PAK विदेश मंत्री डार ने संसद में कहा- ट्रंप का 20-पॉइंट गाजा शांति प्रस्ताव 'हमारा नहीं', इस्लामाबाद ने बताया असली सच
पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक दार ने संसद में स्पष्ट किया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तुत 20-पॉइंट गाजा शांति प्रस्ताव पाकिस्तान का नहीं है. दार ने बताया कि इस प्रस्ताव में उनके ड्राफ्ट में बदलाव किए गए थे और पाकिस्तान ने केवल आवश्यक सुधारों के साथ प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की फिलिस्तीन नीति क़ायदे-ए-आज़म मोहम्मद अली जिन्ना की ही है और इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है.;
पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक़ दार ने शुक्रवार को नेशनल असेंबली में स्पष्ट किया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तुत 20-पॉइंट गाजा शांति प्रस्ताव 'पाकिस्तान का नहीं है.' उन्होंने कहा कि इस मसले पर किसी भी तरह की राजनीतिक चालबाज़ी की कोई जगह नहीं है. डार ने बताया कि अमेरिका ने अपने प्रस्ताव में पाकिस्तान के मसौदे में बदलाव किया और वास्तविक निर्णय प्रक्रिया को गुप्त रखा गया.
इशाक़ डार ने बताया कि गाजा में इस्राइल के हमलों को रोकने के उद्देश्य से ट्रंप ने आठ मुस्लिम और अरब देशों- जॉर्डन, यूएई, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, तुर्की, सऊदी अरब, कतर और मिस्र के साथ संयुक्त बैठक की. इस बैठक में पाकिस्तान और अन्य देशों ने अपने सुझावों के साथ एक संशोधित मसौदा तैयार किया और उसे अमेरिका को भेजा.
ट्रंप का प्रस्ताव 'हमारा नहीं'
डार ने कहा, 'मैंने साफ कर दिया था कि राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा सार्वजनिक किए गए 20 बिंदु हमारे नहीं हैं. हमारे मसौदे में बदलाव किए गए. मेरे पास इसका रिकॉर्ड है. यह अंतिम परिणाम है और इस पर राजनीतिक बहस की कोई जगह नहीं.' उन्होंने बताया कि न्यूयॉर्क में मुख्य सत्र से पहले आठ देशों के विदेश मंत्रियों की एक प्रारंभिक बैठक हुई. 'बैठक में कोई अन्य एजेंडा नहीं था. हमने 24 घंटे में कई बैठकें कीं और होटल रूम में हार्ड कॉपीज़ का आदान-प्रदान किया.' डार ने कहा कि इस प्रक्रिया में संयुक्त मसौदे पर सहमति बनाई गई.
ट्रंप और नेतन्याहू की बैठक
डार ने बताया कि 29 सितंबर को ट्रंप ने नेतन्याहू से मुलाकात की और उसी दिन 20-पॉइंट योजना की घोषणा की. डार ने कहा, "इस योजना को लागू करना ही एकमात्र तरीका था जिससे गाजा पर इस्राइल के बमबारी को रोका जा सके. अन्य सभी मंचों पर प्रयास विफल रहे थे. डार ने नेशनल असेंबली में कहा, "पाकिस्तान की फिलिस्तीन नीति वही रही है जो कि क़ायदे-आज़म मोहम्मद अली जिन्ना की थी. इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ और भविष्य में भी नहीं होगा. हम स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना का समर्थन करते हैं, जिसकी राजधानी अल-कुद्स अल-शरीफ़ हो." डार ने इस्राइल द्वारा ग़्लोबल सुमूद फ़्लोटिला पर हस्तक्षेप की भी निंदा की. इसमें शामिल पाकिस्तानियों की रिहाई के लिए तीसरे यूरोपीय देश की मदद मांगी गई है. "निश्चित जानकारी रविवार तक पता चल जाएगी.'