Russia Ukraine War रोकने के लिए भारत से मदद मांगने वाले ज़ेलेंस्की, अब ट्रंप के टैरिफ को बता रहे सही; पुतिन को लेकर क्या बोले?

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने रूस के साथ व्यापार जारी रखने वाले देशों पर टैरिफ लगाने के विचार का समर्थन किया है. हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत सहित कई देशों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाया था, जिसे भारत ने “अनुचित” बताया. लेकिन ज़ेलेंस्की ने इसे सही ठहराते हुए कहा कि रूस की ऊर्जा ही उसका सबसे बड़ा हथियार है और इसे रोकना ज़रूरी है. पहले जंग रुकवाने के लिए भारत से मदद मांगने वाले ज़ेलेंस्की अब चाहते हैं कि दुनिया पुतिन पर और आर्थिक दबाव बनाए.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  नवनीत कुमार
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यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध लगातार तेज़ होता जा रहा है. इसी बीच यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने एक बड़ा बयान देकर हलचल मचा दी है. उन्होंने कहा कि रूस के साथ व्यापारिक सौदे जारी रखने वाले देशों पर टैरिफ लगाना बिल्कुल सही विचार है. यह बयान उस समय आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत सहित कई देशों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की है. दिलचस्प बात यह है कि ज़ेलेंस्की पहले भारत से जंग रुकवाने के लिए मदद मांग चुके हैं और अब ट्रंप की इस नीति का समर्थन करते हुए उसे सही ठहरा रहे हैं.

ज़ेलेंस्की ने एक इंटरव्यू में साफ कहा कि रूस से ऊर्जा खरीदना दरअसल पुतिन को मज़बूत करना है. उनके मुताबिक, “हत्यारे को रोकने का यही एक तरीका है- उसका हथियार छीन लो, और पुतिन का हथियार ऊर्जा है.” उन्होंने यूरोप के कई देशों की भी आलोचना की जो अब भी रूसी तेल और गैस खरीद रहे हैं.

ट्रंप की टैरिफ नीति पर समर्थन

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ को दोगुना कर 50 प्रतिशत कर दिया है. साथ ही रूस से कच्चे तेल की खरीद पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाया है. जहां भारत ने इसे “अनुचित और अविवेकपूर्ण” बताया, वहीं ज़ेलेंस्की ने कहा कि रूस के साथ सौदे करने वाले देशों पर टैरिफ लगाना सही कदम है और इससे युद्ध को रोकने में मदद मिलेगी.

मोदी-पुतिन मुलाकात पर क्या बोले?

हाल ही में चीन में हुए एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात चर्चा में रही. दोनों को साथ में हंसते और कार में जाते देखा गया. इस मुलाकात को लेकर ज़ेलेंस्की ने अप्रत्यक्ष तौर पर भारत की रूस के साथ करीबी पर भी सवाल उठाए और कहा कि इस तरह के सौदों से युद्ध और लंबा खिंच सकता है.

यूरोपीय साझेदारों पर आरोप

ज़ेलेंस्की ने अपने यूरोपीय साझेदारों को भी आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि जब तक यूरोप रूसी ऊर्जा पर निर्भर रहेगा, तब तक पुतिन के खिलाफ दबाव अधूरा रहेगा. उन्होंने यह भी कहा कि “कुछ साझेदार अब भी तेल और गैस खरीद रहे हैं, जो उचित नहीं है.”

पुतिन के निमंत्रण को ठुकराया

यूक्रेनी राष्ट्रपति ने साफ कहा कि वह मास्को जाकर बातचीत नहीं कर सकते, जब उनका देश मिसाइल हमलों के अधीन है. उन्होंने पुतिन को वार्ता के लिए कीव आने का न्योता दिया लेकिन मास्को जाने से इंकार कर दिया.

युद्धविराम पर कोई प्रगति नहीं

15 अगस्त को ट्रंप और पुतिन की मुलाकात हुई थी, लेकिन युद्धविराम पर कोई ठोस नतीजा नहीं निकला. इसके बाद रूस ने यूक्रेन पर हमले और तेज़ कर दिए. हाल ही में हुए रूसी ड्रोन और मिसाइल हमलों में कीव समेत कई शहरों को निशाना बनाया गया, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई.

अमेरिका से उम्मीदें

ज़ेलेंस्की ने कहा कि अब उन्हें अमेरिका से और सख्त कदम उठाने की उम्मीद है. ट्रंप ने भी संकेत दिए हैं कि यदि हालात नहीं बदले तो रूस पर और कड़े प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं. ज़ेलेंस्की ने दोहराया कि केवल आर्थिक दबाव और ऊर्जा व्यापार रोककर ही पुतिन को रोका जा सकता है.

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