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विपक्ष में अलग थे हालात, आज मजबूत है भारत की इकोनॉमी... डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट पर बोलीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

HT Leadership Summit 2025 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि रुपया अपना स्तर खुद तय करेगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि आज भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में है और वर्तमान हालात की तुलना पहले के दौर से नहीं की जा सकती. हाल ही में रुपया 90.43 के ऑल-टाइम लो तक पहुंचा था, हालांकि अमेरिकी डॉलर में कमजोरी के बाद इसमें हल्की रिकवरी देखी गई. सरकार ने साफ किया कि मौजूदा करंसी मूवमेंट को मजबूत आर्थिक फंडामेंटल्स के संदर्भ में देखा जाना चाहिए.

विपक्ष में अलग थे हालात, आज मजबूत है भारत की इकोनॉमी... डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट पर बोलीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
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( Image Source:  ANI )

Nirmala Sitharaman on Rupee vs Dollar: डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की लगातार कमजोरी पर बढ़ती बहस के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बड़ा बयान दिया है. हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट (HTLS) 2025 में शनिवार को उन्होंने कहा कि रुपये को अपना स्तर खुद तय करने देना चाहिए. मौजूदा वक्त में देश की आर्थिक बुनियाद बेहद मजबूत स्थिति में है. डॉलर के मुकाबले रुपये की मौजूदा स्थिति पर सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “करेंसी एक्सचेंज रेट अपने आप तय होते हैं. ये बेहद संवेदनशील विषय है और इसे सिर्फ राजनीतिक नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए. आज भारत की अर्थव्यवस्था जिस स्तर पर खड़ी है, वो पहले से बिल्कुल अलग है.”

निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट शब्दों में यह भी स्वीकार किया कि जब उनकी पार्टी विपक्ष में थी, तब रुपये की कमजोरी को लेकर सवाल उठाए जाते थे, लेकिन उस समय हालात बिल्कुल अलग थे. उन्होंने कहा, “उस समय महंगाई बहुत ज्यादा थी, अर्थव्यवस्था कमजोर थी और ऐसे में अगर मुद्रा भी कमजोर हो जाए तो वह किसी के लिए भी चिंता का विषय बन जाती है. उस दौर और आज के हालात में जमीन-आसमान का फर्क है.”

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आज के भारत की आर्थिक स्थिति दुनिया से अलग

वित्त मंत्री ने कहा कि आज भारत की आर्थिक स्थिति कई मजबूत स्तंभों पर टिकी है, इसलिए रुपये की मौजूदा चाल को उसी नजरिए से देखना चाहिए. उन्होंने कहा, “आज भारत की फंडामेंटल इकोनॉमी मजबूत है. हमारी जीडीपी ग्रोथ, टैक्स कलेक्शन, विदेशी निवेश और बैंकिंग सिस्टम पहले से कहीं अधिक बेहतर है. इसलिए मुद्रा को लेकर बहस भी इन्हीं वास्तविकताओं के दायरे में होनी चाहिए.”

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90.43 के ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंचा था रुपया

बता दें कि बुधवार (3 दिसंबर) को रुपया डॉलर के मुकाबले अपने अब तक के सबसे निचले स्तर 90.43 तक गिर गया था. इसके पीछे विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों को बड़ी वजह माना गया. हालांकि, अगले ही दिन गुरुवार को रुपये में कुछ सुधार देखने को मिला और यह 26 पैसे की मजबूती के साथ 89.89 पर बंद हुआ.

अमेरिकी आंकड़ों से मिला रुपये को सहारा

फॉरेक्स ट्रेडर्स के मुताबिक अमेरिका में जारी नॉन-फार्म पेरोल डेटा उम्मीद से कमजोर रहा, जिसके बाद डॉलर इंडेक्स में नरमी आई. इसका सीधा फायदा रुपये को मिला और निचले स्तर से इसमें रिकवरी देखने को मिली. बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले दिनों में रुपये की चाल वैश्विक संकेतों, कच्चे तेल की कीमतों और विदेशी निवेश के रुख पर निर्भर करेगी.

निर्मला सीतारमण के बयान से साफ है कि सरकार रुपये की गिरावट को लेकर फिलहाल घबराने के मूड में नहीं है. उसका मानना है कि मजबूत आर्थिक आधार के बीच मुद्रा अपनी स्वाभाविक दिशा खुद तय करेगी.

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