क्या है थेरवाद बौद्ध परंपरा जिसके मठाधीश बने अरबपति आनंद कृष्णन के बेटे? पढ़ें उनकी लाइफ जर्नी

आनंद कृष्णन का बिजनेस दूरसंचार, मीडिया, उपग्रह, तेल, गैस और रियल एस्टेट में फैला हुआ है. वह एयरसेल के मालिक भी रह चुके हैं जो जो कभी आईपीएल टीम चेन्नई सुपर किंग्स को स्पॉन्सर किया करता था. सिरिपान्यो की मां थाई शाही परिवार से ताल्लुक रखती हैं. उनके साधु बनने के फैसले को उनके पिता ने पूरी तरह से समर्थन दिया.;

Curated By :  नवनीत कुमार
Updated On : 27 Nov 2024 6:37 PM IST

मलेशिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति और टेलीकॉम टायकून आनंद कृष्णन के बेटे वेन अजान सिरिपान्यो ने मात्र 18 साल की उम्र में लग्जरी लाइफ को छोड़कर संन्यास लेने की घोषणा की थी. अब वह दताओ डम मठ के प्रमुख बन चुके हैं. उनके पिता यानी आनंद कृष्णन के पास 5 अरब अमेरिकी डॉलर यानी कि 40,000 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति है.

आनंद कृष्णन का बिजनेस दूरसंचार, मीडिया, उपग्रह, तेल, गैस और रियल एस्टेट में फैला हुआ है. वह एयरसेल के मालिक भी रह चुके हैं जो जो कभी आईपीएल टीम चेन्नई सुपर किंग्स को स्पॉन्सर किया करता था. सिरिपान्यो की मां थाई शाही परिवार से ताल्लुक रखती हैं. उनके साधु बनने के फैसले को उनके पिता ने पूरी तरह से समर्थन दिया. आनंद कृष्णन खुद भी एक कट्टर बौद्ध और परोपकारी व्यक्ति हैं.

कौन हैं वेन अजान सिरिपान्यो?

वेन अजहन सिरिपान्यो ने 18 साल की उम्र में थाईलैंड में एक रिट्रीट के दौरान साधु जीवन अपनाने का फैसला किया था. अब वह थाईलैंड-म्यांमार सीमा पर स्थित दताओ डम मठ के प्रमुख के रूप में काम कर रहे हैं. उनके साधु बनने के पीछे की वजहें पूरी तरह से सार्वजनिक नहीं हैं, लेकिन कहा जाता है कि वे बहुत साधारण जीवन जीते हैं. वे भिक्षा मांगते हैं और अपना जीवन बौद्ध धर्म के नियमों के अनुसार बिताते हैं.

लंदन में परवरिश और पढ़ाई

वेन का बचपन यूके में बीता, जहां उनकी परवरिश उनकी दो बहनों के साथ हुई. उन्होंने लंदन में पढ़ाई की और कई भाषाओं की जानकारी रखते हैं. उन्हें अंग्रेजी, तमिल और थाई भाषा का भी ज्ञान है. अलग-अलग संस्कृतियों के बीच पले-बढ़े अजान सिरिपान्यो ने बौद्ध धर्म के सिद्धांतों को गहराई से समझा है.

परिवार से है लगाव

भले ही वे एक साधु हैं, लेकिन परिवार से जुड़े रहने के लिए वे कभी-कभी अपनी पुरानी जीवनशैली में लौट आते हैं. बौद्ध धर्म में परिवार के महत्व पर जोर दिया जाता है. एक बार वे अपने पिता से मिलने के लिए निजी जेट से इटली गए थे. उनके पिता ने पेनांग हिल पर एक आध्यात्मिक रिट्रीट भी खरीदा, जहां सिरिपान्यो ने हिस्सा लिया था.

क्या है थेरवाद बौद्ध परंपरा?

वह थाईलैंड में थेरवाद बौद्ध परंपरा के अंतर्गत भिक्षु बने हैं. थेरवाद बौद्ध परंपरा बौद्ध धर्म की सबसे प्राचीन और पारंपरिक शाखा है. इसे प्राचीन शिक्षाओं का मार्ग भी कहा जाता है. यह परंपरा बौद्ध धर्म के प्रारंभिक सिद्धांतों 'जो गौतम बुद्ध के समय से चले आ रहे हैं' पर आधारित है. यह मुख्य रूप से दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों जैसे श्रीलंका, थाईलैंड, म्यांमार, कंबोडिया, और लाओस में प्रचलित है.

महायान बौद्ध धर्म (तिब्बती बौद्ध धर्म) की तुलना में थेरवाद अधिक पारंपरिक और मूल शिक्षाओं के करीब माना जाता है. थेरावादा में अरहंत यानी अहिंसा और आत्मज्ञान प्राप्त व्यक्ति को उच्चतम आदर्श माना जाता है, जबकि महायान में बोधिसत्व यानी मुक्ति दिलाने की अवधारणा पर जोर दिया जाता है.

विपश्यना भी इसी का है हिस्सा

थेरवाद परंपरा ने अपनी सादगी और गहनता के कारण दुनियाभर में लाखों लोगों को आकर्षित किया है. विपश्यना ध्यान, जो इस परंपरा का हिस्सा है, आज विश्वभर में लोकप्रिय है. पश्चिमी देशों में भी थेरवाद ध्यान केंद्र और मठ स्थापित हो रहे हैं, जो आधुनिक जीवन में शांति और संतुलन की खोज करने वालों को मार्गदर्शन प्रदान करते हैं.

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