिशु का सिर कुचलने का चित्रण है. दूसरे दृश्य में तीन महिलाओं की हत्या का चित्रण है. इन दृश्यों को या तो हटाने या बदलने के निर्देश दिए गए हैं.
इसके अतिरिक्त, एक नेता की मृत्यु पर भीड़ में से किसी व्यक्ति द्वारा बोले गए अपशब्दों को बदलने का आदेश दिया गया है. साथ ही, एक दृश्य में परिवार के उपनाम को भी बदलने की मांग की गई है. फिल्म में अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन के किरदार के लिए कुछ अपमानजनक संवादों पर भी सीबीएफसी ने आपत्ति जताई है. इसके लिए भी सुधार और उचित जानकारी देने का सुझाव दिया गया है, जिसमें भारतीय महिलाओं के संदर्भ को उचित रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए.
सोर्स की मांग
सीबीएफसी ने फिल्म में उल्लेखित सभी तथ्यों, शोध और सांख्यिकी डेटा के सोर्स प्रदान करने की भी शर्त रखी है. इसमें बांग्लादेशी शरणार्थियों के बारे में दी गई जानकारी, अदालती फैसलों का विवरण और 'ऑपरेशन ब्लूस्टार' के अभिलेखीय फुटेज के उपयोग की अनुमति शामिल है.
फिल्म 'इमरजेंसी' पर विवाद
फिल्म 'इमरजेंसी', जिसमें कंगना रनौत पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की भूमिका निभा रही हैं, लंबे इंतजार और विवादों के बाद 6 सितंबर को रिलीज होनी थी. इस फिल्म का निर्देशन, लेखन और सह-निर्माण भी कंगना रनौत ने किया है.
29 अगस्त को फिल्म निर्माताओं को सीबीएफसी से ईमेल मिला, जिसमें फिल्म को प्रमाण पत्र प्रदान करने की सूचना दी गई. हालांकि, प्रमाण पत्र जारी न होने के कारण उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर करनी पड़ी. इस बीच, सिख संगठनों और शिरोमणि अकाली दल ने फिल्म पर सिख समुदाय की गलत छवि प्रस्तुत करने और ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया है, जिससे यह विवादों में घिर गई है.