क्या होता है Polar Vortex जो अमेरिका और कनाडा में फिर ला सकता है बर्फीली तबाही?
पोलर वोर्टेक्स के टूटने या कमजोर पड़ने के कई कारण हैं जिसमें ग्लोबल वार्मिंग प्रमुख है. इसकी वजह से आर्कटिक की बर्फ तेजी से पिघल रही है, जिससे पोलर वोर्टेक्स कमजोर हो सकता है. पोलर वॉर्टेक्स कोलैप्स होने से अमेरिका, कनाडा, यूरोप और एशिया में भीषण ठंड पड़ सकती है और जबरदस्त बर्फीले तूफान आ सकते हैं.;
अमेरिका और कनाडा के सामने एक बार फिर बर्फीली तबाही का खतरा मंडरा रहा है. ऐसा अनुमान जताया जा रहा है कि इसी महीने पोलर वॉरटेक्स (Polar Vortex) कोलैप्स हो सकता है, जिसकी वजह से अमेरिका और कनाडा में भीषण ठंड हो सकती है. इसका असर ब्रिटेन और यूरोप तक भी हो सकता है. अगर ऐसा होता है तो 2025 में दूसरी बार ऐसा होगा. फरवरी में भी कुछ ऐसे ही हालात बने थे, जिसमें बहुत ही ज्यादा ठंड की वजह से 10 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी.
मौसम वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि यूरोप और पूर्वी कनाडा के ऊपर पोलर वॉरटेक्स में बदलाव हो सकता है. हालांकि, उत्तरी अमेरिका के लिए समय तय नहीं है, लेकिन मार्च के अंत से अप्रैल की शुरुआत तक पैटर्न में बदलाव देखने को मिल सकता है."
क्या है पोलर वॉरटेक्स?
पोलर वॉर्टेक्स एक विशाल, ठंडी हवा का चक्रवात है, जो पृथ्वी के ध्रुवीय क्षेत्रों (North Pole और South Pole) के ऊपर स्थित होता है. यह ऊपरी वायुमंडल, विशेष रूप से स्ट्रैटोस्फेयर (Stratosphere) और ट्रोपोस्फयर (Troposphere) में पाया जाता है. आम तौर पर, यह ठंडी हवा को ध्रुवीय क्षेत्रों में ही सीमित रखता है. जब पोलर वोर्टेक्स मजबूत होता है, तो यह आर्कटिक क्षेत्र में ठंडी हवा को बांधकर रखता है, जिससे दुनिया के अन्य हिस्सों में सामान्य मौसम बना रहता है. लेकिन अगर यह कमजोर या अस्थिर हो जाता है, तो यह ठंडी हवा दक्षिण की ओर खिसकने लगती है, जिससे अमेरिका, यूरोप, एशिया और यहां तक कि भारत में भी भीषण ठंड पड़ सकती है.
इन वजहों से हो सकता है पोलर वॉर्टेक्स कोलैप्स
पोलर वोर्टेक्स के टूटने या कमजोर पड़ने के कई कारण हैं, जिसमें ग्लोबल वार्मिंग प्रमुख है. इसकी वजह से आर्कटिक की बर्फ तेजी से पिघल रही है, जिससे पोलर वोर्टेक्स कमजोर हो सकता है. वहीं, जब ऊपरी वायुमंडल में अचानक गर्मी बढ़ जाती है, तो यह पोलर वोर्टेक्स को अस्थिर कर सकती है. जेट स्ट्रीम के कमजोर होने की वजह से भी ऐसा हो सकता है. जेट स्ट्रीम वायुमंडल की तेज़ हवाएं होती हैं, जो पोलर वोर्टेक्स को स्थिर रखती हैं. यदि ये कमजोर हो जाती हैं, तो ठंडी हवा दक्षिण की ओर फैल सकती है.
पोलर वॉर्टेक्स कोलैप्स का क्या होता है असर?
पोलर वॉर्टेक्स कोलैप्स होने से अमेरिका, कनाडा, यूरोप और एशिया में भीषण ठंड पड़ सकती है और जबरदस्त बर्फीले तूफान आ सकते हैं. तापमान में 20-30°C तक की गिरावट आ सकती है. प्रभावित इलाकों में बर्फबारी और तूफान की वजह से हवाई सेवा बुरी तरह प्रभावित हो सकती है. वहीं, बिजली की मांग में जबरदस्त बढ़ोतरी की वजह से बिजली व्यवस्था चरमराने का खतरा भी हो सकता है. भारत की बात करें तो यहां इसका सीधे तौर पर कोई असर नहीं होता, लेकिन इसकी वजह से वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के मामले बढ़ सकते हैं, जिससे उत्तरी भारत में कड़ाके की ठंड और बारिश हो सकती है.