कौन है भारत विरोधी पूर्व सैनिक मेजर जिया? जिसे बांग्लादेश सरकार ने कर दिया रिहा, सुनाई गई थी मौत की सजा

बांग्लादेश की सरकार ने मेजर जिया को रिहा कर दिया है, जिसे अमेरिकी ब्लॉगर अविजीत रॉय की हत्या में सीधे शामिल होने के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी. पूर्व बांग्लादेश आर्मी अधिकारी और ABT/AQIS से जुड़े मेजर जिया अब सोशल मीडिया पर भारत-विरोधी पोस्ट कर रहे हैं. सुरक्षा एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि उनकी वापसी से चरमपंथी नेटवर्क फिर सक्रिय हो सकते हैं.;

Major Zia(Image Source:  Sora_ AI )
By :  सागर द्विवेदी
Updated On : 20 Aug 2025 12:36 AM IST

करीब एक दशक बाद, जब अमेरिकी ब्लॉगर अविजीत रॉय की ढाका विश्वविद्यालय परिसर में हत्या हुई थी, अब वही शख्स जिसे मौत की सजा सुनाई गई थी. सैयद ज़ियाउल हक, यानी मेजर जिया बांग्लादेश में फिर सक्रिय हो गया है. यह वापसी मुहम्मद यूनुस नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की दया के कारण संभव हुई.

2015 में रॉय की हत्या में सीधे शामिल होने के आरोप में हक को बांग्लादेश की अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी. अमेरिकी विदेश विभाग ने दिसंबर 2021 में उनकी गिरफ्तारी में मदद करने वाले किसी को $5 मिलियन का इनाम देने की घोषणा की थी. रॉय की पत्नी रफीदा बोन्या अहमद इस हमले में गंभीर रूप से घायल हुई थीं.

सोशल मीडिया पर फिर सक्रिय, भारत के खिलाफ भड़काऊ पोस्ट्स

हक अब बांग्लादेश में सक्रिय हैं और सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट साझा कर रहे हैं. एक पोस्ट में उन्होंने लिखा कि, 'कोलकाता में एक अवामी लीग का कार्यालय है! तो फिर मणिपुर, खालिस्तान और कश्मीर का प्रतिनिधित्व करने वाले स्वतंत्रता समर्थक समूहों का कार्यालय बांग्लादेश में क्यों नहीं होना चाहिए?...बस एक कार्यालय खुलने दें. भारत को मजबूरन माफी माँगनी पड़ेगी और सभी [अवामी लीग] गुंडों को वापस लेना होगा!'

इस बयान से सुरक्षा एजेंसियों में चिंता बढ़ गई है. 2022 में NIA की कार्रवाइयों में असम, कर्नाटक और तमिलनाडु में ABT/AQIS से जुड़े मॉड्यूल्स का भंडाफोड़ हो चुका है. हक के वापस आने से बांग्लादेश की अस्थिरता फिर से चरमपंथियों के लिए मंच बन सकती है.

मेजर जिया कौन हैं?

ज़ियाउल हक बांग्लादेश आर्मी के इंजीनियर्स कॉर्प्स के पूर्व अधिकारी हैं. उन्हें स्पेशल ऑपरेशंस में ट्रेनिंग मिली थी और 2011 में शेख हसीना के खिलाफ असफल तख्तापलट में शामिल होने का आरोप है. नौकरी से बर्खास्त होने के बाद वह लापता हो गए और बाद में अंसारुल्लाह बंगला टीम (ABT) से जुड़े, जो अल-कायदा इन द इंडियन सबकॉन्टिनेंट (AQIS) से संबंधित है.

स्थानीय मीडिया के अनुसार हक ने कैडर्स को बम बनाने की ट्रेनिंग भी दी थी. उनके जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB) जैसे प्रतिबंधित संगठनों से भी संबंध थे और कथित तौर पर उन्होंने ISI की मदद से पाकिस्तानी पासपोर्ट प्राप्त कर भागने की योजना बनाई थी.

मौत की सजा के बावजूद रिहाई

हक को अविजीत रॉय की हत्या में “प्रत्यक्ष भूमिका” के लिए गैर-हाज़िरी में मौत की सजा सुनाई गई थी. लेकिन शेख हसीना के हटने के बाद उन्होंने एमडी यूनुस प्रशासन से राहत मांगी और जनवरी 2025 में उन्हें पूर्ण क्षमा दे दी गई. टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, हक कई आतंकियों और कट्टरपंथियों में से एक हैं जिन्हें यूनुस सरकार की दया से लाभ मिला.

चरमपंथी नेटवर्क फिर उभर सकते हैं

हक की रिहाई के बाद अगस्त 2024 में ABT नेता जशिमुद्दीन रहमानी की रिहाई भी हुई थी, जिससे ABT/AQIS के पुनरुद्धार का खतरा बढ़ गया है. बांग्लादेश ने मई 2015 में ABT को प्रतिबंधित कर दिया था, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार यह संगठन अन्य मिलिटेंट ग्रुप्स से ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि यह शिक्षित और टेक-सेवी युवाओं को भर्ती करता है.

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