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Dark pattern fees को लेकर एक्‍शन में सरकार, Amazon, Flipkart और FirstCry पर अतिरिक्त CoD शुल्क की जांच शुरू

केंद्र सरकार ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर कैश ऑन डिलीवरी (CoD) विकल्प पर लगने वाले अतिरिक्त शुल्क की जांच शुरू की है. उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रहलाद जोशी ने बताया कि ग्राहक अक्सर “ऑफर हैंडलिंग फी”, “पेमेंट हैंडलिंग फी” और “प्रोटेक्ट प्रॉमिस फी” जैसी छिपी हुई फीस के बारे में समय पर जानकारी नहीं पाते. इस प्रकार के “डार्क पैटर्न” उपभोक्ताओं को गुमराह करते हैं. Amazon, Flipkart और FirstCry जैसी कंपनियों को पारदर्शिता सुनिश्चित करने और उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया गया है.

Dark pattern fees को लेकर एक्‍शन में सरकार, Amazon, Flipkart और FirstCry पर अतिरिक्त CoD शुल्क की जांच शुरू
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( Image Source:  Sora AI )
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Published on: 4 Oct 2025 4:19 PM

केंद्र सरकार ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर नकद-ऑन-डिलीवरी (CoD) विकल्प के लिए लगाए जाने वाले अतिरिक्त शुल्क की जांच शुरू कर दी है. केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्री प्रल्हाद जोशी ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि मंत्रालय को शिकायतें मिली हैं कि कई प्लेटफॉर्म्स ग्राहकों से छिपे या भ्रामक शुल्क वसूलते हैं. इनमें “offer handling fee”, “payment handling fee” और “protect promise fee” जैसे नाम शामिल हैं. ग्राहक शिकायत करते हैं कि ये अतिरिक्त शुल्क केवल चेकआउट के अंतिम चरण में प्रकट होते हैं, जिससे उत्पाद की वास्तविक कीमत का गलत आभास होता है.

जोशी ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि यह व्यवहार “डार्क पैटर्न” (Dark Pattern) के अंतर्गत आता है, जो उपभोक्ताओं को भ्रमित और उनका शोषण करता है. मंत्रालय ने सभी प्लेटफॉर्म्स की विस्तार से जांच शुरू कर दी है और जो भी नियमों का उल्लंघन करेगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

डार्क पैटर्न क्या हैं?

डार्क पैटर्न ऑनलाइन रणनीतियां होती हैं, जो उपभोक्ताओं को उनके अनजाने में ऐसे निर्णय लेने के लिए बाध्य करती हैं, जिन्हें वे सामान्य परिस्थितियों में नहीं लेते. आम उदाहरणों में शामिल हैं:

  • फ़ेक urgency messages: जैसे “सिर्फ 1 आइटम बचा है”
  • लिमिटेड-टाइम ऑफर्स: लगातार सीमित अवधि की पेशकश

भारत में उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत ऐसे धोखाधड़ी वाले उपाय अवैध हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि अतिरिक्त CoD शुल्क इसी श्रेणी में आता है क्योंकि यह शुरू में स्पष्ट नहीं होता और अंतिम चेकआउट के समय ही दिखाई देता है.

कैसे काम करते हैं CoD शुल्क?

अमेज़न, फ्लिपकार्ट और फर्स्टक्राय जैसे बड़े प्लेटफॉर्म्स नकद-ऑन-डिलीवरी पर प्रति ऑर्डर 7 से 10 रुपये अतिरिक्त शुल्क वसूलते हैं. उदाहरण:

  • Flipkart: Rs 5 CoD हैंडलिंग फी
  • Amazon: Rs 10 कनवेनियंस फी
  • FirstCry: Rs 10 CoD हैंडलिंग फी

ये शुल्क मौजूदा डिलीवरी चार्ज, रिटर्न कॉस्ट या प्लेटफॉर्म फीस से अलग होते हैं और सीधे अंतिम बिल को बढ़ा देते हैं.

हालिया कार्रवाई और चेतावनी

यह पहला मामला नहीं है. पिछले महीने सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CCPA) ने Digital Age Retail Pvt. Ltd. (FirstCry) पर Rs 2 लाख का जुर्माना लगाया था. FirstCry ने प्रोडक्ट प्राइस को “MRP इनक्लूसिव ऑफ ऑल टैक्स” दिखाया लेकिन चेकआउट पर GST जोड़ दिया, जिससे ग्राहकों को गलत छूट का आभास हुआ. अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि ऐसे व्यवहार Consumer Protection Act, 2019 के तहत “unfair trade practices” माने जाते हैं.

सरकार की चेतावनी और अगला कदम

मंत्रालय ने सभी ई-कॉमर्स कंपनियों को चेतावनी दी है कि वे भ्रामक प्रथाओं को तुरंत बंद करें और शुल्क की पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित करें. यदि उल्लंघन जारी रहा, तो कड़ी सजा और नियामक कार्रवाई की जाएगी.

महत्वपूर्ण बातें

  • केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर CoD शुल्क की जांच शुरू की है.
  • शिकायतें मिली हैं कि प्लेटफॉर्म्स छिपे या भ्रामक शुल्क वसूलते हैं.
  • आम शुल्क श्रेणियों में offer handling fee, payment handling fee, protect promise fee शामिल हैं.
  • ये शुल्क अक्सर चेकआउट के अंतिम चरण में प्रकट होते हैं.
  • उपभोक्ता मंत्रालय ने इसे “डार्क पैटर्न” घोषित किया है.
  • अमेज़न, फ्लिपकार्ट और फर्स्टक्राय Rs 7-10 अतिरिक्त CoD शुल्क वसूलते हैं.
  • हाल ही में CCPA ने FirstCry को Rs 2 लाख का जुर्माना लगाया था.
  • अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि भ्रामक प्रथाओं पर कड़ी कार्रवाई होगी.
  • Consumer Protection Act, 2019 के तहत ये व्यवहार अनुचित व्यापार प्रथा माने जाते हैं.
  • मंत्रालय ने ई-कॉमर्स कंपनियों को पूर्ण पारदर्शिता और शुल्क की स्पष्ट जानकारी देने का निर्देश दिया.
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