साउथ कोरिया में छह घंटे बाद क्यों हटा मार्शल लॉ? जानें आखिर क्या है ये कानून
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योन ने आश्चर्यजनक रूप से देर रात टेलीविजन पर देश में मार्शल लॉ लागू करने की घोषणा की. उन्होंने इसका कारण उत्तर कोरिया की कम्युनिस्ट ताकतों और राष्ट्रविरोधी तत्वों से सुरक्षा बताया. हालांकि, यह निर्णय भारी विवादों में घिर गया और सरकार को इसका कड़ा विरोध सहना पड़ा.;
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योन ने आश्चर्यजनक रूप से देर रात टेलीविजन पर देश में मार्शल लॉ लागू करने की घोषणा की. उन्होंने इसका कारण उत्तर कोरिया की कम्युनिस्ट ताकतों और राष्ट्रविरोधी तत्वों से सुरक्षा बताया. हालांकि, यह निर्णय भारी विवादों में घिर गया और सरकार को इसका कड़ा विरोध सहना पड़ा. हालांकि उनके इस ऐलान के महज ढाई घंटे में ही नेशनल असेंबली के 190 सदस्य ने मार्शल लॉ को हटाए जाने को लेकर वोट किया. देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन होने लगें. वहां की जनता सड़कों पर उतार आई. संसद के सामने विपक्षी नेताओं ने प्रदर्शन करना शुरू कर दिया.
इन सब बवाल के बीच आखिरकार राष्ट्रपति को अपना फैसला वापस ही लेना पड़ा. देर रात उन्होंने मार्शल लॉ को वापल लेने का आदेश दे दिया. खैर ये तो बात हो गई साउथ कोरिया में कैसे मार्शल लॉ लगा और कब हटा? इस घटना के बाद मार्शल लॉ शब्द सबसे ज्यादा प्रचलन में रहा. ऐसे में आइए इस खबर में मार्शल लॉ से जुड़ें कई सवालों के जवाब जानते हैं.
क्या होता है मार्शल लॉ?
मार्शल लॉ एक अस्थायी व्यवस्था है, जिसमें सैन्य बलों को किसी देश या क्षेत्र का प्रशासनिक और कानूनी नियंत्रण सौंप दिया जाता है. यह सामान्य कानून और नागरिक प्रशासन को निलंबित करके लागू किया जाता है. आमतौर पर इसे आपातकालीन परिस्थितियों में लागू किया जाता है. इसके तहत नागरिक स्वतंत्रताओं पर प्रतिबंध, कर्फ्यू, और कानून व्यवस्था के लिए सैन्य बलों की तैनाती की जाती है.
पहले भी लग चुका है मार्शल लॉ
राष्ट्रपति के इस फैसले को जबरदस्त विरोध हुआ. संसद के बाहर भी बड़ी संख्या में लोग पहुंच गए. इसमें आम लोग विपक्ष के नेता और मीडिया कर्मी भी शामिल थे. लोगों ने दक्षिण कोरियाई झंडा लहराकर विरोध किया. इससे पहले साउथ कोरिया में 1980 में मार्शल लॉ लगा था, तब छात्रों और श्रमिक संगठनों के देशभर में विरोध-प्रदर्शनों के चलते ये फैसला लेना पड़ा था.
साउथ कोरिया में 6 घंटे में क्या- क्या हुआ?
मार्शल लॉ लागू होते ही सरकार ने कई विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार किया. सरकार ने इसे "राष्ट्रविरोधी गतिविधियों" पर लगाम लगाने का प्रयास बताया, लेकिन इसे अलोकतांत्रिक कदम माना गया. घोषणा के तुरंत बाद देशभर में प्रदर्शन शुरू हो गए. लोग सड़कों पर उतरकर मार्शल लॉ को खत्म करने की मांग करने लगे. संसद के बाहर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए. जनता और संसद के दबाव के बीच राष्ट्रपति यून सुक योन को अपना फैसला वापस लेना पड़ा. छह घंटे के भीतर उन्होंने मार्शल लॉ को रद्द करने का आदेश दिया, जिससे स्थिति सामान्य हुई.